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सांप्रदायिक हत्यारों, अपराधियों को अविलंब सख्त से सख्त सजा दो

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 मुनेश त्यागी 

     पिछले दिनों राजस्थान के उदयपुर में दो मुस्लिम धर्मांधों और कट्टरपंथियों ने मोहम्मद साहब पर लेकर की गई टिप्पणी के विरोध में उदयपुर के कन्हैया लाल की निर्मम, क्रूर और जघन्यतम हत्या कर दी और इसे धर्म के अनुसार की गई हत्या बताया। इस हत्या का धर्म के सिद्धांतों से क्या लेना देना? यह सीधे-सीधे तरीके से की गई हत्या है। यह हत्या एक सोची समझी साजिश है और एक बड़े षड्यंत्र के तहत की गई हत्या है। यह निर्मम कृत्य एक अपराध, हिंसा, आतंकवादी, सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली और दंगा कराने वाली हत्या है इसका धर्म के उसूलों से कोई लेना देना नहीं है।

      इस हत्या के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री ने सभी प्रदेशवासियों से शांति और आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील की है। उदयपुर हत्या को लेकर राजस्थान में धारा 144 लगा दी गई है 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। पुलिस लापरवाही के मामले में धानमंडी थाने के एएसआई को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। हत्यारों के पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन से रिश्ते होने की बात भी की जा रही है।

     यहां पर सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि जिस तरह से एक सोची समझी साजिश के तहत हत्या की गई है, उसका तुरंत भंडाफोड़ किया जाना चाहिए और इस साजिश को रचने वालों को गिरफ्तार करके तुरंत कठोर से कठोर सजा दी जानी चाहिए और अपराधियों के साथ कोई रू-रियायत नहीं बरती जानी चाहिए।

       जिस तरह से हत्या करने से पहले इसकी वीडियो बनाई गई और फिर इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया, यह एक सबसे बड़ा अपराध है। इसका सीधा-सीधा मतलब था, प्रदेश में अमन चैन को पलीता लगाना और एक सोची समझी साजिश के तहत पूरे प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे भड़काने की कोशिश करना। यह कोई धार्मिक मान्यताओं का मामला नहीं है यह सीधे-सीधे सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की साजिश का हिस्सा था।

       कोई भी धर्म इस तरह के हमलों और हत्या की इजाजत नहीं देता, अगर कोई धर्म इस तरह की हत्या, हिंसा की इजाजत देने की बात करता है तो या इन्हें उचित ठहरा है तो वह निश्चित ही धर्म नहीं हो सकता। फिर ऐसा करना धर्म के नाम पर राजनीति करना और धर्म के नाम पर हिंसा और हत्या करना है और नफरत फैलाना है, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना है, जिसे किसी भी हालत में उचित नहीं ठहराया जा सकता। इस तरह की सीख देने वाली सभी धार्मिक शिक्षाओं पर तुरंत प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

      प्रदेश सरकार ने इस मामले में तत्परता से कार्रवाई करते हुए दोनों कातिलों को गिरफ्तार कर लिया है। पीड़ित परिवार को ₹31 लाख का मुआवजा देने का और पीड़ित परिवार के दो बच्चों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा कर दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार का यह कदम एकदम उचित और वाजिब कदम है। इस समय ऐसे ही मरहम लगाने वाले कदम उठाने की जरूरत थी।

       अब सरकार को यहीं पर तमाम तरह के सांप्रदायिक तत्वों पर नजर रखने की जरूरत है क्योंकि इन तत्वों को पीड़ित परिवार से कुछ लेना देना नहीं है, उनको बस अपनी सांप्रदायिक और नफरत की राजनीति को आगे बढ़ाना है ताकि समाज में हिंदू मुसलमान की नफरत की खाई को और चौड़ा और गहरा किया जा सके।

        हम यहां पर यही कहना चाहेंगे कि सरकार को इन निर्मम कातिलों को जल्द से जल्द और सख्त से सख्त सजा दिलाने के तमाम प्रयास करने चाहिए और इस मामले में day2day कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए है। इन दोनों कातिलों और अपराधियों को सख्त से सख्त से सख्त सजा देने के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।

      इसी के साथ साथ हम यह भी कहेंगे कि पिछले दिनों देश प्रदेश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक आपराधिक और हिंसक कृत्य किए गए हैं। कुछ दिन पहले हिंदू कट्टरपंथियों ने जितेंद्र मेघवाल, पहलू खान और अफराजुल की निर्मम हत्या कर दी थी। पिछले ही दिनों उन्मादी सांप्रदायिक तत्वों द्वारा मुसलमानों के कत्लेआम का आवाहन किया गया था, औरतों के साथ बलात्कार करने का आह्वान किया गया था, लोगों के कपड़े और दाढ़ी मूंछ देखकर उनके साथ मारपीट की गई थी और दूसरे तमाम तरह के अपराध किए गए थे। ऐसे तमाम अपराधियों को भी विशेष न्यायालय बना कर, अविलंब डे टु डे के आधार पर सुनवाई की जाए, उन्हें भी सख्त से सख्त सजा दी जाए और जेल के सींकचों के पीछे भेज देना चाहिए।

     हम यहां कहना चाहेंगे कि अगर सरकार चाहे तो देश के किसी हिस्से में सांप्रदायिक दंगे नहीं हो सकते। सरकार की निष्क्रियता, उदासीनता, मिलीभगत और लापरवाही के कारण ही सांप्रदायिक दंगे होते हैं। कभी-कभी कुछ सरकारें भी दंगा कराने में लिप्त पायी जाती हैं। देश में दंगा रोकने के लिए और सांप्रदायिक एकता और भाईचारा बनाए रखने के लिए सरकार को तमाम संप्रदायिक अपराधियों और हिंसा की घटनाओं के खिलाफ, तुरंत से तुरंत सख्त से सख्त कार्रवाई करनी होगी, तभी इस तरह की घटनाएं रुक सकती हैं, सांप्रदायिक नफरत की राजनीति और आंधी रुक सकती है और समाज और देश में अमन चैन और आपसी भाईचारा कायम रह सकता है।

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