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भारतीय सेना की समुद्री ताकत में अप्रत्याशित वृद्धि !

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-निर्मल कुमार शर्मा

2-9-2022 का दिन  भारतीय सेना के शक्ति प्रदर्शन के मामले में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दिन था,क्योंकि केरल राज्य के समुद्र तटीय शहर कोच्चि या कोचीन के शिपयार्ड में 12अगस्त 2013 को तत्कालीन कांग्रेसी सरकार के रक्षामंत्री श्री ए के एंटोनी ने जिस विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत के निर्माण करने की आधारशिला रखी थी,वह ठीक लगभग 9 वर्षों के बाद बनकर तैयार हो गया और उसका दिनांक 2-9-2022 को भारतीय समुद्री सीमा में जलावतरण कर दिया गया ! विशुद्ध  स्वदेशी भारतीय तकनीक से बने इस विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के जलावतरण से भारत की सामरिक शक्ति और आत्मविश्वास में भी निश्चित रूप से काफी वृद्धि हुई है ! आईएनएस विक्रांत की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया है। इसको बनाने में भारत की लगभग पांच सौ छोटी-बड़ी कंपनियों से सहयोग लिया गया है। 

 हमारे देश के वैज्ञानिक और इंजीनियर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हैं !

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           इसके लिए निश्चित तौर पर कोच्चि शिपयार्ड में पिछले 9वर्षों से अपने सतत कठोर परिश्रम,अपनी दक्षता और प्रतिबद्धता से काम करनेवाले भारतीय नौसेना के हजारों कर्मचारी, टेक्नीशियन,इंजीनियर,वैज्ञानिक और अधिकारी बधाई के सुपात्र हैं,जिनकी लगन,कठोर परिश्रम और तपस्या की वजह से दुनिया के सैन्य दृष्टिकोण से कुछ ताकतवर देशों यथा रूस, अमेरिका,चीन,इंग्लैंड और फ्रांस की जमात में भारत भी शान के साथ खड़ा हो गया है !

             भारतीय राष्ट्र राज्य को गौरवान्वित करनेवाले नौसेना के हजारों कर्मचारी, टेक्नीशियन,इंजीनियर,वैज्ञानिक और अधिकारी इसलिए भी बधाई के पात्र हैं,क्योंकि उनके संयुक्त प्रयास से आईएनएस विक्रांत जैसा ऐतिहासिक, विशाल और सामरिक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण विमानवाहक युद्धपोत का निर्माण हुआ है,जिसे उन्होंने भारत की जल सेना को उपहार में दिया है, उसकी अतिदक्षता और विशालता का विवरण निम्नानुसार है।

 आईएनएस विक्रांत के बारे में !

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           आईएनएस विक्रांत का फ्लाइट डेक का आकार इतना बड़ा है कि इसमें दो फुटबॉल के मैदान समा जाएं ! यानी यह लगभग 2.5 एकड़ के बड़े क्षेत्रफल में फैला है। इसकी ऊंचाई 18मंजिले भवन के लगभग बराबर है,इसकी लंबाई 262.5 मीटर,चौड़ाई 62.5 मीटर,वजन 45000 टन, लगभग 5000 घरों को रोशनी से जगमगा देने की क्षमता वाली 24मेगावाट की विद्युत उत्पादन की शक्ति ,7500समुद्री मील तक जाने की अरिमित क्षमता,इसकी गति 28समुद्री मील प्रति घंटा है ! इसको बनाने में लगभग 200 अरब रूपये लगे हैं !

