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शिवराज के गढ़ में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों की जीत से भाजपा की बढ़ी चिंताएं

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कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस नेता मिशन 2023 को सफल बनाने में एकजुट*

*विजया पाठक, एडिटर जगत विजन*

मध्यप्रदेश में लगभग 8 साल बाद त्रि-स्तरीय पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां पूरे उत्साह के साथ चुनावों के प्रचार-प्रसार के कार्य में जुटी हुई हैं। प्रदेश में तीन स्तर पर होने जा रहे पंचायत चुनाव का पहला स्तर संपन्न हो चुका है। पहले चरण के बाद जो रिजल्ट आए है उसने भारतीय जनता पार्टी के होश उड़ा दिये है। खास बात यह है कि अपने अहम में डूबी भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस नेताओं ने ऐसी पटकनी दी है कि अगले कुछ सालों तक भाजपा इससे बाहर नहीं निकल पाएगी। यही नहीं अपनी करारी हार का ठीकरा अब नेता कांग्रेस पर फोड़ने पर लगे हुए हैं। देखा जाए तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का विधानसभा क्षेत्र सीहोर है। मुख्यमंत्री का मानना है कि जब तक वो यहां खड़े हैं तब तक कांग्रेस या फिर कोई और प्रत्याशी यहां से चुनाव जीत ही नहीं सकता। मुख्यमंत्री का यह घमंड ही उन्हें ले डूबा। जिले के अंदर कुल चार विधानसभा सीट सीहोर, इछावर, आष्टा और बुधनी है। बीजेपी के सुदेश राय सीहोर से लगातार दो बार विधायक रह चुके हैं। लेकिन सुदेश राय की बगावत के कारण ही इस बार भाजपा को सीहोर विधानसभा क्षेत्र की चार जिला पंचायत सदस्य की सीट पर हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि इस हार ने शिवराज सिंह चौहान सहित संगठन और पार्टी नेताओं को चिंता में डाल दिया है। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मिशन 2023 का बिगुल इस जीत के साथ ही फूंक दिया है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस की तरफ से इन सीटों पर शशांक सक्सेना, राजू राजपूत, रूखसार अनस खान और डॉ. सुरेन्द्र सिंह मेवाड़ा ने जीत दर्ज की।

*कांग्रेस ने अपने इरादे जता दिये हैं*

देखा जाए तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनावों में जबरदस्त मेहनत करते दिखाई दे रही हैं। सभी के इरादे साफ है कि उन्हें मिशन 2023 को वापस से सफल बनाना है। कांग्रेस का दावा है कि वो 75 फीसदी सीटें इस चुनाव में जीतेगी। अगर कांग्रेस अपने  इस फैसले पर कायम रही तो निश्चित ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में यह भारतीय जनता पार्टी की बहुत बड़ी हार होगी और इस हार से उबरने के लिए भाजपा को 10 साले से ज्यादा का समय लग जाएगा।

*ओवर कॉन्फिडेंस में है भाजपा*

देखा जाए तो प्रदेश भाजपा के नेता दोबारा सत्ता में लौटने के बाद से ही जरूरत से ज्यादा ओवर कॉन्फिडेंस में है। उन्हें हर बार ऐसा ही प्रतीत हो रहा है कि वो जोड़ तोड़ करके दोबारा से फिर सत्ता में बनाने में कामयाब हो जायेंगे। यही वजह है कि भाजपा के बड़े नेता जमीन पर काम करने के बजाय वल्लभ भवन के एसी रूम में बैठकर समय काट रहे है और शासकीय सुविधाओं का उपभोग करने में जुटे हुए है।

*कहां कौन सी सीट पर मिली हार*

भोपाल जिला पंचायत के दस में से नौ वार्ड के परिणामों की घोषणा के बाद पांच सीट कांग्रेस समर्थित लोग जीते। ऐसी ही कुछ हाल देवास में देखने को मिला। जहां 10 में से 9 वार्डों में कांगेस समर्थित उमीदवार विजयी रहे।

*ये दिग्गज नहीं जिता पाए चुनाव*

पिछले दिनों भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की घोषणा के बाद भी पंचायत चुनाव में भाजपा ने नेता पुत्रों और रिश्तेदारों को टिकट बांटने की परंपरा को जारी रखा। बावजूद उसके नेता पुत्र और रिश्तेदारों को पंचायत चुनाव में करारी शिकस्त मिली। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम, मंत्री विजय शाह की बहन रानू शाह, विधायक पंचूलाल प्रजापति की पत्नी, गुना के भाजपा विधायक गोपलाल जाटव के पोते को भी हार का सामना करना पड़ा।

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