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षड्यंत्र : नई जेनरेशन को पतन की ओर ले जाने से बाज आएं ओशोवादी

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सोनी (पूजा) सिंह

ओशो ने एक बार कहा था:
“मेरे कथन का मर्म न समझने के कारण मुझे पढ़-सुन कर बनेंगें कम, बिगड़ेंगे अधिक!”

  • यही सच सामने आ रहा है, वो भी उनके ठेकेदारों के जरिए।

किसी ओशो-वादी ने मुझ पर ईश्वरीय कृपा कर मेरे उद्धार के लिए मुझे सोशल मीडिया के ओशो ग्रुप्स से जोड़ दिया।
हे भगवान❗
ओशो के तमाम ग्रुप में अमूमन सम्भोग से समाधि की कथा ही भरी पड़ी मिलती है। सेक्स पाप नहीं, पाप नहीं : इसका ढोल बजा- बजा कर रगड़कर- रगड़कर अश्लील फ़ोटो डालते हैं, नंगी नारी की पिक्चर डालते हैं: हां, अपने घर की औरतों के न्यूड फोटो वे अलबत्ता नहीं डालते़।
वहाँ पोस्ट में विचार तो ओशो के होते हैं पर फ़ोटो में उनके निजी मानसिकता का परिचय होता है।
जहा अंदर की वासना कही रही है कि – “आओ सेक्स कर लो पाप नहीं…आओ पुण्य करें…तुम भी प्यासे हम भी प्यासे चलो प्यास मिटाएं…!”
समाधि जाए भाड़ में, सत्य की अनुभूति जाए भाड़ में : संभोग कर लें।
सम्भोग के लिए osho प्रवचन का सहारा मिल गया…सो जी भर कर नंगपना मचाओ….!

कोई अगर कमेन्ट कर दे कि भाई मर्यादा शब्द का भी ध्यान रखो, तो जबाब में कहते हैं ओशो-वादी कि-
“आपकी मनोदशा अत्यंत संकुचित है इलाज कराएं। अभी आप ओशो को समझ नहीं सकते।”
अरे! इतने ही खुले खुल्ले विचार है तो ख़ुद की नग्न तस्वीर डालो। अपनी मां-बहन-बेटी को नंगी परोसो तब तो समझ आए हम सबको…।

हालांकि सेक्स करना गलत नहीं पर भोली- भाली लडकियां या लड़के इन वासना से ग्रसित लोगों से जुड़ जाते हैं तो उनको क्या मिलता है? जरा बिचार कीज्ए।
..अंजाम बस वासना। वो पाते हैं कि सैक्स करो, किसी से भी करो, कहीं भी करो- यही प्रेम है❓
तब जो उसमे जो मासूमियत थी, किसी वास्तविक प्यास की जागरुकता थी वो ऐसे पाखंडियों से जुड़ने के बाद मर जाती है: क्योकि ये अपने कारनामों को किसी भी चीज का सहारा लेकर अपने परिणाम को देने पर तत्पर हैं।

ऐसा दोगला, पाखंडी, विकृत सोच वाला व्यक्ति समाज को देगा भी तो क्या देगा। अब इनसे सत्य की प्यास लेकर जुड़ने वाली नई जेनरेशन और गिरेगी.. ।

मेने इस मानसिकता का अध्ययन के लिए एक बड़े समूह में ओशो की एक पोस्ट डाली जिसमे सिंपल सादगी से भरी फ़ोटो यूज की।
लोगों के लाइक 50-60 करीब और कमेंट सामान्यतः 10 करीब थे।
कु़छ अंतराल उपरांत वही पोस्ट मेने एक उच्च कोटि की अश्लीलता से परिपूर्ण फोटो के साथ डाली। अब उसी पोस्ट को 1700 लाइक और करीब 180 कमेंट मिले। -तमाम स्वामी, माताएं, बहनें बतौर बुद्धजीबी हाजिर और साधु-साधु, ओशो नमन, गहरे विचार, अहोभाव,…. जैसे कमेंट की भरमार।
बड़े-बड़े तथाकथित बुद्धिजीवी जो बिल में छिपे थे मौन होकर , सब टपकने लगे… ।

इससे यह तो स्पष्ट होता है कि- जड़ता-जनित घामड़ता से ग्रसित आम लोगों की भॉति इन ओशो-वादी लोगों को भी ज्ञान की सच्ची प्यास से मतलब कम है। समाधि की प्यास कम है सिर्फ सम्भोग की प्यास भरी पड़ी है!
सम्भोग की प्यास बुरी नहीं, पर क्या वास्तव में उसमें उसी प्रेम का वास है, जिसे वैश्विक फ़िलॉसफ़ी या ‘स्वयं’ ओशो ने प्रेम कहा है❓

वासना प्रेमपूर्ण सेक्स में भी होती है, जिस कारण नर-नारी के जज्बात deeply जुड़े होते हैं। पर जो सिर्फ सेक्स तक ही सीमित है, वो भावनाओं का जज्बातों कत्ल कर देते हैं।
क्योंकि उनका प्रेम/सेक्स जिस्म तक ही लटका होता है, चाहे ‘वह’ जिस्म किसी का भी हो।
(चेतना विकास मिशन)

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