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निर्भया केस में फांसी और बिल्किस केस में माफी ! आखिर ऐसा क्यों ? 

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निर्मल कुमार शर्मा

वर्ष 2012के 16दिसम्बर की धुंध भरी और भयावह ठंड में इस देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सड़क पर चलती बस में बस के ही ड्राइवर,खलासी और उनके अन्य दो साथियों ने एक लड़की के साथ भयंकरतम् ढंग से बलात्कार किया,केवल बलात्कार ही नहीं किया अपितु लोहे की सरिया से उस लड़की के गुप्तांगों को क्रूरता और बर्बरता की सीमा को लांघते हुए अंदरूनी शारीरिक अंगों यथा आंतों और लीवर को भी भयंकरतम् चोट पहुंचाई,जिससे वह बलित्कृता और बुरी तरह से घायल लड़की कुछ समय पश्चात असमय ही मौत के गाल में समा गई !

               इस भयावह बलात्कार केस में संलिप्त 4बलात्कारियों क्रमशः 24 वर्षीय पवन गुप्ता, 25वर्षीय विनय शर्मा,31वर्षीय मुकेश तथा चौथे मुजरिम 33 वर्षीय अक्षय कुमार सिंह को ठीक 7 वर्ष 3महीने 3दिन चले कठिन व उबाऊ न्यायिक प्रक्रिया के बाद 20 मार्च 2020 को फांसी पर लटकाकर मृत्यु दंड दे दिया गया।

             लेकिन उक्त वर्णित जघन्यतम् बलात्कार मामले से ठीक 10 वर्ष 9 महीने 13दिन पूर्व श्रीयुत् श्रीमान् नरेंद्र दास दामोदरदास मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरात राज्य में मुसलमानों को बदनाम करने के उद्देश्य से बहुत ही सुनियोजित तौर पर हिन्दू-मुस्लिम दंगे कराने के लिए गोधरा रेलवे स्टेशन के पास 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बे में जानबूझकर आग लगाकर अयोध्या से लौट रहे 59 निर्दोष हिन्दू कारसेवकों को मौत के घाट उतार दिया गया था ! जाहिर है गोधरा में जानबूझकर किए गए इस अग्निकांड में मारे गए सभी 59 निर्दोष हिन्दू कारसेवकों की हत्या का आरोप मुसलमानों पर मढ़ दिया गया,योजना सफल रही,लगभग पूरा गुजरात हिन्दू -मुस्लिम दंगे रूपी दावानल में धू-धूकर जलने लगा !

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी दोनों के संयुक्त तत्वावधान में तैयार किए गए बजरंग दल के गुंडे गुजरात भर में बसे मुसलमानों  को चुन-चुनकर उनके घरों में आग लगाने लगे, उनकी निर्ममता और बर्बरतापूर्वक हत्या करने लगे तथा उनकी जवान बेटियों और बीबियों से सामूहिक बलात्कार तक करने लगे !

   बिल्किस केस में बलात्कार के साथ 7 निर्दोष लोगों की जघन्यतम् हत्या भी !

            ______________

         उन्हीं मुस्लिम बलित्कृता औरतों में उस समय पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो नामक एक 21वर्षीया मुस्लिम महिला भी थी,जो उक्त वर्णित गुंडों और अतिवादियों से अपनी,अपनी 3वर्षीया एक बच्ची तथा अपने अन्य 15अपने परिजनों के साथ अपने गांव से भागकर अपने गांव से मीलों दूर एक खेत में छिप  गई थी,लेकिन दुर्भाग्यवश 3मार्च 2002को उक्त वर्णित आरएसएस और बीजेपी के बजरंग दल के 20 से लेकर 30 तक गुंडे उन्हें अपने दरांती, तलवार और लाठियों के साथ चारों तरफ से घेरकर हमला कर दिए थे !  

सबसे पहले इन आतंकवादी गुंडों ने बिल्किस बानो की आंखों के सामने ही उसकी 3वर्षीया बच्ची को पटक-पटक कर जघन्यतम् हत्या कर दिए उसके बाद बिल्किस बानो सहित अन्य 3मुस्लिम महिलाओं के साथ इन गुंडों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद इस परिवार के 7अन्य सदस्यों की निर्मम तरीके से हत्या कर दिए ! बिल्किस बानो के परिवार के 7सदस्य जैसे-तैसे अपनी जान बचाकर भागने में सफल हो गए थे, नहीं तो बिल्किस बानो के पूरे परिवार को ही ये गुंडे मौत के घाट उतार देते !

