शिवानंद तिवारी पूर्व सांसद
लोकसभा में ‘सोनिया गांधी इस्तीफा दो’ का नारा लगाते हुए स्मृति ईरानी गजब के तेवर में थी. उनके तेवर और नारे ने भाजपा के सांसदों में जोश भर दिया था. लेकिन स्मृति जी के चेहरे पर जो गुस्सा दिखाई दे रहा था वह क्या सचमुच अधीर रंजन जी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी के प्रति इस्तेमाल किए गए गलत शब्द को लेकर था या इसकी तह में कुछ और बात थी !
याद कीजिए. अभी दो दिन पहले कांग्रेसियों ने स्मृति ईरानी जी की बेटी पर अपराधिक ढंग से गोवा में बार चलाने का आरोप लगाया गया था. यह भी कहा गया कि इस बार का लाइसेंस एक ऐसे आदमी के नाम पर है जो जीवित नहीं है. उक्त बार में गोमांस भी परोसा जाता है. जब यह आरोप लगा तब उक्त बार में बीफ़ शब्द को छुपाने की कोशिश हुई.
इस आरोप से स्मृति जी बिलबिलाई हुई नजर आईं. यहां तक कि जिन कांग्रेसी नेताओं ने उनके बेटी पर आरोप लगाया था उनको उन्होंने कानूनी नोटिस भी दिया है.
अधीर रंजन जी नेआज उनको मौका दे दिया. हालांकि अधीर रंजन राष्ट्रपति जी के लिए इस्तेमाल किए गए अपने ग़लत शब्द के लिए माफी मांग चुके थे. अपने बंगाली होने की वजह से हिंदी शब्द के इस्तेमाल में गड़बड़ी हो सकती है, यह भी कह चुके थे. लेकिन स्मृति जी को भला इससे संतोष कहाँ था. वे तो अपनी बेटी पर लगाए गए आरोपों का बदला संपूर्ण कांग्रेस से निकालना चाहती थीं. इसके लिए सोनिया गांधी को निशाने पर लेने से बेहतर और क्या हो सकता था !
क्या वाकई स्मृति ईरानी जी महिलाओं के मान और अपमान के प्रति हमेशा इतनी ही संवेदनशील रहती हैं ! अगर सचमुच उनकी संवेदनशीलता इतनी ही इमानदार है तो उस समय क्यों मौन रह गई थीं जब पचास करोड़ डॉलर की गर्लफ्रेंड कह कर व्यंग किया गया था ! या कांग्रेस की विधवा कह कर जिस समय एक विधवा महिला को अपमानित किया जा रहा था उस समय उनकी संवेदनशीलता कहां सो गई थी !
चाहे जो हो स्मृति का आज रुप दिखाई दिया उसे देखकर तो मानना पड़ेगा कि टीवी सीरियलों में अच्छे कलाकार के रूप में उनकी प्रतिष्ठा ऐसे ही नहीं थी. शिवानन्द तिवारी,पूर्व सांसद