मुनेश त्यागी
पिछले दिनों लखीमपुर खीरी में दो बहनों के साथ बलात्कार करके हत्या कर दी गई और उन्हें अपराध को छिपाने के लिए पेड़ से लटका दिया गया। बदायूं में गूंगी लड़की से बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी गई। बदायूं में 50 साल की महिला से पुजारी समेत 3 लोगों द्वारा बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी गई। मुरादाबाद में बलात्कारियों द्वारा रेप पीड़िता को नंगा कर सड़कों पर घुमाया गया। दौराला में महिला से बलात्कार किया गया। देहरादून में एक चलती गाड़ी में 3 लोगों ने एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया। ये समस्त घटनाएं पिछले एक हफ्ते की है। महिलाओं के खिलाफ बलात्कार की घटनाएं अबाध गति से जारी हैं। अपराधियों में कानून व्यवस्था और सरकार का, पुलिस का, कोई खौफ नहीं रह गया है। वे अपनी मनमर्जी से औरत विरोधी अपराधों को कर रहे हैं।
इससे पहले हाथरस की बेटी के साथ क्या हुआ था, पूरा देश जानता है। बिलकिस बानो मामले में सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोपियों को फूल मालाएं पहनाई गई और मिठाइयां खिलाई जा रही थी। यह भी सारे देश ने देखा है और उससे पहले जम्मू कश्मीर के कठुवा में बलात्कारियों का आदर सत्कार किया गया था।
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की यह एक भयावह तस्वीर है और पिछले दिनों महिलाओं के खिलाफ होने वाले हत्या और बलात्कारों ने भयंकर रूप धारण कर लिया है। यह एक डराने वाली स्थिति है। यह बड़े अफसोस की बात है कि पिछले दिनों महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों का ग्राफ ऊंचा होता जा रहा है और कई मामलों में तो इन बलात्कार और हत्या के मामलों को सांप्रदायिक और जातिवादी रंग दिया जा रहा है।
भारत के संविधान बनाते समय सोचा गया था कि महिलाओं के खिलाफ हजारों साल से हो रहे अपराधों में कमी आएगी, उन्हें समता और समानता का अधिकार मिलेगा, उनके लिए नौकरी की रहा हम वार की गई और कानून और संवैधानिक प्रावधानों का लाभ उठाकर हमारे देश की महिलाओं ने काफी प्रगति भी की है मगर पिछले कुछ सालों से, कुछ समय से औरतों के खिलाफ एक से एक बढ़कर अपराध हो रहे हैं। नेशनल क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट के अनुसार पिछले दिनों महिलाओं के खिलाफ हो रही बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं, हिंसा बढ़ी है, हत्याऐं बढ़ी हैं और उनके साथ उत्पीड़न के मामले काफी बड़े हैं और परिवार न्यायालयों में तो जैसे परिवार टूटने के कगार पर पहुंच गए हैं और वहां मुकदमों की बाढ़ आ गई है।
हमें यह सब समझना होगा और यह जानना होगा कि आखिर ये महिलाओं के खिलाफ अपराध क्यों बढ़ रहे हैं? अगर हम महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के कारणों को समझें तो हम पाते हैं की औरत विरोधी मानसिकता और सोच को बदला नहीं जा सका है। औरतों को आज भी मनोरंजन का और उपभोग का सामान समझा जाता रहा है, दहेज और दान की समस्याएं बढ़ती चली गई हैं। बेटियों को पेट में ही भ्रूण हत्या की जा रही है। उन्हें मारा जा रहा है जिस वजह से लिंग अनुपात भी बढ़ गया है। लड़कियों के साथ काफी घरों में आज भी भेदभाव बरता जाता है, उन्हें लड़के के मुकाबले आज भी दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है।
परिवार में भी कई सारी लड़कियों को लड़के के बराबर अधिकार नहीं दिए जाते और उनके पालन पोषण शिक्षा और इलाज में भेदभाव किया जाता है। वहीं पर हम दूसरी तरफ देख रहे हैं कि अधिकांश परिवारों में लड़कों और बेटों को सही संस्कार मां बाप द्वारा नहीं दिए जा रहे हैं। आज भी लड़कों को, लड़कियों से बेहतर समझा जाता है। कई घरों में आज भी लड़कों को लड़कियों से बेहतर समझा जाता है पढ़ाई लिखाई और पालन-पोषण में उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
महिलाओं के अपराधों में बढ़ोतरी का कारण एक और कारण है कानून की विफलता। हमारा कानून, समाज में आज भी महिलाओं को समानता नहीं दिलवा पाया है। कानून के हिसाब से दोषियों को सजा नहीं मिलती। महिला अपराध करने वाले बहुत सारे अपराधियों को कानूनी कमियों के कारण छोड़ दिया जाता है, उन्हें बरी कर दिया जाता है, उन्हें समुचित सजा नहीं दी जाती और दूसरा महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध बहुत समय तक लंबित रहते हैं। समय से उनका निस्तारण नहीं किया जाता इसलिए महिलाओं को न्याय भी नहीं मिल पाता।इस वजह से महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों के हौसले बढ़ते रहते हैं।
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में पुलिस की असफलता भी सामने आती है। एक तो पुलिस बहुत सारे केसों में समय से एफ आई आर दर्ज नहीं करती। दूसरे मामलों की वैज्ञानिक नही करती, उनका इन्वेस्टिगेशन सही तरीके से नहीं करती और तफ्तीश में बहुत सारी खामियां छोड़ दी जाती हैं, जिनका लाभ अपराधियों को मिलता है।