इन सभी गुंडों के खिलाफ इनके गृहराज्य गुजरात से बाहर महाराष्ट्र में मुकदमा चला,सीबीआई की विशेष अदालत ने 21जनवरी 2008 को बिलकिस बानो के परिवार के 4 सदस्यों से सामूहिक दुष्कर्म और 7सदस्यों की हत्या के आरोप में 11आरोपियों,जिनका नाम क्रमशः जसवंतभाई नाई, गोविंदभाई नाई,शैलेश भट्ट,राधेश्याम शाह,बिपिन चंद्र जोशी,केसरभाई वोहानिया,प्रदीप मोर्धिया,बकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी,मितेश भट्ट और रमेश चंदना है,को उम्रकैद या आजीवन कारावास की कठोर सजा सुनाई थी ! उन्हें भारतीय दंड संहिता के तहत एक गर्भवती महिला से बलात्कार की साजिश रचने,हत्या करने और गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने के आरोप में दोषी ठहराया गया था।

               अब बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा इस देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस,जिसे ये अमृत महोत्सव बता रहे हैं,अपने विशेष प्रभाव से उक्त 11बलात्कारियों और हत्यारों को, जिन्हें कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी,को गोधरा के जेल से मुक्त कर दिया है,यही नहीं जेल से छूटे इन बलात्कारी दरिंदों को कुछ मानसिक रूप से विक्षिप्त पुरुष और स्त्रियोचित्त गुणों और करूणा से रहित महिलाएं फूलमाला पहनाकर और चंदन का टीका लगा कर तथा इन सभी दरिंदे,बलात्कारी, हत्यारों के मुंह में मिठाई खिलाकर इन दरिंदों को सम्मानित करने का भी करने का कुकृत्य किया है ! 

  क्या मोदीजी के कथित सुराज में न्याय की परिभाषा बदल गई है ?

 अब प्रश्न उठता है कि क्या श्रीयुत् श्रीमान् नरेंद्र दास दामोदरदास मोदी के प्रधानमंत्रीत्वकाल में सर्वमान्य न्याय की परिभाषा ही बदल गई है ! एक तरफ अभी केवल लगभग ढाई वर्ष पूर्व निर्भया बलात्कार केस में उसके सभी चारों आरोपियों को फांसी पर लटकाकर कठैरतम् मृत्यु दंड दे दिया गया ! दूसरी तरफ बिल्किस बानो के बलात्कारियों और हत्यारों को,जो उसके 7अन्य परिवारिक सदस्यों की निर्मम हत्या तक भी किए हैं,आम माफी कैसे दे दी गई !

            ऐसा तो नहीं कि निर्भया एक हिन्दू लड़की थी और बिल्किस बानो एक मुस्लिम महिला है ! निर्भया के बलात्कारी साधारण बलात्कारी थे लेकिन बिल्किस बानो के बलात्कारी और हत्यारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के विशिष्ट बजरंग दल जैसे आतंकवादी गुट के सबसे प्रिय और लाडले गुंडे हैं !

 क्या भारत में अन्य धर्मों की स्त्रियां न्याय पाने की हकदार नहीं हैं ?

          फिर प्रश्न उठता है कि क्या निर्भया एक स्त्री थी तो बिल्किस बानो मुस्लिम समाज के होने के नाते स्त्री नहीं है ? स्त्री कोई भी हो,किसी भी धर्म की हो चाहे हिन्दू धर्म की हो,इस्लाम धर्म की हो, ईसाई हो,बौद्ध हो या जैन हो,है तो स्त्री ही ! क्या भारतीय न्यायिक व्यवस्था और इस राष्ट्र राज्य के कर्णधार धर्म और जाति के आधार पर अपनी न्यायिक प्रक्रिया निर्धारित करते हैं ? अगर हां तो इस कथित व्यवस्था को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए !    

-निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद, उप्र, संपर्क – 9910629632,

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