,मुनेश त्यागी
आजकल हमारे देश में मंदिर, मस्जिद, भगवान, असमानता, बिखराव, अन्याय, नफरत, गुलामी, अज्ञानता, धर्मांधता, विवेकहीनता, पूंजीपतियों की धन दौलत और मुस्लिम हिंदू दंगों की बातें हो रही है, जनता को धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है। मगर उनकी रोटी, रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, ज्ञान विज्ञान, रोजगार की बात नहीं हो रही है और तमाम तरह के शोषण, गरीबी, भुखमरी, अन्याय, जुल्मों सितम, अपराध, अंधविश्वास और पाखंडों को दूर करने की बात नहीं हो रही है। शोषण और अन्याय पर आधारित, इस जनविरोधी निजाम को और नीतियों को बदलने की बात नहीं हो रही है।
जनता को न्याय देने की बात नहीं हो रही है। उसके अधिकार देने की बात नहीं हो रही है, उसे तर्कशील और विवेकवान नहीं बनाया जा रहा है। हम सरकार की इन नीतियों और साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली इन जन विरोधी ताकतों से सहमत नहीं हैं। इसीलिए हमारा कहना है कि,,,,,
मंदिर नहीं, हमें स्कूल चाहिए
धर्म नहीं, हमें अधिकार चाहिए
मनुस्मृति नहीं, हमें संविधान चाहिए
भगवान नहीं, हमें विज्ञान चाहिए
भाषण नहीं, हमें राशन चाहिए
पूंजीवाद नहीं, हमें समाजवाद चाहिए
धर्मतंत्र नहीं, हमें जनतंत्र चाहिए
दलाली नहीं, हमें मजदूरी चाहिए
असमानता नहीं, हमें समानता चाहिए
बिखराव नहीं, हमें एकता चाहिए
अन्याय नहीं, हमें इंसाफ चाहिए
भीख नहीं, हमें अधिकार चाहिए
नफरत नहीं, हमें प्यार चाहिए
गुलामी नहीं, हमें आजादी चाहिए
अज्ञान नहीं, हमें ज्ञान चाहिए
अविवेक नहीं, हमें विवेक चाहिए
बेरोजगारी नहीं, हमें रोजगार चाहिए
पाखंड नहीं, हमें तर्क चाहिए
जुमलेबाजी नहीं, हमें परिणाम चाहिए
भाषणबाजी नहीं, हमें अमल चाहिए
दुश्मनी नहीं, हमें भाईचारा चाहिए
देश विनाश नहीं, देश का विकास चाहिए
देश बेचना नहीं, नव निर्माण चाहिए
हिंदू मुस्लिम नहीं, हमें हिंदुस्तानीं चाहिएं।