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स्वतंत्रता का कथित 75 वां अमृत महोत्सव !

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                   बनाम

दलित समाज का एक अबोध,नन्हां सा बच्चा !

निर्मल कुमार शर्मा

राजस्थान के जालोर जिले में स्थित सरस्वती विद्या मंदिर के संचालक और अध्यापक शैल सिंह को सब पता था ! उसे इतना तक पता था कि तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले इंद्र कुमार मेघवाल की जाति क्या है ? अगर नहीं पता होता तो उसे इंद्र कुमार मेघवाल पर इतना गुस्सा ही नहीं आता ! मास्टर को गुस्सा आया ही इसलिए कि इंद्र कुमार अनुसूचित जाति का बच्चा था ! इस छोटे से बच्चे को वह केवल मारा ही नहीं,वह उस बच्चे को मारते समय उस बच्चे को जातिसूचक नाम लेकर गालियां भी देता रहा..! उस नन्हें बच्चे को वह नरपिशाच इतना मारा कि बच्चे की आंख और कान में गंभीर चोटें आईं,वह बच्चा इतनी बुरी तरह से घायल हुआ कि उसके मां-बाप अपने बच्चे को लेकर गुजरात के अहमदाबाद तक चले गए..! एक बच्चे को इसलिए मार दिया गया क्योंकि वह दलित था ! “जबकि 9 साल का छोटा सा बच्चा इंद्र कुमार मेघवाल ! उसे क्या पता था कि इस भारत महान देश में जाति के हिसाब से मटके रखें जाते हैं ! उसे तो अभी तक यह भी पता नहीं था कि उसकी जाति क्या है ? जिससे कथित अहिंसक सनातनी या हिन्दू समाज इतनी नफ़रत करता है ! उस नन्हें बच्चे को तो प्यास लगी और वह सामने रखे मटके से पानी पी लिया..बस !  

         ‘इस आजाद देश में इंद्र की मां,इंद्र के पिता, इंद्र के चाचा,इन सभी का कलेजा फट गया होगा कि यह कैसी आजादी है कि पानी पीने पर,उनके बच्चे की हत्या कर दी गई ! सिर्फ इस बात पर कि वह दलित था ! ‘यह कोई पहली घटना नहीं है,यह कोई अपवाद नहीं है,इस कथित भारत महान में हर दिन ऐसी खबरें छपती ही रहती हैं ! दु:ख की बात यह भी है कि जिनके जहन में जाति का जहर फैला हुआ है,वह भी तिरंगा लेकर इस भीड़ में छिपे हुए हैं ! जिनके जहन में धर्म का जहर फैला हुआ है,वह भी तिरंगा लेकर इसी भीड़ में छिपे हुए हैं ! दिख गया केवल छोटा बच्चा इंद्र कुमार,जिसे उसके मास्टर ने मार-मार कर उस नन्हें बच्चे की जान ही मार दिया,क्योंकि वह दलित था ! कुत्सित और फ्राड लोगों के इस समाज में तरह-तरह के ढोंगी हैं लेकिन इस ढोंग का क्या इलाज किया जाए ?बनाओ,भारत को विश्व गुरु और मटकी से पानी पीने पर ही किसी मार दो किसी अबोध बच्चे को ! ये कैसा विश्व गुरु देश है !”

