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यह केरल है, गोबर पट्टी नहीं… यहां गौरी लंकेश, दाभोलकर पानसरे और कलबुर्गी को मारा नहीं जाता

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कोल्लम से दीपक असीम 

यह केरल है, गोबर पट्टी नहीं। यहां गौरी लंकेश, दाभोलकर पानसरे और कलबुर्गी को मारा नहीं जाता बल्कि उन्हें मारने का विरोध किया जाता है। कल शाम राहुल गांधी की पदयात्रा के समापन स्थल पर नुक्कड़ नाटक किया जा रहा था। नाटक रिकार्डेड था और पात्र बस होंट हिला रहे थे। मगर अभिनय अच्छा था। नाटक मलयालम में था। उसमें गौरी लंकेश, पानसरे, दाभोलकर, कलबुर्गी के नाम थे। इनकी हत्या पर रोष था। दक्षिणपंथ के खिलाफ गम और गुस्से का इजहार था। देख कर संतोष हुआ कि देश में कोई जगह ऐसी भी है जहां दक्षिणपंथी हत्यारों की मुखालफत करने पर यूएपीए नहीं लगती, घरों पर बुलडोजर नहीं चलते।

 भारत जोड़ो पदयात्रा शाम को जहां रुकती है वहां एक सभा होती है। सभा में मुख्य वक्ता राहुल होते हैं। यह उनकी ग्रूमिंग चल रही है। त्रिवेंद्रम में जितना बोले उससे ज्यादा देर कल कोल्लम में बोले। तालियां भी कई बार बजी।बस ऐसे ही यात्रा पूरी होते होते राहुल तालीलूट भाषण देना भी सीख जाएंगे। धन्यवाद दिग्विजय सिंह। राहुल थके हुए थे। यहां समुद्र तटीय शहरों में गर्मी के साथ उमस भी बहुत होती है। चेहरा क्लांत था मगर संतोष का भाव भी था। क्लांति की एक वजह गोवा के 8 विधायकों का कांग्रेस छोड़ना भी हो सकता है। उन्हें कोई शिगूफा 8 विधायकों की रवानगी पर भी छोड़ देना था। गोदी मीडिया यात्रा तो दिखा नहीं रहा विधायकों पर कुछ बोलते तो झक मार कर दिखाता। धीरे-धीरे उन्हें गोदी मीडिया से कवरेज लेना भी आ जाएगा।

आज दोपहर राहुल स्कूली बच्चों के एक समारोह में गए। सुबह पदयात्रा के लिए उन्होंने क्रीम कलर का ट्राउजर और टीशर्ट पहनी थी। चाहते तो इन्हीं कपड़ों में स्कूल जा सकते थे। मगर उन्होंने स्कूली बच्चों के इस समारोह को भी पूरा सम्मान दिया और फॉर्मल ड्रेस, कुर्ता पजामा पहन कर गए। नदीदा इंसान दिन में दस बार कपड़े बदलने के बावजूद भोंडा और सतही   लगता है। पढ़ा लिखा खानदानी शरीफ आदमी सस्ते से सफेद कुर्ते पजामे में जचता है। ड्रेस से ज्यादा जरूरी होता है ड्रेसिंग सेंस। कब कहां क्या पहनना है, इसकी तमीज जरूरी है।

शाम को जब पद यात्रा के दूसरे चरण के लिए निकले तो फिर क्रीम कलर के ट्राउजर और टीशर्ट में थे। 

पदयात्रा की संध्या सभा में करीब 10,000 लोग थे। पदयात्रियों के सम्मान में और राहुल को मंच तक लाने के लिए जो मानव श्रृंखला बनाई गई थी वह एक किलोमीटर से कुछ ज्यादा ही लंबी रही होगी।

 यहां कोल्लम में यात्रा 1 दिन विश्राम करेगी। यानी 15 सितंबर को भारत यात्रियों को 1 दिन की छुट्टी। सब आसपास के बाजारों में घूम फिर लेंगे। मतलब की चीजें खरीद लेंगे। मन का कुछ खा लेंगे।  7 दिनों से बेचारे इतने कड़े अनुशासन में हैं और इतना चल रहे हैं की एक दिन की छुट्टी जरूरी थी। यहां से यात्रा 16 को आगे बढ़ेगी। राहुल दिल्ली जाने वाले थे सोनिया जी से मिलने पर अब नहीं जा रहे। फोन पर बात हो गई होगी।

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