इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) ने अपने 10 करोड़ रजिस्टर्ड यूजर्स के उपलब्ध डेटा के जरिए कमाई की योजना बनाई है। दरअसल, IRCTC ने एक टेंडर जारी किया है। इस टेंडर में डिजिटल डेटा मुद्रीकरण के लिए एक सलाहकार की नियुक्ति करने का प्रस्ताव है। यह सलाहकार यूजर्स के डेटा बेचने के तरीके के बारे में सुझाव देगा।
IRCTC के टेंडर डॉक्युमेंट के मुताबिक नियुक्त सलाहकार यूजर्स के जिन डेटा की स्टडी करेगा, उसमें नाम, उम्र, मोबाइल नंबर, लिंग, पता, ईमेल-आईडी, नंबर शामिल हैं। इसके अलावा यात्री की श्रेणी, भुगतान मोड, लॉगिन/पासवर्ड डेटा पर भी मंथन करेगा।
सलाहकार का क्या होगा काम: टेंडर के मुताबिक सलाहकार को डिजिटल डेटा सिस्टम तक पहुंच भी दी जाएगी। टेंडर में यह भी कहा गया है कि सलाहकार डेटा और आईटी से जुड़े विभिन्न अधिनियमों या कानूनों का अध्ययन करेगा। सलाहकार की ओर से यह सुझाव दिया जाएगा कि कैसे यूजर्स के डेटा से कमाई की जा सकती है। इसके लिए नियुक्त सलाहकार एक रोडमैप तैयार करेगा। इस कदम के जरिए IRCTC को अपने मार्जिन में सुधार करने में मदद मिलेगी।
डेटा को लेकर आशंका: इस खबर ने IRCTC के करोड़ों यूजर्स के बीच आशंका पैदा कर दी है क्योंकि भारत में अभी भी डेटा सुरक्षा कानून नहीं है। हाल ही में, केंद्र सरकार ने विवादास्पद पर्सनल डेटा संरक्षण विधेयक 2019 को वापस ले लिया था। इसका मकसद था कि कंपनियां और सरकार नागरिकों के डिजिटल डेटा का उपयोग कैसे कर सकती हैं।
विशेषज्ञों का क्या कहना है: डिजिटल अधिकारों और स्वतंत्रता की वकालत करने वाले दिल्ली स्थित गैर-सरकारी संगठन इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने टेंडर पर चिंता जताई है और ट्वीट्स की एक श्रृंखला में इसके नुकसान का जिक्र किया है। इसमें कहा गया है कि आईआरसीटीसी को नागरिकों के अधिकारों और हितों पर विकृत व्यावसायिक हितों को प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए। डेटा संरक्षण विधेयक, 2021 की हालिया वापसी को देखते हुए, इस तरह का कदम अधिक चिंताजनक हो जाता है।