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सबसे ज्यादा राष्ट्र घ्वज फहराने का रिकॉर्ड गिनीज बुक में शामिल

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23 अप्रैल, 2022 को आजादी के अमृत महोत्सव के तहत बिहार के जगदीशपुर स्थित दुलौर मैदान में वीर
कुंवर सिंह विजयोत्सव कार्यक्रम में 78 हजार 220 राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगा एक साथ फहराकर भारत ने

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। इससे पिछला रिकॉर्ड पाकिस्तान के नाम
दर्ज था जो 2004 में एक साथ 56 हजार पाकिस्तानी झंडे फहराकर बनाया गया था।

सोमनाथ मंदिर
पीएम मोदी की अध्यक्षता वाले सोमनाथ ट्रस्ट ने सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया। इसमें एक
प्रदर्शनी केंद्र, समुद्र दर्शन पथ और मां पार्वती मंदिर का निर्माण शामिल है।

बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर
मंदिर तक श्रद्धालुओं की राह आसान करने और सुविधायुक्त बनाने के लिए एयरपोर्ट का निर्माण किया
गया है जिसका लोकार्पण पीएम मोदी ने 12 जुलाई को किया।

केदारनाथ धाम
आपदा में बुरी तरह प्रभावित हुए केदारनाथ धाम को फिर भव्य रूप दिया जा रहा है। इस दौरान
केदारनाथ धाम की सुरक्षा के लिए तीन लेयर की सुरक्षा दीवार, मंदिर तक पहुंचने का सुगम रास्ता,
आस्था पथ, मंदाकिनी पुल निर्माण, हेलीपैड निर्माण सहित तमाम काम पूरे कर लिए गए हैं, जबकि कई
काम जारी हैं।

आसान चार धाम राजमार्ग

सभी मौसम के लिए सुरक्षित और आसान राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना जो गंगोत्री, यमनोत्री, केदारनाथ
और बद्रीनाथ को जोड़ेगी। यह राजमार्ग धामों को भक्तों के लिए और अधिक सुगम और आसान
बनाएगा।

महाकाल कॉरिडोर, उज्जैन
उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर के विस्तारीकरण को लेकर 750 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च वाली
परियोजना पर काम चल रहा है। सौंदर्यीकरण के साथ मंदिर परिसर का क्षेत्रफल भी करीब 8 गुना बढ़
जाएगा।

……………

विकसित, संरक्षित और पुनर्स्थापित
हो रही है देश में आध्यात्मिक विरासत

राम मंदिर अयोध्या
विवादों से भरे 492 वर्षों के बाद आखिरकार राम जन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण हो रहा है जिसका
शिलान्यास पीएम मोदी ने किया था।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर विकसित हो गया है। 2017 तक मंदिर के आसपास बहुत संकरे रास्ते थे लेकिन
अब दिव्य और भव्य काशी बन गई है।

पूर्णता तक पहुंचेगी योजनाएं

आजादी के स्वर्णिम काल में हमें पूर्णता तक जाना है। शत-प्रतिशत गांवों में सड़के हों, शत-प्रतिशत
परिवारों के बैंक अकाउंट हो, शत-प्रतिशत पात्र लाभार्थियों के पास आयुष्मान भारत का कार्ड हो, शत-
प्रतिशत पात्र व्यक्तियों के पास गैस, बिजली कनेक्शन हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा
था, अमृतकाल का ये समय, सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने
का है। आने वाले 25 साल, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं। सैकड़ों वर्षों की गुलामी
में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 वर्ष का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है। इसलिए आजादी
के इस अमृत महोत्सव में हमारा ध्यान भविष्य पर ही केंद्रित होना चाहिए।

श्री महाकाली माताजी मंदिर, पावागढ़
करीब 500 वर्ष पहले आक्रमणकारियों ने मंदिर के शिखर और झंडे को ध्वस्त कर दिया था। पावागढ़
पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के शिखर को बहाल कर दिया गया। हाल ही में मंदिर के शिखर पर झंडा
फहराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘आजादी के 75 साल में भी पांच सदियों तक महाकाली
मंदिर के ऊपर झंडा नहीं फहराया गया था। मंदिर पर फहराया गया ध्वज न केवल हमारी आध्यात्मिकता
का प्रतीक है, बल्कि यह भी बताता है कि सदियां बीत जाती हैं, युग बीत जाते हैं, लेकिन हमारा विश्वास
शाश्वत है।’

राष्ट्रगान के 1.5 करोड़ वीडियो अपलोड
आजादी का अमृत महोत्सव की पहल में भारत सहित विश्वभर में रहने वाले 1.5 करोड़ भारतीयों ने
राष्ट्रगान गाकर उसका वीडियो आजादी का अमृत महोत्सव वेबसाइट पर अपलोड किया। तो वहीं रंगोली
बनाने, देशभक्ति गीत और लोरी लिखने की प्रतियोगिताओं में 5.5 लाख एंट्री आई।

