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जनकल्याणकारी और मुक्तिकारी कार्यक्रम को लेकर हमें जनता के बीच जाना होगा 

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मुनेश त्यागी

पूंजीपति, सामंती, धन्ना सेठ और सरमायेदार वर्ग के हितों को और तेजी से आगे बढ़ाने के लिए भाजपा ने पिछले आठ सालों से सांप्रदायिक और कारपोरेट गठजोड़ को मजबूत करते हुए, जनता पर तानाशाहीपूर्ण हमले बढ़ा दिए हैं। संविधान, जनवाद और गणतंत्र को खतरे में डाल दिया है। मोदी सरकार आर एस एस के हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को तेज गति से आगे बढ़ा रही है और नवउदारवादी नीतियों को अबाध गति से आगे बढ़ा रही है। आर एस एस का एजेंडा भारतीय संविधान, कानून के शासन, जनतंत्र, गणतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के ताने-बाने को गंभीर क्षति पहुंचा रहा है।
 इन आठ सालों में की अवधि में किसानों, मजदूरों, छात्रों, नौजवानों और महिलाओं का उत्पीड़न बढ़ा है, उनको आधुनिक गुलाम बनाने की सारी कोशिशें जारी हैं। उनके जनवादी अधिकारों पर हमले हुए हैं, मध्यम मध्यम वर्ग और छोटे और मझोले उद्योग धंधों की दुर्दशा हो गई है, लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं लाखों उद्योग धंधे ठप हो गए हैं। आज हिंदुत्ववादी सांप्रदायिकता एक बहुत बड़ी चुनौती बन कर उभरी है और यह देश के ताने-बाने को बहुत बड़ा खतरा बन गयी है। यहां पर सबसे मुख्य और अहम सवाल उठता है कि इसके लिए क्या हो और हम क्या करें?
 इस जनविरोधी और देशविरोधी निजाम का मुकाबला करने के लिए, धर्मनिरपेक्षता के लिए सतत और समझौताविहीन संघर्ष करने से ही काम चलेगा। इसके लिए सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों और ताकतों को एक साथ लेना होगा और सांप्रदायिकता से लड़ने के लिए अवसरवादी रवैइया छोड़ना पड़ेगा।
  आगामी दिनों में भाजपा को अलग-थलग करना होगा, उसकी नफरत भरी मुहिम को हराना होगा और जनता को साझी संस्कृति और गंगा जमुनी तहजीब की हकीकत और तथ्यों से अवगत कराना होगा। हमारे इतिहास में हिंदू मुसलमान नायक नायिकाओं के हीरे मोती भरे पड़े हैं, हमें उन्हीं को निकाल कर जनता के बीच ले जाना होगा और उसकी साझी संस्कृति को और उसके ज्ञान को मजबूत करना होगा ताकि वह सांप्रदायिक ताकतों द्वारा नफरत भरी मुहिम को जान सके और उसका माकूल जवाब दे सके।
सरकारी संपत्तियों, सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों और खनिजों की बड़े पैमाने पर निजीकरण की मुहिम को रोकना होगा और जनविरोधी और देश विरोधी नीतियों के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करना होगा। किसान संघर्ष की तर्ज पर किसान और मजदूरों का साझा अभियान शुरू करना होगा जिसमें छात्रों, नौजवानों, एससी एसटी के लोगों को शामिल करना होगा और कारपोरेट-सांप्रदायिक शासन के खिलाफ सभी जनवादी और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट करना होगा।

जनहित के समान मुद्दों पर सभी जनतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को संसद और संसद के बाहर एकजुट करना होगा और औद्योगिक घरानों और हिंत्ववादी साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ाई की सफलता के लिए, इन दोनों के खिलाफ, एक राष्ट्रीय मोर्चा बनाना ही समय की सबसे बड़ी मांग है। संसद और संसद कि बाहर सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों और ताकतों को एक मंच पर लाकर ही इस जनविरोधी निजाम को मात दी जा सकती है, इसे सत्ता से हटाया जा सकता है।
तमाम वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष ताकतों की व्यापक और गहन लामबंदी करके, एक संयुक्त मोर्चा बनाकर, एक सर्वमान्य कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत, दमनात्मक कानूनों, उदारवाद के हमलों और लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ शासक वर्ग के हमलों के खिलाफ, मैदान-ए-जंग में उतरना पड़ेगा। किसानों, मजदूरों, नौजवानों, विद्यार्थियों, महिलाओं, बुद्धिजीवियों, मीडिया कर्मियों, लेखक और कवियों समेत, वर्गीय और तमाम संगठनों की सांझी और एकजुट कार्यवाहियों को अमल में लाना होगा।
इसकी पहल वामपंथी ताकतों को करनी होगी क्योंकि उनके पास जनमुक्ति की देशव्यापी नीतियां हैं, कार्यक्रम हैं और लड़ने की क्षमता है और माद्दा है और वे ही पिछले 31 साल से सरकार की जनविरोधी और देशविरोधी ,,,उदारवादी, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों से लगातार लड़ते आ रहे हैं। उन्हें इस संयुक्त संघर्ष की कार्यवाही को नेतृत्व प्रदान करना होगा।
जनमुक्ति मंत्र से हमारा मतलब है की जनता को शोषण, अन्याय, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी और मुफलिसी से निजात दिलाना, उन्हें रोजगार देना, उन्हें इलाज और शिक्षा की सुविधाएं प्रदान करना और इन सब से उन्हें निजात दिलाना। सामान्य अर्थों में जीवन के आवागमन, स्वर्ग नरक या मोक्ष जैसी मान्यताओं से हमारा कोई लेना देना नहीं है।
वर्तमान कारपोरेट संप्रदायिक गठजोड़ की सरकारों और सत्ता को मात देने के लिए निम्नलिखित मुक्ति-मांगपत्र जनता के सामने रखना होगा और जनता को संयुक्त संघर्ष के मैदान में लाना होगा, पूरी जनता को इन मांगों के आधार पर एकजुट करना होगा। हमें इन मांगों को लेकर जनता के यानी किसानों, मजदूरों और मेहनतकशों के बीच जाना होगा और उसे इस लुटेरे निजाम के खिलाफ, जनता के जनवाद और समाजवादी व्यवस्था की स्थापना करने के अभियान में लगाना होगा और उसे इस जनमुक्ति और जनकल्याणकारी कार्यक्रम के इर्द-गिर्द एकजुट करना होगा। जनता की जनमुक्ति का मांगपत्र इस प्रकार होगा,,,,,

