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सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) : महिलाओं की बेलगाम विपत्ति से बचाव की बात

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डॉ. गीता 

      _भारत में हर साल कई लाख महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की चपेट में आती हैं. मृत्यु दर भी अधिक है. यह महिलाओं में सबसे आम कैंसर में से एक है._

   गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय (Uterus) का निचला भाग है जो गर्भाशय को योनि से जोड़ता है. सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी काफी अधिक है. गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर अक्सर मानव पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के साथ एक अंतर्निहित संक्रमण से संबंधित होते हैं, जो आमतौर पर यौन संचारित (Sexually Transmitted) होता है.

       एचपीवी गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में प्री-कैंसर चेंजेस का कारण बन सकता है जो अंततः सर्वाइकल कैंसर की ओर ले जाता है. एचपीवी वैक्सीन (HPV Vaccine) अगर कम उम्र में दिया जाए तो एचपीवी संक्रमण से बचाव और सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

      _जबकि सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) धीरे-धीरे विकसित होने वाली बीमारी हो सकती है, अगर जल्दी पता नहीं चला, तो यह शरीर के अन्य हिस्सों जैसे पेट, लीवर, यूरीनरी ब्लैडर या फेफड़ों में फैल सकता है._

      यह रोग ज्यादातर प्रारंभिक अवस्था में बिना किसी लक्षण के पता नहीं चलता है और प्राइमरी लक्षणों को विकसित होने में सालों लग सकते हैं.

 _स्टेज 1 सर्वाइकल कैंसर के कुछ सामान्य संकेत और लक्षण हैं :_

     ~सहवास यानी संभोग के बाद योनि से खून बहना.

  ~मासिक धर्म या रजोनिवृत्ति के बाद ब्लीडिंग के बीच अनियमित या अचानक रक्तस्राव

  ~दुर्गंधयुक्त योनि स्राव या संभोग के दौरान दर्द

  ~पेशाब करने में दर्द

  ~दस्त, मलाशय से ब्लीडिंग

~थकान, वजन घटना, भूख में कमी

  ~पैल्विक या पेट दर्द

टेस्ट के साथ स्त्री रोग संबंधी जांच आमतौर पर प्री-कैंसर और अनियमितताओं के संकेतों की जांच करके गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के ज्यादातर मामलों का पता लगाने में प्रभावी होती है.

    _एचपीवी मोलेक्यूलर टेस्ट जैसे अन्य परीक्षण खासकर से एचपीवी वायरस के लिए गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं की जांच के लिए किए जाते हैं._

     संदिग्ध कैंसर की जांच के लिए पंच बायोप्सी या एंडोकर्विकल ट्रीटमेंट जैसी तकनीकों के जरिए टिश्यू के सेम्पल लेकर बायोप्सी की जाती है.

ज्यादातर अन्य कैंसर की तरह, सर्वाइकल कैंसर को भी 4 स्टेज में बांटा गया है. स्टेज वन ज्यादातर लक्षणों के बिना पता नहीं चलता है और इसका मतलब है कि कैंसर केवल गर्भाशय ग्रीवा में है और अन्य भागों में नहीं फैला है.

       दूसरे चरण में संक्रमण गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय से आगे फैल गया है, लेकिन अभी तक पेल्विक की दीवार तक नहीं फैला है.

        कैंसर तीसरे चरण में योनि और पेल्विक की दीवार के निचले हिस्से में फैल सकता है और अंत में चरण IV में यह मूत्राशय, मलाशय या शरीर के अन्य हिस्सों जैसे आपकी हड्डियों या फेफड़ों में घुस करता है.

सर्वाइकल कैंसर के संकेतों और लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, पैप स्मीयर स्क्रीनिंग और मोलेक्यूलर टेस्ट के जरिए जल्दी पता लगाना इस खतरनाक बीमारी से होने वाली मोबिलिटी और मृत्यु दर को कम करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा.

       _सेक्सडिजीज की दृष्टि से निरोगी और स्वस्थ व्यक्ति से ही संभोग करें. एकाधिक से मिक्स नहीं हों. ड्रग्स वेगैरह से दूर रहें. साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें और यौनतुष्टि का ध्यान भी._

    (चेतना विकास मिशन)

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