विदेशों में 6 हजार से अधिक अमृत महोत्सव कार्यक्रम
विदेशों में स्थित भारतीय मिशनों ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 6 हजार से अधिक कार्यक्रम
आयोजित किए हैं। इसमें प्रवासी भारतीय, भारत के मित्रों और स्थानीय सरकार की भागीदारी रही।

अमृत महोत्सव पर 75 ऐतिहासिक स्थलों पर योग

8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर देश के 75 ऐतिहासिक स्थलों पर योग प्रदर्शन आजादी के अमृत
महोत्सव वर्ष को जनभागीदारी से जोड़ने की पहल है। मैसूर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो देश के बाकी
जगहों पर केंद्रीय मंत्री इन योग प्रदर्शन में शामिल हुए।

अगस्त क्रांति…
गुलामी के लंबे कालखंड के बीच संघर्षपथ पर चलते हुए भारत को आजादी मिली है। संघर्ष के इस सफर
में अगस्त का महीना खासा महत्व रखता है। क्योंकि भारत की आजादी की नींव कहे जाने वाले तीन
महत्वपूर्ण जनआंदोलन की वर्षगांठ अगस्त के माह में ही पड़ती है… और इसीलिए, ऐसे समय जब देश की
आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, हमें क्रांति के माह अगस्त में इन तीन आंदोलनों और उनके प्रभाव के
बारे में भी जानना चाहिए……

भारत छोड़ो – करो या मरो… आंदोलन के 80 वर्ष पूरे
आजादी के आंदोलन में 8 अगस्त की तारीख का बहुत बड़ा महत्व है। आज ही के दिन, 8-9 अगस्त
1942 की मध्यरात्रि में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अगुवाई में आजादी के लिए एक विराट जनांदोलन
शुरू हुआ था, अंग्रेजों भारत छोड़ो के साथ करो या मरो का नारा लगा था। अब वर्तमान नेतृत्व “करेंगे
और करके रहेंगे” के मंत्र को जनांदोलनों की मजबूत कड़ी बना रहा है। ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ भारत को
तुरंत स्वतंत्रता नहीं दिलवा पाया, लेकिन इसका दूरगामी परिणाम सुखदायी रहा। यही वजह है कि इस
आंदोलन को ‘भारत की स्वाधीनता के लिए किया जाने वाला अंतिम महान प्रयास’ कहा गया। यह सबसे
तीव्र और विशाल जन आंदोलन था।

असहयोग आंदोलन
उपनिवेशवाद के विरोध में महात्मा गांधी ने देशवासियों से अपील करते हुए असहयोग की मांग की।
औपचारिक रूप से 1 अगस्त 1920 को आंदोलन शुरू करते हुए महात्मा गांधी ने कहा कि स्कूल,
कॉलेज और न्यायालय न जाएं और न ही कर चुकाएं। यदि असहयोग का ठीक ढंग से पालन किया जाए

तो भारत एक वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त कर लेगा। इस पूरे आंदोलन में अंग्रेजों की क्रूरताओं के खिलाफ
केवल अहिंसक साधनों को अपनाया गया था।

अहसयोग आंदोलन का स्कूल-कॉलेज और न्यायालयों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा। कामगारों ने काम बंद
कर दिया। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 1921 में 396 हड़ताल हुईं जिसमें 6 लाख श्रमिक शामिल हुए
और 70 लाख कार्य दिवसों का नुकसान हुआ।

स्वदेशी आंदोलन
बंगाल विभाजन की घोषणा के बाद 7 अगस्त, 1905 को स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई। भारतीयों ने
सरकारी सेवाओं, स्कूलों, न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने
का संकल्प लिया। यानी ये राजनीतिक आंदोलन के साथ-साथ अंग्रेजों पर आर्थिक चोट करने वाला
आंदोलन भी था। स्वदेशी आंदोलन ने मुख्य रूप से तीन नेताओं को जन्म दिया जिनमें बाल गंगाधर
तिलक, बिपिन चंद्र पाल और लाला लाजपत राय शामिल थे। ये तीनों लाल, पाल और बाल के रूप में
जाने जाते थे।

आंदोलन के परिणामस्वरूप वर्ष 1905-1908 के दौरान विदेशी आयात में उल्लेखनीय गिरावट आई। इससे
देश में स्वदेशी कपड़ा मिलों, साबुन और माचिस की फैक्ट्रियों, चर्मशोधन कारखानों, बैंकों, बीमा कंपनियों,
दुकानों आदि की स्थापना हुई। इसने भारतीय कुटीर उद्योग को भी पुनर्जीवित किया।

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