  1. देश की सारी जनता को आधुनिक, अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा दी जाए,
  2. देश की सारी जनता को मुफ्त और आधुनिक इलाज की सुविधाएं मुहैया कराई जाएं,
  3. सभी नौजवानों को रोजगार मुहैया कराये जाएं और बेरोजगारों को ₹12000 महीना बेरोजगारी भत्ता दिलाया जाए,
  4. जनहित में उद्योग धंधों का जाल बिछाया जाए और देश का पर्याप्त औद्योगिकरण किया जाए,
  5. देश की सार्वजनिक संपत्ति पूंजीपतियों यानी धन्ना सेठों और उद्योगपतियों को कोडी के दाम बेचने पर रोक लगाई जाए,
  6. पूरे देश में भूमि सुधार लागू किए जाएं और सीलिंग से फालतू जमीन को गरीबों और खेतिहर मजदूरों में बांटा जाए,
  7. देश के साठ बरस से ऊपर सभी बुजुर्गों,,, स्त्री पुरुष को ₹6000 मासिक पेंशन दी जाए और और 20,000 रु प्रतिवर्ष ब्याज पाने वाले बुजुर्गों की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाए,
  8. किसानों की फसलों के वाजिब दाम दिए जाएं और एमएसपी पर खरीद की गारंटी की जाए,
  9. पूरे देश में धर्मनिरपेक्षता पर आधारित समाज की स्थापना की जाए और अंधविश्वासी, धर्मांध और कपोल कल्पित और पाखंडपूर्ण आचार विचार पर रोक लगाकर, जनता में वैज्ञानिक संस्कृति का प्रचार प्रसार किया जाए,
  10. कमरतोड़ महंगाई पर अविराम रोक लगाई जाए, पेट्रोल डीजल और गैस के बढ़े हुए दाम तुरंत वापस लिए जाएं और जनता को राहत प्रदान की जाए,
  11. मझोले और छोटे उद्योग धंधों का विकास किया जाए ताकि लोगों को रोजगार मिल सके और उनकी आमदनी बढायी जा सके,
  12. किसान मजदूरों की सरकार कायम की जाए ताकि पूंजीवादी लूट खसोट का खात्मा करके आम जनता का विकास किया जा सके,
  13. देश के प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग बंद किया जाए और इनका प्रयोग देश की जनता के विकास के लिए किया जाए,
  14. वर्तमान लुटेरी पूंजीवादी व्यवस्था को बदल कर इसके स्थान पर जनता की जनवादी और क्रांतिकारी समाजवादी सामाजिक व्यवस्था की स्थापना का अभिमान चलाया जाए और किसानों, मजदूरों, नौजवानों और सारी जनता को इसके इर्द-गिर्द लामबंद यानी एकजुट किया जाए,
  15. कई कई वर्षों से खाली पड़े हुए सरकारी और गैरसरकारी संस्थानों के खाली पदों को तुरंत भरा जाए ताकि शासन प्रशासन में होने वाली परेशानियों से जनता को राहत मिल सके और उसके काम समय से हो सके और बेरोजगारों को काम मिल सके,
  16. समाज में आकंठ और सर्वव्यापी भ्रष्टाचार पर और कानून की खामियों पर रोक लगाकर जनता को सस्ता और सुलभ न्याय दिलाया जाए और एक भ्रष्टाचार रहित समाज का निर्माण किया जाए, और
    17.पूरे भारतवर्ष के तमाम मजदूरों को न्यूनतम वेतन दिया जाए, नियुक्ति पत्र दिये जाएं, वेतन पर्चियां दी जाएं और श्रम कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए और कानून का उल्लंघन करने वाले पूंजीपतियों को, पैसे वालों को और धन्ना सेठों को, कठोर से कठोर दंड दिया जाए।
    इन मुक्ति मंत्रों को लेकर हमें भारतीय जनता के बीच किसानों में दोनों नौजवानों छात्रों महिलाओं के बीच जाना होगा और उन्हें इस हकीकत से अवगत कराना होगा कि वर्तमान निजाम जो देशी-विदेशी पूंजीपतियों के साम्राज्य को बढ़ाने की रोज कोशिश कर रहा है वह जनता को उसकी मूलभूत समस्याओं से निजात नहीं दिला सकता दिला सकता। हमें जनता का आह्वान करना होगा की जनहित के लिए इस जनविरोधी निजाम को सत्ता से बाहर करें और किसानों मजदूरों की सरकार को सत्ता में लाएं, ताकि समाज, जनता और देश का कल्याण हो सके।
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