अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

स्त्री अधिकारों के अनन्य योद्धा श्रीकृष्ण

Share

गिरीश मालवीय

बलात्कारी भौमासुर का वध करने वाले और भरी सभा में द्रोपदी की लाज बचाने वाले श्रीकृष्ण के जन्मदिवस का पावन महोत्सव जन्माष्टमी पुरे देश में हर्षोल्लास से मनाया गया है और उसी श्रीकृष्ण की कर्मस्थली गुजरात में विश्व हिंदू परिषद द्वारा बिलकिस बानो के गैंग रेप करने वालों 11 दोषियों को जेल से रिहा कर, माला पहनाकर स्वागत किया जा रहा है.

श्रीकृष्ण को स्त्री अधिकारों के अनन्य योद्धा माना जाता है. वे मानते हैं कि स्त्री के सम्मान की रक्षा का जिम्मा सिर्फ उसके पति या निकटस्थ बंधु बांधवों का नहीं अपितु उसके सम्मान की रक्षा का दायित्व राज्य का है, समाज का है.

श्रीकृष्ण अपनी लीलाओं में स्त्री सम्मान के लिए, उसकी मर्यादा की रक्षा के लिए हर सीमा को पार कर देते हैं और इसलिए हिन्दू धर्म में उन्हें आराध्य माना जाता है. कृष्ण के देहांत से द्वापर युग की समाप्ति हुई और कलियुग की शुरूआत हुई.

वाकई कलियुग ही है जहां दिन रात सनातन धर्म और संस्कृति की बात करने वाला दल एक स्त्री का बलात्कार और उसके बंधु बांधवों की जघन्य हत्या करने वालो का फूलों की माला पहना कर सम्मान कर रहा है, और हमारा आज का यह सनातन धर्म के गौरव की बात करने वालों का हिन्दू समाज ऐसे कुकृत्य पर मौन सहमति दे रहा है.

यह तो हुई इस गिरे हुए समाज की बात. अब इस प्रकरण में राज्य की भूमिका भी जान लीजिए. मुंबई में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 2008 में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में इन 11 अभियुक्तों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी. बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस सज़ा पर अपनी सहमति की मुहर लगाई थी.

उम्रक़ैद की सज़ा पाए क़ैदी को कम से कम चौदह साल जेल में बिताने ही होते हैं. चौदह साल के बाद उसकी फ़ाइल को एक बार फिर रिव्यू में डाला जाता है. उम्र, अपराध की प्रकृति, जेल में व्यवहार वगैरह के आधार पर उनकी सज़ा घटाई जा सकती है लेकिन इस प्रावधान के तहत हल्के जुर्म के आरोप में बंद क़ैदियों को छोड़ा जाता है, संगीन मामलों में ऐसा नहीं होता है.

फिर भी बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या में सज़ा काट रहे सभी 11 दोषियों को 14 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया गया. केंद्र सरकार ने सज़ा भुगत रहे कैदियों की सज़ा माफ़ी के बारे में सभी राज्यों को जून 2022 में जो दिशा निर्देश जारी किए थे, उसमें भी ये ही कहा था कि उम्रकै़द की सज़ा भुगत रहे और बलात्कार के दोषी पाए गए क़ैदियों की सज़ा माफ़ नहीं की जानी चाहिए.

गुजरात के गृह विभाग ने 23 जनवरी 2014 को कै़दियों की सज़ा माफ़ी और समय से पहले रिहाई के लिए दिशानिर्देश और नीति जारी की थी, उसमें भी ये साफ़ तौर पर कहा गया था कि दो या दो से अधिक व्यक्तियों की सामूहिक हत्या के लिए और बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के दोषी सज़ायाफ़्ता कैदियों की सज़ा माफ़ नहीं की जाएगी.

इस नीति में ये भी कहा गया था कि जिन क़ैदियों को दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1946 के तहत की गई जांच (सीबीआई जांच) में अपराध का दोषी पाया गया, उनकी सज़ा भी माफ़ नहीं की जा सकती और न ही उन्हें समय से पहले रिहा किया जा सकता है.

बीबीसी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत वकील प्योली स्वतिजा कहती हैं कि ये उनकी समझ से बाहर है कि किस तरह गुजरात सरकार की कमिटी ने इस मामले के दोषियों की सज़ा माफ़ करके उन्हें रिहा करने का फै़सला किया. वे कहती हैं –

‘एक बार जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि सज़ा माफ़ी का फ़ैसला गुजरात सरकार ही कर सकती है तो गुजरात सरकार ने जो कमिटी बनाई उसके पास शक्तियां थीं लेकिन वो उन शक्तियों का इस्तेमाल आंख मूंदकर नहीं कर सकती थी. उनको ये ज़रूर देखना चाहिए था कि अपराध की प्रकृति क्या थी. इन पहलुओं को देखना ही होता है कि न केवल क़ैदी का व्यवहार कैसा है पर अपराध की प्रकृति क्या है. अगर अपराध की प्रकृति देखी जाती तो मुझे नहीं लगता कि एक अच्छे अंतःकरण वाली कमिटी कैसे इस तरह का फ़ैसला ले सकती थी.’

आज ख़बर आई है कि इस अच्छे अंतःकरण वाली कमिटी मे अध्यक्ष थे पंचमहल के कलेक्टर सजल मायतरा और सदस्य थे – गोधरा भाजपा सचिव स्नेहा भाटिया, भाजपा विधायक सी. के. राउजी, भाजपा विधायक सुमन चौहान, गोधरा नगर पालिका के पूर्व प्रमुख भाजपा के मुरलीधर मूलचंदानी.

उसी तरह, 2018 की एक घटना है. महिला का कहना है कि शाहनवाज हुसैन ने छतरपुर फार्म हाउस में उसके साथ दुष्कर्म किया व जान से मारने की धमकी दी. अब तक यह मामला दबा कर रखा गया था, वो तो भला हो दिल्ली हाईकोर्ट का जो उसने जांच के आदेश दिए और दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सभी तथ्यों को देखने से स्पष्ट है कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने तक में पुलिस की ओर से पूरी तरह से अनिच्छा नजर आ रही है.

यह है आज के देश समाज का हाल. रात 12 बजे लोग श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव तो जरूर मनाएंगे लेकिन समाज में चल रहे हैं ऐसे घोर पाप की चर्चा करना पसंद नहीं करेंगे !

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें