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तिरंगा तो फहराएंगे मगर यह भी बताएंगे कि हमारी रोज़ी रोटी कौन छीन रहा है: जसविंदर सिंह  

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इंदौर में शैलेंद्र शैली स्मृति व्याख्यान

इंदौर। आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हम तिरंगा तो जरूर फहराएंगे, मगर हर घर तक यह संदेश भी पहुंचाएंगे कि2014 में चार सौ रुपए वाली गैस की टंकी को 1100 रुपए का कर कौन हमारे चूल्हों को ठंडा कर रहा है। कौन बच्चों की कॉपी किताबों और पेन पेंसिल पर जीएसटी लगा कर हमारे बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहा है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने आज इंदौर में शैलेंद्र शैली स्मृति व्याख्यान में आज़ादी का सफर और आगे की डगर विषय पर बोलते हुए कही।

जसविंदर सिंह ने कहा कि दही ,दूध और खाने की वस्तुओं पर जीएसटी लगाकर मोदी सरकार ने आज़ादी के 75वर्ष के अवसर पर आम जनता के मुंह का निवाला भी छीना है। किस सरकार की नीतियों के कारण रोजगार छीना जा रहा है और खेती चौपट हो रही है। शहीदों का   सपना था कि आजादी की किरण पंक्ति के सबसे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचनी चाहिए, लेकिन आज प्रधानमंत्री के दो चहेते पूंजीपति हर रोज़ एक हज़ार करोड़ से ज्यादा का मुनाफा कमा रहे हैं जबकि80 फीसद जनता 20रुपए रोज़ पर जिंदगी बसर करने पर मजबूर है।

जसविंदर सिंह ने कहा कि कारपोरेट पूंजी के समर्थन से सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार आरएसएस के साम्प्रदायिक और मनुवादी एजेंडे को लागू कर रही। यह सरकार संविधान की मूल प्रस्थापनाओं पर ही कुठाराघात कर रही है। राष्ट्रीय चिन्हों और प्रतीकों को बदला जा रहा है। उन्होंने डॉ आंबेडकर की चेतावनी दोहराते हुए कहा कि पहले अल्पसंख्यक साम्प्रदायिकता ने देश का विभाजन किया और अब बहुसंख्यक साम्प्रदायिकता देश की एकता और अखंडता के लिए गंम्भीर खतरे पैदा कर रही है। इन ताकतों का आज़ादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं है। वे तो माफीनामें देकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मुखबिरी कर अंग्रेजों से पेंशन लिया करते थे। उन्होंने कहा कि यदि शहीदों के सपनों को साकार करना है, देश के संविधान, धर्मनिरपेक्ष ढांचे और लोकतंत्र की रक्षा करना है तो सत्ता पर काबिज उन ताकतों को सत्ता से बाहर करना होगा जिनका आज़ादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं है।व्याख्यान का विषय पर्वतन श्रमिक नेता कैलाश लिम्बोदिया ने किया।

व्याख्यान की अध्यक्षता साहित्यकार सुरेश उपाध्याय ने की। कर्मचारी नेता प्रकाश शर्मा और समाजवादी नेता हरिओम सूर्यवंशी ने भी विचार रखे। संचालन अरुण चौहान और आभार प्रदर्शन सी एल सर्रावत ने किया।

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