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अयोध्या की तरह विकसित हो चित्रकूट, विधायक नारायण त्रिपाठी करेंगे पदयात्रा

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भोपाल

मध्यप्रदेश में ‘राम वन पथ गमन’ से जुड़े सतना के सिद्धा पहाड़ पर उत्खनन की अनुमति को लेकर सियासत गरमा गई है। जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां उत्खनन पर रोक लगा दी। इससे पहले शुक्रवार दोपहर मैहर के भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी इस मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे। इससे पहले ही सीएम शिवराज सिंह ने ट्वीट कर उत्खनन पर रोक लगाने के निर्देश दे दिए। अब विधायक त्रिपाठी ने चित्रकूट से सिद्धा पहाड़ तक पदयात्रा करने और धर्म सभा करने का ऐलान किया है। इस पर कांग्रेस ने कहा है कि कमलनाथ के विरोध के बाद सरकार झुक गई है। दरअसल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी इसे ‘राम वन गमन पथ’ को नष्ट करने की साजिश बताया था।

विंध्य अंचल को लेकर शासन व सरकार द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों से लगातार राजनीति गर्माती जा रही है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में राम सीता लक्ष्मण मंदिर का मामला अभी शांत ही हुआ था की अब सतना जिले के भगवान राम पथ गमन पर स्थित सिद्धा पहाड़ पर खनन के मामले ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। इस मामले में पक्ष व विपक्ष लामबंद हो गया है। इस पहाड़ को लेकर पूर्व में भी एक दशक पहले इसी तरह के हालात बने थे, जिसकी वजह से पहाड़ पर खनन का निर्णय सरकार को वापस लेना पड़ गया था। दरअसल विंध्य वह इलाका है ,जहां पर बीते चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई थी, लेकिन इस तरह के मामलों में अब कांग्रेस सक्रिय भूमिका निभाकर अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का प्रयास करती हुई दिख रही है। उधर, भाजपा के मैहर विधायक ने भी इस मामले में मोर्चा खोल दिया है। सरकार द्वारा खनन देने की अनुमति देने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही इस तरह के हालात बनने से एक बार फिर सरकार को कदम पीछे खीचने पड़ सकते हैं। इस मामले में भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने सीएम को पत्र लिखकर पहाड़ को खनन मुक्त क्षेत्र घोषित करने की मांग की है तो वहीं कांग्रेस भी पूरी तरह से हमलावर हो गई है।

CM ने लिखा- नहीं होगा उत्खनन

सीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा-

अब पदयात्रा करेंगे विधायक नारायण त्रिपाठी
विधायक नारायण त्रिपाठी ने दैनिक भास्कर से कहा- जैसे ही, सिद्धा पहाड़ का मामला मेरे संज्ञान में आया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मप्र और उप्र के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा। सिद्धा पहाड़ पर उत्खनन और व्यापारिक गतिविधियों के जरिए हिंदू आस्था पर चोट पहुंचाई जा रही है। ये ऋषि मुनियों की तपोभूमि वाला पहाड़ है। उसकी 84 कोसी परिक्रमा के दायरे में खनिज उत्खनन की गतिविधियां चालू करना हिंदू आस्था के खिलाफ है। अब मैं 27 सितंबर को चित्रकूट से पदयात्रा शुरू करूंगा। 30 सितंबर को सिद्धा पहाड़ पर धर्म सभा होगी। इसमें साधु-संत शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में भले हुआ हो, लेकिन उन्होंने जीवन का महत्वपूर्ण समय चित्रकूट में बिताया। इस तपोभूमि का विकास किया जाए।