            इस पर चालक दल के नौसेना के 1600 दक्ष कार्मिकों,टेक्निशियनों,नर्सों,सफाई कर्मचारियों,इंजीनियरों,डाक्टरों और अधिकारियों आदि के लिए 2200 सुव्यवस्थित और साफ – सुथरे कमरे बने हुए हैं,इस पर उपस्थित रसोईघर इतनी आधुनिकतम् है,कि जिसमें प्रतिदिन 1600 तक की विशाल संख्या में रोटी और 600 इडली बन सकती है ! इसके डेक पर नौसेना के इन जांबाजों की सेहत दुरुस्त रखने के लिए आधुनितम् मेडिकल उपकरणों से सुसज्जित 16 विस्तरों का एक अस्पताल भी है ! जिसमें  ऑपरेशन थिएटर, 64 स्लाइस सीटी स्कैन मशीन,अल्ट्रासाउंड व डिजिटल एक्सरे इत्यादि की भी सुविधा है,इसमें इमरजेंसी व गैस टर्बाइन सिस्टम भी है। इसमें आरएएन-401थ्री डी एअर सर्विलांस सिस्टम या RAN-4013D Air Surveillance System है। सेल्फ प्रोटेक्शन के लिए कवच कॉफ डिकॉय सिस्टम या Kavach Coffe Decoy System for Self Protectionऔर टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम या Torpedo Decoy Systemहै। इसमें एके-360 क्लोज वीपन सिस्टम और रिमोट कंट्रोल गन या AK-360 Close Weapon System & Remote Control Gun सुविधाएं भी हैं। 

          इस आधुनिकतम् विमानवाहक युद्धपोत के आधुनिकतम् सैन्य उपकरणों का लेखा-जोखा निम्नवत् है,

         आरएएन – 40एल 3डी,हवाई निगरानी राडार या RAN-40L 3D Aerial Surveillance Radar,एमएफ -स्टार,नौसेना राडार प्रणाली या MF-STAR, Naval Radar System, टीएसीएन यानी सामरिक हवाई नौवहन प्रणाली यानी TACN stands for Tactical Air Navigation System,रेजिस्टर-ई एविएशन काम्प्लेक्स यानी Register-E Aviation Complex,शक्ति ईडब्लू सूट यानी पोत विध्वंसक मिसाइलों के खिलाफ रक्षा की एक परत यानी Shakti EW suit means a Layer of Defense against Ship Destroyer Missiles,डाइवर निगरानी प्रणाली ईएलके- 7036 वीयूएचएफ कोमिंट प्रणाली यानी Diver Monitoring System ELK- 7036 VUHF Comint System आदि -आदि,ताकि कोई दुश्मन देश इस आधुनिकतम् सैन्य उपकरणों से लैस विमानवाहक युद्धपोत की तरफ आंख भी उठाकर देखने की जुर्रत न करें !

           इसके अतिरिक्त इसके डेक पर 18 मिग 29K और 12 लड़ाकू हेलीकॉप्टर तैनात करने की क्षमता है। इसके अलावा कामोव और अमेरिका से आयातित एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टर या MH-60 Romeo Helicopter की भी इस पर तैनाती करने की योजना है ! इस पर शीघ्र ही सतह से हवा में मार करने वाली बराक मिसाइलें या Barak Missilesभी जल्द तैनात की जाएंगी। 

  हथियार के नाम पर अरबों रूपयों का कबाड़ ! 

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          इसके पहले वाला आईएनएस विक्रांत -11 युद्धपोत ब्रिटेन से मंगाया गया था। आईएनएस विक्रमादित्य रूस से खरीदा गया था,यह रूस का एक बहुत पुराना युद्ध पोत जिसका नाम ऐडमिरल गोर्शकोव या Admiral Gorshkov था को मरम्मत करके भारत को 2.35 अरब रूपयों में बेच दिया गया था ! 

 भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश क्यों ? 

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            ज्ञातव्य है कि भारत दुनिया का हथियार खरीदने के मामले में सबसे बड़ा देश है,वर्तमान  सरकार अभी पिछले दिनों केवल वर्ष 2020-21 में 183778 करोड़ रुपये यानी 18 खरब 37अरब 78 करोड़ रूपयों की सैन्य साजो-सामान की खरीद की आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन ) या सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति प्रदान की है या Approval of Military Equipment Purchase Requirement (AON) or has given in-principle approval दी है !

