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 गांधी के समय पॉलिटिक्स विकास के लिए होती थी, अब इसका मकसद सिर्फ सत्ता-नितिन गडकरी

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नई दिल्ली

मौजूदा राजनीति व्यवस्था को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मन की टीस जुबान पर आई है। गडकरी ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान साफ कहा कि कभी-कभी मन करता है कि राजनीति ही छोड़ दूं। समाज में और भी काम हैं, जो बिना राजनीति के किए जा सकते हैं।

गडकरी ने कहा कि महात्मा गांधी के समय की राजनीति और आज की राजनीति में बहुत बदलाव हुआ है। बापू के समय में राजनीति देश, समाज, विकास के लिए होती थी, लेकिन अब राजनीति सिर्फ सत्ता के लिए होती है। उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि राजनीति का क्या मतलब है। क्या यह समाज, देश के कल्याण के लिए है या सरकार में रहने के लिए है?

राजनीति का मतलब समझने की जरूरत
कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने कहा कि राजनीति गांधी के युग से ही सामाजिक आंदोलन का हिस्सा रही है। उस समय राजनीति का इस्तेमाल देश के विकास के लिए होता था। आज की राजनीति के स्तर को देखें तो चिंता होती है। आज की राजनीति पूरी तरह से सत्ता केंद्रित है। मेरा मानना है कि राजनीति सामाजिक-आर्थिक सुधार का एक सच्चा साधन है। इसलिए नेताओं को समाज में शिक्षा, कला आदि के विकास के लिए काम करना चाहिए।

मुझे गुलदस्ते और पोस्टर से नफरत
गडकरी ने दिवंगत समाजवादी राजनेता जॉर्ज फर्नांडीस की सादगीपूर्ण जीवन शैली के लिए उनकी प्रशंसा की। गडकरी ने कहा कि मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा क्योंकि उन्होंने कभी भी सत्ता की भूख की परवाह नहीं की। उन्होंने ऐसा प्रेरणादायक जीवन जिया…जब लोग मेरे लिए बड़े-बड़े गुलदस्ते लाते हैं या मेरे पोस्टर लगाते हैं तो मुझे इससे नफरत है।

सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश गांधी को सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में बोलते केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी।

गिरीश गांधी के सम्मान समारोह में शामिल हुए
गडकरी नागपुर में सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश गांधी को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। पूर्व एमएलसी गिरीश गांधी पहले एनसीपी के साथ थे, लेकिन 2014 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी।

गडकरी ने कहा कि जब गिरीश भाऊ राजनीति में थे, तो मैं उन्हें हतोत्साहित करता था क्योंकि मैं भी कभी-कभी राजनीति छोड़ने के बारे में सोचता हूं। ​​​​राजनीति के अलावा, जीवन में कई चीजें हैं जो करने योग्य हैं।

गडकरी का ये बयान भी खूब चर्चित रहा
नितिन गडकरी अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में उनका एक और बयान बड़ा चर्चित हुआ था। गडकरी ने कहा था कि आजकल हर किसी की समस्या है, हर कोई दुखी है। जो मुख्यमंत्री बनते हैं, वो इसलिए परेशान रहते हैं कि पता नहीं कब हटा दिया जाए। विधायक इसलिए दुखी हैं, क्योंकि वो मंत्री नहीं बन पाए। मंत्री इसलिए दुखी हैं, क्योंकि उन्हें अच्छा विभाग नहीं मिला। अच्छे विभाग वाले इसलिए दुखी हैं, क्योंकि वो मुख्यमंत्री नहीं बन पाए।

राजस्थान विधानसभा में एक सेमिनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपनी पार्टी भाजपा समेत सभी नेताओं पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि समस्या सबके साथ है। हर कोई दुखी है। MLA इसलिए दुखी हैं कि वे मंत्री नहीं बने। मंत्री बन गए तो इसलिए दुखी हैं कि अच्छा विभाग नहीं मिला और जिन मंत्रियों को अच्छा विभाग मिल गया, वे इसलिए दुखी हैं कि मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। मुख्यमंत्री इसलिए दुखी हैं कि पता नहीं कब तक पद पर रहेंगे।

गडकरी सोमवार को विधानसभा में संसदीय लोकतंत्र और जन अपेक्षाएं विषय पर सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जाने-माने व्यंग्यकार शरद जोशी ने लिखा था कि जो राज्यों में काम के नहीं थे, उन्हें दिल्ली भेज दिया। जो दिल्ली में काम के न थे, उन्हें गवर्नर बना दिया और जो वहां भी काम के नहीं थे उन्हें एंबेसडर बना दिया। भाजपा अध्यक्ष रहते मुझे ऐसा कोई नहीं मिला, जो दुखी न हो।

गडकरी ने कहा- मुझसे एक पत्रकार ने पूछा कि आप मजे में कैसे रह लेते हैं। मैंने कहा कि मैं भविष्य की चिंता नहीं करता, जो भविष्य की चिंता नहीं करता वह खुश रहता है। वन डे ​क्रिकेट की तरह खेलते रहो। मैंने सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर से छक्के चौके लगाने का राज पूछा तो बोले कि यह स्किल है। इसी तरह राजनीति भी एक स्किल है।

ज्यादा विपक्ष में रहने वाले सत्ता में आकर भी विपक्ष जैसा बर्ताव करते हैं
गडकरी ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को वाटरगेट कांड के बाद पद छोड़ना पड़ा था। राष्ट्रपति पद से हटने के बाद लोगों ने कॉलोनी में रहने को घर नहीं दिया था। निक्सन ने लिखा था कि आदमी हारने से समाप्त नहीं होता, नहीं लड़ने से समाप्त होता है। हमें तो जीवन में लड़ना है। कभी-कभी हम सत्ता में होते हैं, कभी विपक्ष में। यह चलता रहता है। जो ज्यादा विपक्ष में रहते हैं, वे सत्ता में जाकर ​भी विपक्ष जैसा व्यवहार करते हैं। ज्यादा सत्ता में रहने वाले विपक्ष में रहकर भी सत्ता जैसा ही व्यवहार करते हैं। उनकी आदत पड़ जाती है।

गडकरी को कांग्रेस में शामिल होने की सलाह दी गई थी
गडकरी ने कहा- नागपुर से कांग्रेस नेता डॉ. श्रीकांत मेरे अच्छे मित्र थे। उन्होंने 17 से ज्यादा विषयों में पीजी कर रखी थी। मैं उस वक्त चुनाव हार गया था और उस वक्त भाजपा की स्थिति आज जैसी नहीं थी। उन्होंने मुझसे तब कहा कि नितिन तुम अच्छे हो, लेकिन तुम्हारी पार्टी का भविष्य नहीं है। तुम कांग्रेस में आ जाओ। मैंने उन्हें विनम्रता से मना कर दिया। उतार-चढाव चलते रहते हैं, लेकिन आपको विचारधारा के प्रति लॉयल रहना चाहिए।

बीजेपी ने हाल ही में गुजरात का सीएम बदला, गडकरी का तंज उस तरफ भी
नितिन गडकरी ने मंत्री और मुख्यमंत्री के दुखी होने का उदाहरण देकर नाम लिए बिना अपनी ही पार्टी पर तंज कसा है। रविवार को ही बीजेपी ने गुजरात में मुख्यमंत्री बदला है और वहां विजय रुपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया है। केंद्र में भी कई दावेदार मंत्री नहीं बन पाए। राज्यों में भी यही हाल है। राजस्थान में भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर खींचतान सालभर से जारी है।

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