             आखिर दलितों,आदिवासियों,पिछड़ों, अल्पसंख्यकों,ईसाईयों,सिक्खों और मुसलमानों आदि के साथ कथित उच्च जातियों के गुंडों और अतिवादियों,उनका समाज,उनकी फासिस्ट सरकारें और उनके प्रेरक संस्था,जो आज दुनिया की सबसे सुव्यवस्थित और बड़ा आतंकवादी संगठन है,जिसे हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कहते हैं,हर हाल में इस देश पर कथित हिन्दू राष्ट्र बनाने के बहाने इस राष्ट्र राज्य पर नरपिशाच मनु द्वारा मनुस्मृति को शीघ्रातिशीघ्र थोपना चाहते हैं ! यह बहुत कुछ संभव है कि अगर इस देश में वर्ष 2024 में होनेवाले संसदीय चुनाव में ये दक्षिणपंथी,फासिस्ट मोदी सरकार विजयी होती है,तो निश्चित रूप से इस देश में बाबा डाक्टर बीआर अंबेडकर द्वारा समानता,भाई-चारे, सहिष्णुता और इंसानियत के आधार पर बनाए गए भारतीय संविधान को नष्ट-भ्रष्ट करके जातिवादी वैमनस्यता और जन्म आधारित मनुस्मृति जिसमें प्राचीन काल के भारतीय समाज में ऊंच-नीच,अश्यपृश्यता छूआछूत आदि से समाहित भारतीय जातिवादी कुव्यवस्था,जिसमें ब्राह्मण जन्म से ही कथित तौर पर सबसे सर्वश्रेष्ठ,उसके बाद क्षत्रिय, फिर वैश्य और केवल और केवल इन तथाकथित तीनों उच्च जातियों की सेवा करने के लिए 85प्रतिशत की विशाल जनसंख्या जिसे शूद्र के नाम से ये शातिर लोग  पुकारते हैं,को सबसे निचले पायदान पर रखेंगे !तब की स्थिति बहुत ही भयावह होगी ! 

 या तो 85 प्रतिशत बहुजन लोग बौद्ध धर्म अपना लें या साम्यवादी व्यवस्था ! 

           इसके समाधान के लिए इस भारतीय में उपस्थित कथित 85प्रतिशत शूद्र लोग सर्वप्रथम आपस में जातिवादी वैमनस्यता आधारित जातिवाद का शमन करते हुए,आपस में सभी शूद्र कहीं जानेवाली जातियां वैवाहिक संबंध स्थापित करें,इसके आधार पर ही एक बहुत बड़े समूह की सशक्त संगठित और प्रबलतम् संगठन बन सकता है और गोलबंदी हो सकती है ! तभी इन शातिरों का मुकाबला किया जा सकता है !  आज इन शातिरों के विरूद्ध शूद्र कहीं जानेवाली जातियों में कोई भी एक जाति मुकाबला कर ही नहीं सकती !               इसका अगला चरण इस देश के 85प्रतिशत की विशाल जनसंख्या वाली आबादी बाबा डाक्टर भीमराव अंबेडकर के पदचिन्हों पर चलते हुए या तो सामूहिक रूप से जातिविहीन और इंसानियत और सामाजिक समरसता का जबरदस्त पोषक बौद्ध धर्म अपना लें या साम्यवादी देशों की तरह जाति व वर्ग विहीन साम्यवाद का रास्ता अपनाया जाय !..और इस देश की 85 प्रतिशत भूमि और संसाधन पर इन 85 प्रतिशत विशाल बहुजनों का कब्जा करके एक संप्रभु राष्ट्र राज्य बने ! केवल 15 प्रतिशत भूभाग पर ये जातिवाद और मनुस्मृति के प्रबल समर्थक अपना हिन्दू राष्ट्र बनाकर रहें ! इसके अलावा अन्य कोई भी विकल्प ही नहीं है,अब स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि केवल धरने,प्रदर्शन और जुलूस निकालने से कुछ भी परिवर्तन संभव ही नहीं है,क्योंकि इस देश के प्रशासन,न्यायपालिका,पुलिस,सेना,आदि सभी संस्थाओं और निकायों में इन शातिर,बदमाश लोगों ने अपनी जबरदस्त पकड़ बना रखी है ! हकीकत यह है कि आज स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि न्यायालय,पुलिस,प्रशासन,मिडिया से आप जनहितकारी,मानवीय,न्यायोचित निर्णयों की आशा कर ही नहीं सकते, क्योंकि इन सभी निकायों में सामान्यत :95प्रतिशत तक वर्चस्व इन्हीं 15 प्रतिशत कथित तौर पर घोषित उच्च जातियों का हो चुका है !

        -निर्मल कुमार शर्मा गाजियाबाद उप्र संपर्क – 9910629632, ईमेल – nirmalkumarsharma3@gmail.com

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