चित्रकूट में भगवान राम ने जीवन का लंबा समय बिताया था।
चित्रकूट में भगवान राम ने जीवन का लंबा समय बिताया था।
अयोध्या की तर्ज पर हो चित्रकूट-मैहर का डेवलपमेंट
विधायक ने मांग की है कि अयोध्या की तर्ज पर सिद्धा पहाड़ और चित्रकूट का विकास किया जाए। माई शारदा धाम का अंतरराष्ट्रीय स्तर का विकास किया जाए। 84 कोसी परिक्रमा के 10 किलोमीटर में माइनिंग बंद की जाए। अब सीएम से मिलकर वहां स्वीकृत खदानों को निरस्त करने की मांग करेंगे।
कांग्रेस बोली- कमलनाथ के विरोध के बाद झुकी सरकार
इधर, कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार से सिद्धा पहाड़ पर उत्खनन पर रोक लगाने की मांग की थी। उनके विरोध के बाद सरकार को झुकना पड़ा। इसका श्रेय कमलनाथ को जाता है।
कमलनाथ ने भी उठाए थे सवाल

भगवान राम ने ली थी प्रतिज्ञा
दरअसल, ‘श्रीराम वन गमन पथ’ अंतर्गत सिद्धा पहाड़ पौराणिक और धार्मिक महत्व वाला वह रामायण कालीन स्थान है। जहां वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम ने धरती से राक्षसों का नाश करने की प्रतिज्ञा ली थी। इसीलिए इसे श्रीराम प्रतिज्ञा स्थल के रूप मे पहचाना और पूजा जाता है।

सिद्धा पहाड़ के आसपास टाइगर क्षेत्र भी है।

सिद्धा पहाड़ के आसपास टाइगर क्षेत्र भी है।

चित्रकूट में भगवान राम के चरण भी अंकित हैं।

चित्रकूट में भगवान राम के चरण भी अंकित हैं।

भगवान श्रीराम का प्रमाण मांगने पर मचा बवाल
खनन कारोबारी श्याम बंसल ने विरोध के बीच सिद्धा पहाड़ पर भगवान श्रीराम के आने-जाने के प्रमाण मांगे हैं। विहिप और बजरंग दल के प्रतिनिधियों से बंसल ने प्रमाण मांगे, तो और बवाल मच गया। कटनी के भाजपा नेता और खनन कारोबारी के संरक्षण में सिद्धा पहाड़ को खोखला करने पर आमादा श्याम बंसल के इस दुःसाहस ने लोगों का गुस्सा और भड़का दिया।

