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*शिक्षा का व्यापारीकरण एक गम्भीर प्रश्न?

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शशिकांत गुप्ते

विश्वविद्यालय के सम्बंध में गूगल बाबा से जानकारी प्राप्त करने पर विश्वविद्यालय किसे कहतें है,ज्ञान प्राप्त हुआ।
विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) वह संस्था है, जिसमें सभी प्रकार की विद्याओं की उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती हो, परीक्षा ली जाती हो तथा लोगों को विद्या संबंधी उपाधियाँ आदि प्रदान की जाती हों। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के मैदान,भवन,प्रभाग, तथा विद्यार्थियों का संगठन आदि भी सम्मिलित हैं।
गूगल बाबा को याद करने का एक कारण यह भी है कि,शिक्षा, उद्योग में परिवर्तित हुई है,और अधिकांश धार्मिक बाबाओं ने कथा वाचन और प्रवचन के साथ शिक्षा केन्द्र भी खोल लिए हैं।
लोकतंत्र में शिक्षा भी हर एक व्यक्ति के लिए संविधान द्वारा प्रदत्त मूलभूत अधिकार है।
शिक्षा मानव को शिक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मोर्चा है।
दुर्भाग्य से धर्म,संस्कृति,
राजनीति,और सामाजिक हरएक के क्षेत्र के साथ शिक्षा का भी व्यापारीकरण हो रहा है। इसीलिए विद्यार्थी सिर्फ literate मतलब पढेलिखे हो रहें हैं, Educated मतलब शिक्षित नहीं बन रहें हैं।
शिक्षा का व्यापारीकरण होने से,विद्यार्थी का एक ही लक्ष्य हो जाता है। कौनसी पढ़ाई करने पर कितने पैकेज का रोजगार प्राप्त होगा? कौनसी शासकीय नोकरी मिलेगी जहाँ वेतन के अतिरिक्त फाइलों पर वज़न के रूप में जो मानधन प्राप्त होगा वह कितना हो सकता है?
शिक्षा प्राप्त करने के बाद यह उतना ही महत्वपूर्ण है कि, शिक्षणिक योग्यता के अनुरूप रोजगार भी प्राप्त हो।
इनदिनों देश के एक रसायन वैज्ञानिक ने उच्चकोटि की शिक्षा प्राप्त विद्यार्थी के लिए भी नाली के गैस से ईंधन तैयार कर पकौड़े तलने का व्यवसाय करने की महत्वपूर्ण सलाह दी है?
शिक्षा के व्यापारीकरण का प्रत्यक्ष उदाहरण हमें यातायात के लिए उपलब्ध वाहनों जैसे ऑटो रिक्षा, ई रिक्षा, टेम्पो,टाटा मैजिक और बसों पर लगे कोचिंग क्लासेस के विज्ञापनों में देखने को मिलता है।
आश्चर्य होता है,यातायात के लिए उपलब्ध जिन वाहनों पर शिक्षा के सम्बंधित विज्ञापन चस्पा होतें है। उन यातायात के वाहन की दयनीय स्थिति शिक्षा पर गम्भीर प्रश्न उपस्थित करती है?
इनदिनों प्राथमिक,माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों और महाविद्यालयों की बहुतायत होने बाद भी Coaching classes की भरमार भी कम दिखाई नहीं देती है।
कोचिंग का मतलब होता है। व्यापारिक रूप से धन लेकर पढाना। इसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए व्यक्तिगत रूप से तयशुल्क अर्जित कर दिया जाने वाला शैक्षणिक मार्गदर्शन भी कहते हैं।
इनदिनों कोचिंग के व्यवसाय ने संस्थानों का रूप ले लिया है।
इन्ही संस्थानों जैसे ही Tuition ट्यूशन क्लासेस भी हैं।
ट्यूशन का मतलब होता है।
किसी अध्यापक द्वारा धन लेकर व्यक्तिगत रूप से पढ़ाना।
इस तरह शिक्षा का व्यापार फलफूल रहा है।
आश्चर्य तब होता है, जब ट्यूशन क्लासेस के पढ़ने वाले विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम में अच्छे खासे प्रतिशत में उतीर्ण होने पर तादाद में फोटो प्रकाशित होतें हैं। इस तरह के विज्ञापन देखकर गर्व का अनुभव होता है, यह सोच कर की हमारे स्कूलों और कॉलेजों के अतिरिक्त कोचिंग और ट्यूशन क्लासेस में पढ़ाने वालें आचार्य कितनी निपुण होंगे जिनके द्वारा पढ़ाए विद्यार्थी नब्बे से अधिक प्रतिशत अंकों से पास होतें हैं?
कोचिंग और ट्यूशन क्लासेस में शिक्षकों की योग्यता देखकर उम्मीद यकीन में बदल जाती है। भारत को विश्व गुरु बनने से कोई रोक नहीं सकता है।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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