बहुत दु:ख के साथ लिखना पड़ रहा है कि दुनिया के बहुत से छोटे -छोटे देश यथा इजरायल,जिसकी आबादी केवल 92.2लाख ही है,वह भी हथियारों का निर्यात कर के अपने देश के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा को कमाते हैं,लेकिन हमारा भारत महान देश,जिसकी आबादी 1अरब 40करोड़ है,हथियार निर्माण के क्षेत्र में अभी तक फिसड्डी देश बना हुआ है ! और हथियार खरीदने के मामले में दुनिया के सैन्य उपकरणों के बाजार में सबसे बड़ा खरीददारी करने वाला देश बना हुआ है,और सैन्य उपकरणों उदाहरणार्थ बंदूक,तोप,टैंक से लेकर लड़ाकू हवाई जहाज तक हम अभी भी विदेशों से बेशर्मी से खरीदते रहे हैं ! और उनको खरीदने में प्रतिवर्ष अपना अमूल्य विदेशी मुद्रा उसी में अंधाधुंध झोंक रहे हैं !

 हथियार निर्माण में हम फिसड्डी क्यों हैं ?

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      दुनिया के बहुत से देश यथा अमेरिका, रूस,चीन,ब्रिटेन,फ्रांस,स्वीडन,नार्वे और इजरायल जैसे देशों की आर्थिक स्थिति हथियारों को बेचकर ही बहुत अच्छी बनी हुई है ! और वे अमीर देशों की श्रेणी में हैं ! क्या हमारे देश में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की कमी है,कि हम दुनिया में इतने दीन-हीन बने हुए हैं ? ऐसा कतई नहीं है,अपितु इस देश का नेतृत्व ऐसे अकर्मण्य और नाकारा लोगों के हाथों में चली गई है,जो हमेशा जातिवाद,धार्मिक वैमनस्यता,हिन्दू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद,अंधविश्वास, पाखंड को पूरे देश में जानबूझकर फैला करके इस देश को 5000 हजार वर्ष पूर्व के आदिम और बर्बर युग में ले जाने को उद्यत हैं ! वे यह कतई नहीं चाहते कि इस देश का,यहां के समाज का,यहां की आम जनता का वास्तविक विकास हो ! सभी लोग सुख-शांति और अमन-चैन से रहें ! 

               परन्तु अब उक्त वर्णित विमान वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत का निर्माण करके और इससे कुछ वर्षों पूर्व हमारे काबिल इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने बहुत ही गोपनीय ढंग से विशाखापत्‍तनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर में महाविनाशक एस-4 टाइप की अरिहंत श्रेणी की परमाणु चालित 7 हजार टन वजन की पनडुब्‍बी को सफलतापूर्वक बना दिया है,यह सबमर्सिबल बैलस्टिक न्‍यूक्लियर सबमरीन या Submersible Ballistic Nuclear Submarine या (SSBN)अरिहंत श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी है। इससे पहले आईएनएस अरिघात और आईएनएस अरिहंत को बनाया जा चुका है। यह परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी दुनिया भर के समुद्र में कहीं से भी परमाण्विक वार हेड को या Atomic Warhead को इंटरकांटीनेंन्टल बैलिस्टिक मिसाइल  Intercontinental Ballistic Missile से छोड़ सकने में पूर्णतया सक्षम हैं,जो हजारों किलोमीटर दूर तक एक दम सटीक निशाने पर वार करके दुश्मन के किसी भी विध्वंसक हथियार को पलक झपकते ही नेस्तनाबूद कर सकती है !

 हमारे इंजीनियर और वैज्ञानिक किसी से कम नहीं हैं !

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        यहां के दक्ष कार्मिकों,टेक्निशियनों, कर्मचारियों,इंजीनियरों,वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर भारतीय सत्ता के कर्णधारों में दृढ़ इच्छाशक्ति, ईमानदारी,निष्पक्षता व प्रतिबद्धता हो तो वे किसी भी देश के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों से कतई कमतर नहीं हैं ! अब यह सुखद सिलसिला चलता ही रहना चाहिए !

    -निर्मल कुमार शर्मा गाजियाबाद उप्र संपर्क – 9910629632, ईमेल – nirmalkumarsharma3@gmail.com

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