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सियासत की कार गाथा…..मौर्य के बाद अब ओपी राजभर की ‘फॉर्च्यूनर कथा’

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नेताजी जब फॉर्च्यूनर से निकलते हैं तो अलग ही रुतबा जमता है। फॉर्च्यूनर से उतरते वक्त तो उनके रौब के क्या ही कहने। सिर से लेकर पांव तक रौब झर-झर झर-झर झरता है। लेकिन तब क्या अगर कोई रौबदार फॉर्च्यूनर को ही उधारी का बता दे। ये आरोप लगा दे कि नेताजी का फॉर्च्यूनर वाला फॉर्च्यून तो किसी और नेताजी की रहमो-करम का नतीजा है। ऐसे आरोप तो जिगर को छलनी कर देंगे। कुछ ऐसा ही दिल-जिगर छलनी हुआ है सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का। दरअसल, उनपर आरोप लग रहे हैं कि समाजवादी पार्टी ने उन्हें चलने के लिए फॉर्च्यूनर कार दी हुई है।

क्या राजभर को भी समाजवादी पार्टी से गिफ्ट में मिली फॉर्च्यूनर?
ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर ने फॉर्च्यूनर वाले आरोप को बेबुनियाद बताकर सिरे से खारिज किया है। अरुण ने गुरुवार को कहा, ‘मीडिया में खबर चलाई जा रही है कि सपा ने सुभासपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को चलने के लिए फॉर्च्यूनर कार दी हुई है,जबकि सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपने इनोवा कार से चलते है, सपा के द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद है।’ वैसे आरोप की टाइमिंग काफी अहम है। यूपी की सियासी फिजा में ओम प्रकाश राजभर की फिर से बीजेपी के साथ नजदीकी की खबरें तैर रही हैं। 3-4 महीने पहले यूपी चुनाव के वक्त राजभर सपा के मुख्य सहयोगी थे जो चुनावी मंचों से बीजेपी पर शब्दों की मिसाइलें, जुमलों के बम फोड़ते हुए योगी सरकार की उलटी गिनती की भविष्यवाणी किया करते थे। यह भी संयोग है कि फॉर्च्यूनर वाले आरोपों को जिस दिन अरुण राजभर ने खारिज किया, उसके अगले ही दिन उनके पिता ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका देते हुए राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए कैंडिडेट द्रौपदी मूर्मू को समर्थन का ऐलान कर दिया।

जब अखिलेश ने केशव देव मौर्य को गिफ्ट की गई फॉर्च्यूनर वापस मंगा ली
ओम प्रकाश राजभर और सपा के को-प्रोडक्शन वाली इस फॉर्च्यूनर कथा के ताजा एपिसोड से कुछ हफ्ते पहले ही यूपी में एक और फॉर्च्यूनर का सियासी किस्सा बहुत चर्चित रहा था। खास बात ये है कि दोनों ही किस्सों में समाजवादी पार्टी का कॉमन किरदार था। हुआ यूं था कि सपा के सहयोगी महान दल के प्रमुख केशव देव मौर्य ने जैसे ही पार्टी से गठबंधन के खात्मे का ऐलान किया, अखिलेश यादव ने उन्हें चुनाव के दौरान गिफ्ट की गई फॉर्च्यूनर को वापस मांग लिया। मौर्य को उम्मीद थी कि विधानसभा चुनाव में भले ही कामयाबी नहीं मिली लेकिन अखिलेश उन्हें एमएलसी बनाकर मेहनत का शुक्राना पेश करेंगे। लेकिन मौर्य की जगह एक और मौर्य बाजी मार ले गए। अखिलेश ने स्वामी प्रसाद मौर्य को विधान परिषद भेज दिया। ये बात केशव देव मौर्य को नागवार गुजरी और उन्होंने सपा से राजनीतिक तलाक का ऐलान कर दिया। फिर क्या था, अखिलेश ने भी गिफ्ट वाला फॉर्च्यूनर वापस ले लिया।

एंबेसडर में नीतीश से मिलने आए थे मांझी, फॉर्च्यूनर से निकले थे
वैसे एक फॉर्च्यूनर कथा बिहार की भी है लेकिन यूपी वाली से थोड़ी अलग। 2018 की बात है। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी अपनी एंबेसडर कार से सीएम नीतीश कुमार से मिलने उनके सरकारी आवास गए थे। बातों ही बातों में उनका दर्द छलक गया। खटारा एंबेसडर का दर्द। नीतीश के सामने मांझी ने अपना पूरा दर्द बयां कर दिया। ये कि कैसे उनकी एंबेसडर आजकल अक्सर बीच रास्ते में ही बिगड़ जाया करती है। इससे परेशानी तो होती ही होती है, सुरक्षा की दिक्कत अलग से पैदा होती है। फिर क्या था। सुरक्षा वाली बात आते ही नीतीश ने झट से अपने आवास में खड़ी एक बुलेटप्रूफ फॉर्च्यूनर कार की चाबी मांझी के हवाले कर दी। मांझी उसी बुलेटप्रूफ फॉर्च्यूनर में सवार होकर सीएम आवास से निकले।

दिल्ली की बहुचर्चित नीली वैगन आर कथा
वैसे दिल्ली का भी एक कार वाला सियासी किस्सा बहुत चर्चित रहा है। दिल्ली में आज सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के गर्भ से निकली थी। तब नए-नए सियासी अरविंद केजरीवाल की एक नीली वैगन आर कार बहुत चर्चित हुई थी। 2013-14 में जब केजरीवाल पहली बार 49 दिनों के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे तब वह उसी नीली वैगन आर से वह सीएम ऑफिस आते-जाते थे। वह नीली वैगन आर सादगी की मिसाल बन गई। मुख्यमंत्री को तब न तो चलने के लिए महंगी गाड़ी चाहिए थी और न रहने के लिए बड़ा बंगला। खैर, कुछ ही दिनों में वो नीली वैगन आर राजनीतिक परिदृश्य से कुछ यूं गायब हो गई जैसे कभी गधे के सिर से सींग गायब हुई होगी। इसके साथ ही दिल्ली की बहुचर्चित सियासी सादगी भी जैसे कहीं खो गई। हालांकि, केजरीवाल के लिबास का सादगीभरा अंदाज बिल्कुल भी नहीं बदला है।

उस नीली वैगन आर के पीछे भी एक कहानी है। द्वारका के रहने वाले कुंदन शर्मा नाम के आम आदमी पार्टी के एक समर्थक ने अपनी पत्नी के नाम से रजिस्टर्ड नीली वैगन आर को पार्टी को गिफ्ट किया था। खैर, 2015 में उसका पार्टी से मोहभंग हो गया तो ट्वीट कर मांग करने लगा- मेरी नीली वैगन आर लौटा दो। हालांकि, अब उसका ट्विटर हैंडल भी ट्विटर से ऐसे गायब हो गया जैसे नीली वैगन आर कभी राजनीतिक परिदृश्य से गायब हुई थी।

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