बुधवार को सियासी पंडित ये कयास लगाने में जुटे थे कि उद्धव ठाकरे अब क्या करेंगे? लोग सोच रहे थे कि महाराष्ट्र की राजनीति में क्या नया होने वाला है? ओवैसी दनादन हमले किए जा रहे थे, लेकिन इधर बिहार में उनके घर में ही आग लगी हुई थी। आग भी ऐसी कि धुआं तक नहीं दिखा और जब दिखा तो AIMIM के आशियाने में भगदड़ मच गई। 5 में से 4 विधायक लालू के लाल तेजस्वी के साथ हो लिए। लेकिन अब तो चर्चा इस बात की है कि एक बार फिर से लालू ने दिखा दिया है कि वो इस तरह की राजनीति में बीजेपी से दो कदम आगे ही चलते हैं। किसी को पता भी नहीं चला और ओवैसी के चार बिहारी विधायक पके हुए आम की तरह आरजेडी की झोली में आ गिरे। तो क्या ये सबकुछ लालू के मिशन तेजस्वी का हिस्सा है? पढ़िए और समझिए
लालू का मिशन तेजस्वी!
लालू यादव के बारे में कहा जाता है कि अगर उन्होंने कोई सियासी प्लान तैयार कर लिया तो उसे वो मिशन की शक्ल दे देते हैं। फिर उसके बाद वो कहते नहीं, बल्कि करते हैं। ओवैसी की बिहार टीम में सेंध को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। इससे पहले बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र में आरजेडी ने विपक्षी विधायकों के साथ बवाल काट रखा था। दूसरे दिन यानि सोमवार को तेजस्वी सत्र में नजर नहीं आए और जब चौथे दिन नजर आए तो साथ में ओवैसी की एआईएमआईएम के चार विधायक भी थे। सारे सियासी पंडितों यहां तक की असदुद्दीन ओवैसी महाराष्ट्र पर ही नजरें टिकाए रहे और इधर बिहार में बड़ा खेल हो गया। एक तरह से देखिए तो महागठबंधन को अब सरकार बनाने के लिए सिर्फ 6 विधायकों की जरूरत रह गई है। चर्चा है कि लालू भी इस समीकरण को ध्यान में रखकर मिशन तेजस्वी का अगला पासा तैयार कर रहे होंगे।
क्या नीतीश भी हैं लालू के प्लान में?
ओवैसी की पार्टी के 5 में से 4 विधायक मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी में शामिल हो गए। ये किसी बड़े सियासी खेल का संकेत हैं। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो राज्य में महागठबंधन सत्ता से सिर्फ 6 विधायक दूर है। मतलब लालू यादव की पार्टी आरजेडी गठबंधन के पास 116 विधायक हो गए हैं। बिहार में बहुमत का आंकड़ा 122 है। AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान सिर्फ ओवैसी के साथ रह गए हैं। ओवैसी से पहले अख्तरुल इमान, लालू यादव की पार्टी आरजेडी का ही झंडा ढोते थे। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव आजकल पटना में ही हैं। अगर, पूरे महागठबंधन के डेटा को न भी लें तो सिर्फ RJD-JDU आंकड़ा भी मैजिक नंबर के पार चला जाता है। मतलब तेजस्वी के 80 और नीतीश के 46 विधायकों की संख्या 126 तक पहुंचती है। जबकि बहुमत का आंकड़ा 122 का ही है। वैसे भी आजकल तेजस्वी और नीतीश की नजदीकियों की चर्चा ज्यादा चल रही है।
महाराष्ट्र वाला डर बिहार में बीजेपी को सता रहा?
बिहार में बदले सत्ता के नए आंकड़ों ने बीजेपी के कान खड़े कर दिए हैं। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मंगलवार को पटना पहुंचते ही सबसे पहले नीतीश कुमार से मिलने सीएम आवास गए। कई मुद्दों पर चर्चा हुई। खबर ये भी है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू को दो सीटें ऑफर की गई है। आरसीपी सिंह ने अब तक मोदी कैबिनेट से इस्तीफा नहीं दिया है। वैसे भी ये अपने आप में आश्चर्य है कि AIMIM के विधायकों ने सत्ताधारी JDU के RJD को चुना। जेडीयू नेता रहे अजय आलोक ने ट्वीट कर इसका इशारा किया है। उन्होंने कहा कि ‘वैसे पहली बार भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में ओवैसी की पार्टी के विधायक टूटकर मुख्य विपक्षी दल में गए, सबसे बड़ी पार्टी RJD सदन में बन गयी, खेल अभी शुरू हुआ है क्योंकि संचालन कहीं और से हो रहा हैं, RJD को बधाई’।