नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) कुछ सवाल कांग्रेस के आला नेताओं की गले की फांस बन गए हैं। इनके जवाब न तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास हैं न उनके बेटे राहुल के पास। इन्हीं में से एक है एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेडऔर यंग इंडियन प्राइवेट के बीच हुए लेनदेन का। राहुल की तरह सोनिया गांधी भी इस सवाल का जवाब दे पाने में समर्थ नहीं हैं। कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेताओं ने इसके लिए दिवंगत नेता मोतीलाल वोरा का नाम लिया है। उनका कहना है कि एजेएल और यंग इंडियन के बीच सभी वित्तीय लेनदेन की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। यंग इंडियन प्राइवेट के पास ही नैशनल हेरल्ड का मालिकाना हक है। सोनिया और राहुल इस कंपनी में प्रमोटर हैं। मोतीलाल वोरा भी इसमें शेयरधारक थे।
ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष से मंगलवार को करीब 6 घंटे तक पूछताछ की। इस दौरान जांच एजेंसी ने सोनिया गांधी से करीब 50 सवाल पूछे। एजेंसी के अधिकारियों ने 21 जुलाई को भी कांग्रेस नेता से पूछताछ की थी। तब उनसे 28 सवाल किए गए थे। ईडी नैशनल हेरल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ कर रही है। इसी मामले में वह राहुल गांधी से 50 घंटे पूछताछ कर चुकी है। बुधवार को भी सोनिया गांधी से पूछताछ जारी रहेगी।
सोनिया गांधी ने लिया मोतीलाल वोरा का नाम
सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ में एक बार फिर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा का नाम उछला है। नैशनल हेरल्ड न्यूजपेपर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के दूसरे दिन ईडी के कुछ सवालों के जवाब में सोनिया गांधी ने ‘नहीं मालूम’ में उत्तर दिया है। ईडी के सूत्र बताते हैं कि सोनिया ने पूछताछ में मोतीलाल वोरा का नाम लिया। एजेएल और यंग इंडियन के बीच हुए सौदे को लेकर ये सवाल थे। इस सौदे के तहत एजेएल की 800 करोड़ रुपये की संपत्तियों को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर किया गया था। इस कंपनी में सोनिया और राहुल प्रमोटर हैं। इनकी कंपनी में 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछताछ के दौरान बताया है कि सौदे के वक्त मोतीलाल वोरा ट्रेजरर थे। कांग्रेस, एजेएल और यंग इंडियन के बीच ट्रांजैक्शन के ब्योरे के बारे में सिर्फ उन्हें ही पता है। इसके पहले राहुल गांधी भी ईडी से पूछताछ में मोतीलाल वोरा का नाम ले चुके हैं। यही स्टैंड कांग्रेस के अन्य नेताओं का भी रहा है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और ट्रेजरर पवन कुमार बंसल से भी जब एजेंसी ने पूछताछ की थी तब उन्होंने यही बात कही थी।
पिता के नाम पर कोई शेयर नहीं
हालांकि, राहुल के साथ पूछताछ में मोतीलाल वोरा का नाम चर्चा में आने पर दिवंगत नेता के बेटे अरुण वोरा की प्रतिक्रिया आई थी। उन्होंने पिता के नाम पर कोई शेयर होने से साफ इनकार किया था। उन्होंने बताया था कि नैशनल हेरल्ड के संबंध में उन्हें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं है। उनकी इस मामले में पिता के साथ न तो कभी किसी तरह की बात हुई न उन्होंने ही कोई जानकारी दी। अरुण वोरा यह भी बोले थे कि राहुल गांधी ऐसे आरोप नहीं लगा सकते हैं। इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं। एजेएल वही कंपनी है जिसके पास नैशनल हेरल्ड (अंग्रेजी), नवजीवन (हिंदी) और कौमी आवाज (उर्दू) के प्रकाशन का अधिकार था। इसकी नींव देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। इस कंपनी को देश के कई राज्यों में सरकार की ओर से जमीन आवंटित की गई थीं।
मोतीलाल वोरा का क्यों उछल रहा है नाम?
कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा अब दुनिया में नहीं हैं। वह गांधी परिवार के बेहद करीबी थे। वोरा इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक के साथ काम कर चुके हैं। वह तकरीबन 18 साल कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रहे। मोतीलाल वोरा को 22 मार्च 2002 को एजेएल का प्रेसीडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) बनाया गया था। कर्ज से दबी एजेएल 2008 में बंद हो गई थी। तब उस पर 90 करोड़ से ज्यादा का कर्ज था। आरोप है कि यंग इंडियन प्राइवेट ने इस कंपनी के एसेट्स को खरीद लिया था। इस पूरी खरीद-फरोख्त में नियमों को ताक पर रखा गया। इस लेनदेन के जरिये यंग इंडियन को एजेएल की 2000 करोड़ रुपये की संपत्तियां भी ट्रांसफर हुईं। तब वोरा कांग्रेस के ट्रेजरर हुआ करते थे। उन्होंने उस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर भी किया था जिसमें एजेएल ग्रुप के नैशनल हेरल्ड न्यूजपेपर को जनवरी 2008 में बंद करने की बात कही गई थी। वोरा एजेएल के शेयरधारकों में शामिल थे। मामले में वोरा पर भी आरोप हैं। यह और बात है कि 2020 में कोरोना की वजह से निधन के बाद ईडी के उनके खिलाफ कार्रवाई रद कर दी थी।
कांग्रेस नेताओं को अटक रहे हैं कौन से सवाल?
नैशनल हेरल्ड को 90 करोड़ रुपये कर्ज देने और उसके सभी शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर किए जाने से जुड़े सवाल कांग्रेस के आला नेताओं को अटक रहे हैं। वे बार-बार कह रहे हैं कि उन्हें नहीं पता कि ट्रांजैक्शन कैसे हुआ। इसके उलट आरोप यह है कि नैशनल हेरल्ड को 90 करोड़ रुपये का लोन एक साजिश के तहत दिया गया था। इसका मकसद यंग इंडियन को सभी संपत्तियों को ट्रांसफर करना था। यंग इंडियन में 76 फीसदी हिस्सेदारी राहुल गांधी और सोनिया गांधी की है। मोतीलाल वोरा इसमें शेयरधारक थे।