त्रिपाठी द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे गए पत्र में कहा गया है की सिद्धा पहाड़ में खनन अनुमति देने की प्रक्रिया के तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लोक सुनवाई करने जा रहा है। जबकि वर्ष 2011- 12 में भी इसी तरह के प्रयास किए गए थे, तब स्थानीय विरोध के चलते कार्यवाही रोककर इस पहाड़ को कलेक्टर ने खनन मुक्त क्षेत्र घोषित किया था। अब पर्यावरणीय स्वीकृति के नाम पर फिर कार्यवाही शुरू कर दी गई है। उन्होंने पत्र में सीएम को रामभक्त बताते हुए लिखा है की हमारी सरकार द्वारा भगवान राम की स्मृतियों को चिरस्थाई रखने राम वनगमन पथ जैसी योजनाओं पर कार्य कर रही है। वहीं विंध्य क्षेत्र समेत देशभर के लोगों की गहरी आस्था चित्रकूट स्थित विभिन्न स्थलों में से एक सिद्धा पहाड़ भी है। रामचरित मानस में उल्लेख है कि भगवान राम ने राक्षसों के नाश की प्रतिज्ञा इसी पहाड़ पर ली थी। त्रिपाठी ने अपनी बात के समर्थन में कुछ चौपाइयों का उल्लेख भी  पत्र में किया है। उन्होंने कहा कि यह राम की स्मृतियों से जुड़ा है और जनआस्था का विषय है। इसके संरक्षण, संवर्धन के बजाए इसे खोदने व नष्ट करने की अनुमति हिंदू आस्था पर गहरी चोट कहलाएगी और क्षेत्रीय जनमानस और साधु संत इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि पहाड़ को खनन मुक्त घोषित नहीं करने पर  वे साधु-संतों और आम लोगों के साथ सतना से सरभंगा आश्रम सिद्धा पहाड़ तक पदयात्रा करेंगे।
विधायक दिव्यराज को देना पड़ा था धरना
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मौजूद किले के ऊपर राम सीता लक्ष्मण मंदिर पर प्रति वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी पर ऐतिहासिक मेले का आयोजन किया जाता है, जिसका रास्ता बांधवगढ़ नेशनल पार्क से होकर जाता है। मगर इस साल बांधवगढ़ नेशनल पार्क ने इसकी अनुमति नहीं दी थी, जिसकी वजह से रीवा रियासत के महाराज पुष्पराज सिंह और सिरमौर से भाजपा विधायक युवराज दिव्यराज सिंह को धरना तक देना पड़ा था। इस दौरान विधायक दिव्यराज सिंह ने पार्क प्रबंधन पर आस्था के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया था। इस मेले में प्रदेश के अलग-अलग जिलो के साथ ही आसपास के राज्यों के श्रद्धालु भी कृष्ण के दर्शन के लिये आते है। बांधवगढ का किला लगभग दो हजार वर्ष पहले बनाया गया था, जिसका नाम शिव पुराण में भी मिलता है। इस किले को रीवा के राजा विक्रमादित्य सिंह ने बनवाया था। किले में जाने के लिये मात्र रास्ता बांधवगढ नेशनल पार्क के घने जंगलों से होकर गुजरता है।
कमलनाथ ने भी दी चेतावनी
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ने इस मामले में सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि खुद को धर्म प्रेमी बताने वाली शिवराज सरकार अपने व्यवसायिक हितों के लिए लगातार जन आस्थाओं व धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले निर्णय लेती रही है । हाल ही में इसी तरह के  लिए गए निर्णय में सतना जिले में स्थित सिद्धा पहाड़ जिस पर प्रभु श्रीराम ने वनवास के समय पर निशाचरों से मुक्त करने की प्रतिज्ञा ली थी, अब उसी पहाड़ के खनन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उनका दावा है की  इस पहाड़ का उल्लेख रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण में भी है। इसमें कहा गया है की राक्षसों द्वारा ऋषि मुनियों का वध करने के बाद उनके अस्थियों के बने ढेर से यह पहाड़ बना है। नाथ ने कहा कि भाजपा अब सुनियोजित तरीके से उनकी याद से जुड़े अवशेषों को नष्ट करने का काम कर रही है। राम वन गमन पथ के निर्माण को लेकर भी सरकार ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले भाजपा सरकार के इस निर्णय पर चुप नहीं बैठेगी, हम सड़क से लेकर सदन तक इस लड़ाई को लड़ेंगे और सरकार के जनविरोधी व धार्मिक आस्थाओं के विपरीत वाले इस निर्णय को बदलने के लिए सरकार को बाध्य करेंगे।
राम वन गमन पथ को सुनियोजित तरीके से किया जा रहा नष्ट
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी इस मामले में सरकार पर हमलावर है। उनका आरोप है की शिवराज सरकार प्रदेश में राम वन गमन पथ को लगातार नष्ट करने में लगी हुई है। यहां भगवान राम ने वनवास काल के साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे। मुख्यमंत्री बार-बार जनता से वादा करते हैं कि भगवान राम की स्मृतियों को बचाने के लिए राम वन गमन पथ का विकास किया जाएगा, लेकिन राम नाम का इस्तेमाल कर सत्ता का सफर तय करने वाले शिवराज सिंह बाद में सब भूल जाते हैं। वे मध्य प्रदेश और खासकर विन्ध्य की जनता के साथ लगातार धार्मिक धोखा कर रहे हैं। अजय सिंह ने कहा कि पहले रीवा में सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों के एकमात्र केंद्र भगवान परशुराम आश्रम को मुख्यमंत्री के इशारे पर अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया गया और अब  भगवान राम की कर्मभूमि सिद्धा पहाड़ को खोदने की अनुमति देने जा रही है। रउनका आरोप है की  मप्र में श्रीराम के चिन्हित अवशेषों को सुनियोजित तरीके से नष्ट किया जा रहा है।

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