नई दिल्ली: मैं जिंदगी अपनी शर्तों पर जीता हूं, आज जो कुछ भी हूं अपने बूते हूं, अगर लाइफ में मिस्टेक करने से डर गए तो कुछ नहीं कर पाओगे। ये थे हमारे वॉरन बफेट यानी राकेश झुनझुनवाला। हर पल मस्ती में जीने वाला शख्स। चाहे कैमरे सामने हों, लाइव चल रहा हो अगर पान मसाला खाना है तो खाना है। कोई टोक नहीं सकता। कई बीमारियां पर दिलेरी वही। बैठे हैं वील चेयर पर लेकिन जब कजरारे – कजरारे.. कजरारे तेरे नयना बजा तो झूमने लगे। दलाल स्ट्रीट का ये सरताज गमजदा कभी नहीं हुआ। आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो ये जानना जरूरी है कि राकेश झुनझुनवाला हमेशा देश और इकॉनमी के बारे में पॉजिटिव रहे। जब अकासा एयर लॉन्च किया और किसी ने विजय माल्या, गोपीनाथ का जिक्र कर पूछा कि बजट एयरलाइन चल पाएगी, जवाब आया – क्यों नहीं, रिस्क तो लेना पड़ेगा न। 350 करोड़ डॉलर में 70 प्लेन के ऑर्डर देने के बाद आज अकासा एयर आसमां छू रहा है तब राकेश झुनझुनवाला हमारे बीच नहीं है। आखिरी बार अकासा एयर की पहली फ्लाइट के मौके पर ही उन्हें देखा गया। हर जगह हम ये खबर देख रहे कि शेयर मार्केट का बिग बुल नहीं रहा। लेकिन ये पूरा सच नहीं है। राकेश झुनझुनवाला को तेजड़िया (बुल) किसी ने बनाया तो उनके अंदर बसे मंदड़िए (बीयर) ने। तब जब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर हर्षद मेहता का राज था।
हर्षद मेहता कैसे ऑपरेट करता और किसी शेयर के भाव को आसमान पर पहुंचाता इसे वेब सिरीज स्कैम-1992 में बखूबी दिखाया है। दलाल स्ट्रीट का असली बुल तो मेहता था। उसने एसीसी के शेयर को 200 रुपए से 9000 रुपए पर पहुंचा दिया। एक अप्रैल 1991 से मई 1992 के बीच बीएसई का सेंसेक्स रॉकेट हुआ जा रहा था। कुछ लोगों की राय थी मनमोहन सिंह सरकार के उदारीकरण से उम्मीद जगी है और इसीलिए तेजी आई है। लेकिन ये सच नहीं था। हर्षद मेहता रिजर्व बैंक के सारे नियमों को तोड़ कर सरकारी बैंकों से पैसा उठा रहा था और वो भी बिना किसी अनामत के।