सुसंस्कृति परिहार
कांग्रेस और कई सामाजिक संगठनों की भारत जोड़ो यात्रा छै दिन ही अभी पूर्ण की है लेकिन भाजपा में जिस तरह की छटपटाहट शुरू हो गई है वह बताती है कि इस यात्रा में राहुल गांधी के काफिले को जो अपार जनसमर्थन मिल रहा है वह अप्रत्याशित नहीं है। तमाम देश में भाजपा को हटाने की जो बैचेनी है वह ठीक उसी तरह सामने आ रही है जैसे अंग्रेजों के खिलाफ नमक तोड़ो कानून आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने पदयात्रा की थी । जब देशवासी अंग्रेजी शासन के खिलाफ इसी तरह निकले थे चंद संघी लोगों को छोड़कर हर भारतीय उद्वेलित हुआ था।आज भी वही जुनून तमिलनाडु और केरला में देखा जा रहा है।
ये यात्रा के चंद रोज सरकार पर इतने भारी पड़े कि उनके अंधभक्त राहुल की मंहगी की शर्ट को लेकर आपत्ति जताते नज़र आए तो कहीं जूतों की क़ीमत आड़े आ गई। कहीं कंटेनर का रात्रि विश्राम अखर गया । आज तो हद हो गई जब गोवा बार की कथित मलिका, भारत सरकार की मंत्राणी ईरानी भी उसी संसद वाले अंदाज में चीखती नज़र आईं।जब उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी जी से संसद में माफी मांगो जैसा असंसदीय व्यवहार किया था।आज वे राहुल गांधी को निर्लज्ज कह गई ।इस झूठी को यह पता नहीं था कि राहुल गांधी विवेकानंद स्मारक गए थे।ईरानी ने झूठी कहानी गढ़ अपनी सरकार की भी पोल पट्टी खोल दी कि किस कदर झूठ का सहारा लेकर सरकार अपना माया जाल फैलाती रहती है।उधर गोवा बार से बचने की तरकीबें भी फेल होती नज़र आ रही हैं जहां कई बातें झूठी कहीं गई वो अब सामने आ रही हैं। सोनिया जी माफी मांगो कहने वाली ईरानी को राहुल गांधी के लिए कहे अपने झूठ और उन्हें निर्लज्ज कहने पर माफी मांगना चाहिए।
बहरहाल भारत जोड़ो यात्रा में 117साथियों के साथ राहुल गांधी का निकलना,जो आजादी के 75वर्ष बाद जिस सद्भावना और भाईचारे को जोड़ने निकली है वह आज की ज़रूरत है तथा देश की गरिमा को तार तार करने वालों के लिए सबक है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह कांग्रेस द्वारा आहूत ज़रुर है लेकिन इसमें भारतीय तिरंगा जो देश की आन बान और शान है को लेकर लोग चल रहे हैं वो स्वाधीनता दिवस पर फहराएं तिरंगे झंडे से ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है।यह यात्रा कहीं से भी चुनावी आभास नहीं देती।यह एक सामाजिक चेतना जगाता जन आंदोलन लगता है।यही वजह है इस यात्रा में जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक लगभग 3500कि भी जानी है, में देश के लगभग 250 सामाजिक संस्थाओं के लोग भी जुड़ गए हैं। जिन्हें मोदीजी आंदोलनजीवी कहते हैं। ज्यों ज्यों यात्रा आगे बढ़ रही है निरंतर देश को जोड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
इस यात्रा का आगाज़ तमिलनाडु जहां राहुल के पिता राजीव गांधी को बम से उड़ाया गया था उस पुण्य पैराम्बदूर की भूमि को नमन करते हुए हुई। तमिल लोगों के बीच राहुल जिस तरह चल रहे थे वह उनके साहस और सौजन्य का प्रतीक है।उनकी सहृदयता के कारण तमिलों का अपार स्नेह उन्हें मिला वह कल्पना से परे है। केरला से वे सांसद हैं इसलिए मलयाली लोगों में लोकप्रिय है ।केरला में संघ जिस तरह मारकाट करता रहता है उसी के मद्देनजर केरला सरकार ने राहुल की सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था की है।जो भाजपा सरकार को यकीनन तकलीफ दे रहा होगा । तमिल और मलयाली लोगों का घरों के बाहर कतारबद्ध होकर जयकारे के साथ आलीशान सत्कार वह भी सब कुछ स्वप्रेरित भारत जोड़ो को सहयोग मायने रखता है। आखिरकार इकबाल का सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा। देशवासियों के रग रग में समाया हुआ हैउसके उत्साहवर्धन का इंतजार था। इसलिए इस कठिन कथित आपातकाल के बीच भारत जोड़ो की ध्वनि ने सबको आल्हादित किया है।
इस यात्रा की ख़ूबी यह है कि ये अन्ना हजारे के आंदोलन की तरह विशुद्ध राजनैतिक,संघ और कारपोरेट प्रेरित नहीं है।।देश की एकता और अखंडता की मज़बूती के लिए है।सत्ता की चाहत की भी कहीं कोई जुगत नज़र नहीं आती। कांग्रेस के बैनर झंडे भी नहीं। इनके जनगीतों में भी देश को मजबूत करने की भावना प्रबल है। जो दृश्य अब तक सामने आ रहे हैं उनमें तो यह यात्रा लोगों से मेल जोल बढ़ाती ही दिखाई देती है।पादरी , पंडित,मौलवी अनगिनत पुरुष महिलाएं, बच्चे, वृद्ध,अपंग कौन है जो भारत जोड़ो में शामिल नहीं।एक समूचा हिंदुस्तान एक बार फिर युवा गांधी के साथ खड़ा हो रहा है। राहुल ऐसा गांधी है जिसे कांग्रेस अध्यक्ष बनाने पार्टी आतुर है पर वह रोज चल रहा है देश को सुदृढ़ करने।
हो सकता है इस यात्रा से भविष्य में फासिस्ट भाजपा के मंसूबे कामयाब ना हों और देश में एक भारत हितैषी सरकार बन जाए। राहुल गांधी अपनी यात्रा में निश्चित सफल होंगे।सत्ता उन्हें ना भी मिले तब भी देश को उनके इस देशहितैषी भारत जोड़ो यात्रा से जो लाभ मिलेगा वह नए गांधी की विरासत की तरह होगा।