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कांग्रेस की बढ़ने वाली हैं समस्याएं,G-23 ग्रुप के नेता नहीं हैं खामोश

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नई दिल्ली: कांग्रेस के साथ समस्याएं कम नहीं हो रही है। पार्टी के अंदर इतने सारे डेंट हो गए हैं कि एक को सुधारती है तो दूसरा डेंट हो जाता है। कांग्रेस ने कुछ समय पहले पार्टी रिफॉर्म किया। नेताओं को नई जिम्मेदारियां सौंपी गई। थोड़े वक्त के लिए ऐसा भी लगा कि पार्टी के अंदर जी-23 ग्रुप के नेता शांत हो गए हैं। कपिल सिब्बल ने सपा जॉइन कर ली और वो राज्यसभा पहुंच गए। ऐसा लगा अब पार्टी में इन नेताओं की ओर से टेंशन नहीं मिलेगी लेकिन पहले गुलाम नबी आजाद और अब आनंद शर्मा ने हिमाचल चुनाव से पहले संचालन समिति की अध्यक्षता से इस्तीफा दे दिया। पहले जम्मू-कश्मीर अभियान समिति के प्रमुख के रूप में गुलाम नबी आजाद का इस्तीफा और आज दोपहर आनंद शर्मा का इस्तीफा गया। ये दोनों नेता पार्टी के भीतर जी-23 गुट के नेता माने जाते हैं। इस्तीफा देने के साथ ही इन नेताओं की ओर से जो बयान आए उसके बाद ऐसा लगता है कि कांग्रेस की मुसीबत एक बार फिर बढ़ने वाली है। हिमाचल प्रदेश, गुजरात में विधानसभा चुनाव इसी साल हैं और उससे पहले इन नेताओं की ओर से यह कदम ऐसे वक्त है जिसको लेकर कई सवाल हैं।

जी-21 नेताओं ने बगावती सुर
गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल एक वक्त इनकी बात को नजरअंदाज करना कांग्रेस के भीतर मुश्किल था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हालात अब वैसे नहीं रहे। हालांकि पार्टी के भीतर से ही यह सभी नेता पार्टी की नीतियों को लेकर लगातार सवाल खड़े करते रहे। पार्टी अध्यक्ष के चुनाव सहित कई मुद्दों को लेकर जी 23 के नेताओं ने बागी सुर अपना लिए। सिब्बल के जाने के बाद ऐसा लगा मामला ठंडा पड़ गया लेकिन गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा दोनों के इस्तीफे के बाद अब सवाल फिर से उठने लगे हैं कि क्या जी-23 ग्रुप फिर से सक्रिय हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने 26 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, सीएलपी नेता और अभियान समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था। एआईसीसी ने आठ अन्य समितियों की भी घोषणा की थी, जिसमें एक संचालन समिति शामिल थी, जिसके अध्यक्ष आनंद शर्मा और संयोजक के रूप में आशा कुमारी थीं।

शर्मा ने दिया पार्टी पद से इस्तीफा
शर्मा के कार्यालय के करीबी सूत्रों ने एक लेटर साझा किया है। इस पत्र में लिखा गया है, ‘समितियों की बहुलता और कार्यों के ओवरलैपिंग को कार्यात्मक उद्देश्यों के लिए स्पष्टता की आवश्यकता है। मैंने जीएस (महासचिव) संगठन और एआईसीसी प्रभारी से अनुरोध किया था कि संचालन समिति के जनादेश और संचालन समिति की भूमिका को स्पष्ट करने के लिए संचालन समिति के आदेश को स्पष्ट करें। शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष से कहा है कि परामर्श प्रक्रिया में उनकी अनदेखी की गई है। हालांकि, उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वह राज्य में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना जारी रखेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता शर्मा को 26 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में पार्टी की संचालन समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।

भारी मन से दिया इस्तीफा- आनंद शर्मा
इस्तीफा देने के बाद आनंद शर्मा ने ट्वीट किया, ‘मैंने हिमाचल चुनाव के लिए कांग्रेस की संचालन समिति की अध्यक्षता से भारी मन से इस्तीफा दिया है। यह दोहराते हुए कि मैं आजीवन कांग्रेसी हूं और अपने विश्वास पर कायम हूं। मेरे खून में दौड़ने वाली कांग्रेस की विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध हूं। इसमें कोई शक नहीं है, हालांकि, एक स्वाभिमानी व्यक्ति के रूप में निरंतर बहिष्कार और अपमान को देखते हुए- मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था।’

मार्च में गुलाम नबी की डिनर पार्टी
इस पूरे मैटर को समझने के लिए थोड़ा पीछे लौटना होगा। मार्च के महीने में पांच राज्यों में हुए चुनावों में पार्टी की हार हुई। उसके बाद पार्टी में उथल-पुथल मच गई है। कभी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के खासमखास सिपहसलारों में शुमार शशि थरूर, मणिशंकर अय्यर, गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के संचालन से लेकर सुधार तक के लिए मोर्चा खोल दिया। सोनिया एकदम अकेली हो गईं थीं। यही नहीं, सूत्रों के अनुसार इस बैठक में राहुल गांधी को लेकर भी परोक्ष आवाजें उठीं।

सोनिया गांधी ने गुलाम को किया था फोन
इसके बाद जी-23 के नेताओं की आजाद के घर डिनर किया गया। इस मीटिंग में चुनाव में हार को हल्के में लेना और जी-23 नेताओं पर हमले को लेकर चिंता जताई गई। बैठक में पार्टी आलाकमान को सामूहिक नेतृत्व की नसीहत दी गई। उसके बाद सोनिया गांधी ने जी-23 के नेताओं को मनाने के लिए खुद एक्टिव हुईं थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष ने आजाद से बात भी की थी। पिछले साल जी-23 के नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष को एक चिट्ठी लिखी थी जिसके बाद बड़ा बवाल मचा था। बैठक में शशि थरूर, मणिशंकर अय्यर, परनीत कौर, हरियाणा के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, गुजरात के नेता शंकर सिंह वघेला और पंजाब की नेता रजिंदर कौर भट्टल भी शामिल हुईं। इसके बाद ही आल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में तमाम राज्यों के प्रतिनिधियों की जिम्मेदारियों का ऐलान किया गया।

गुलाम नबी से ठुकराया प्रस्ताव
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को केंद्र शासित प्रदेश में पार्टी की प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त किया, लेकिन आजाद ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया। जम्मू और कश्मीर में संगठन में सुधार के तौर पर गांधी ने आज़ाद के करीबी माने जाने वाले विकार रसूल वानी को अपनी जम्मू-कश्मीर इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। आजाद को राज्यसभा से सेवानिवृत्त होने के बाद दोबारा उच्च सदन में नहीं भेजा गया था। नाराजगी की एक वजह ये भी सामने आ रही है।

गुलाम के खास को दिया गुलाम का पद
कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता रमन भल्ला को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। पूर्व पीडीपी नेता तारिक हामिद कर्रा को अभियान समिति के उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया गया है। नियुक्तियों को सार्वजनिक किए जाने के कुछ घंटे बाद, सूत्रों के हवाले से पता लगा है कि आज़ाद ने गांधी के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। हालांकि, वानी ने गुलाम अहमद मीर की जगह ली है जिन्होंने आठ साल तक इस पद पर रहने के बाद जुलाई में इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि सोनिया ने गुलाम अहमद मीर का प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उनके स्थान पर रसूल वानी को अध्यक्ष नियुक्त किया। आजाद के करीबी माने जाने वाले वानी प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और बानिहाल से विधायक रह चुके हैं।

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