अगला कारण है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में सही समय से न्याय नहीं मिलता। अदालतों में कई कई साल तक मुकदमे लंबित रहते रहते हैं जिस कारण समय से न्याय न मिलने के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं और वे अब महिलाओं के खिलाफ अपराध करने से नहीं डरते और इस प्रकार महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाले अपराधियों को कानून और पुलिस से और न्यायालयों से कोई डर या खौफ नहीं रह गया है पता है वह बेधड़क होकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों को अंजाम देते हैं।
पिछले समय महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों का कारण पॉर्नोग्राफी और पीत साहित्य ने भी एक अहम मुकाम हासिल कर लिया है। इंटरनेट का दुरुपयोग होने की वजह से महिलाओं के खिलाफ, लड़कियों, बच्चियों के खिलाफ लगातार अपराध बढ़ते जा रहे हैं। सरकार का इस पोर्नोग्राफी और पीत साइट पर कोई रोकथाम या नियंत्रण नहीं है, जिसका फायदा अपराधी उठाते हैं।
अभी पिछले दिनों देखा गया है कि जनविरोधी और असामाजिक राजनेता, हत्यारों और बलात्कारियों को फूल मालाएं पहनाते हैं, उनके गले में माला डालते हैं, उनका सार्वजनिक सम्मान करते हैं और इस प्रकार वे महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को गति प्रदान करते हैं।
अब यहां पर सवाल उठता है कि आखिर क्या किया जाए? महिलाओं के अपराधों में नियंत्रण पाने के लिए सबसे जरूरी है कि औरत विरोधी मानसिकता और सोच को बदला जाए और जब तक औरत को औरत नहीं समझा जाएगा, उसके कानूनी अधिकार उसे नहीं दिए जाएंगे, औरतों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता।
इसी के साथ साथ हजारों साल पुरानी मानसिकता को बदलना होगा जिसमें औरत को मनोरंजन, उपभोग और दान दक्षिणा की वस्तु समझा जाता है। इस पर रोक लगानी होगी और पूरे समाज को और देश को समझाना होगा कि औरत मनोरंजन, उपभोग और दान दक्षिणा की वस्तु नहीं है, बल्कि वह एक प्राणी है जिसका स्थान मनुष्यों के बराबर है।
इसी के साथ साथ घर परिवार में भी बेटे और बच्चियों के साथ समान व्यवहार किया जाए। उन दोनों में मतभेद ना किया जाए, भेदभाव ना किया जाए और उनका पालन पोषण बराबरी के तौर पर होना चाहिए। हमें यहां पर अपने बेटों को यह समझाना होगा की बेटियां लड़कों के बराबर हैं और उन्हें यह भी बताना होगा कि अधिकांश लड़कियां हमारी बहन के बराबर हैं। अगर हम उन्हें यह शिक्षा देंगे और यह सोच उनमें डिवेलप करेंगे तो बच्चे,लड़के, लड़कियों के खिलाफ अपराध नहीं करेंगे।
हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था को भी इसी तर्ज पर ढालना होगा और स्कूलों में भी लड़कों को यही शिक्षा देनी होगी कि लड़की का अपना एक व्यक्तित्व है, जिसे आगे बढ़ने का पूरा अधिकार है और वह भी लड़कों की तरह जिंदगी के हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकती है, भाग ले सकती है।
यहीं पर इस जरूरी बात का जिक्र करना भी आवश्यक है कि हमारे देश में आदमी को आदमी नहीं बनाया गया है, आजादी प्राप्ति के बाद भी वह अन्यायी, शोषक, दमनकारी, जुल्मों सितम करने वाला और अपराधी बना हुआ है। वह कानून के शासन की धज्जियां उड़ रहा है। उसने कानून के शासन और संविधान को उसने धता बता दिया है। उपरोक्त लोग महिलाओं के साथ भी वही आपराधिक व्यवहार कर रहे हैं। इसीलिए आज भारत की राजनीति को बदलना होगा।
हमारी राजनीति को आदमी और औरत के को केंद्र में रखकर काम करना होगा, क्योंकि जब तक हमारी राजनीति नहीं सुधरेगी, तब तक औरतों के खिलाफ लगातार हो रहे अपराधों से निजात नहीं पाई जा सकती। हमने दुनिया के कई मुल्कों में चीन, रूस, जापान, फ्रांस, इंग्लैंड, वियतनाम, उत्तरी कोरिया, क्यूबा, न्यूजीलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि आदि देशों में देखा है कि वहां पर औरतों को मर्द के बराबर इज्जत दी जाती है, उनका मान सम्मान किया जाता है। उसकी मान मर्यादा रखी जाती है जिस कारण महिलाओं के खिलाफ अपराध भी कम से कम हो गये हैं। इसलिए हमें अपनी राजनीति को मनुष्य और औरतों के इर्द गिर्द रखना होगा। जब तक हमारी राजनीति नहीं सुधरेगी और औरतों का समुचित मान सम्मान नहीं किया जायेगा तब तक इस देश से अपराधों को, मुख्य रूप से औरतों के खिलाफ हो रहे अपराधों को,ना तो रोका जा सकता है और ना ही खत्म नहीं किया जा सकता है।
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में कानून व्यवस्था को भी चुस्त दुरुस्त करना होगा। समय से एफ आई आर दर्ज करनी होगी। मामले की छानबीन वैज्ञानिक तरीके से करनी होगी और न्यायालय में समयबध्द न्याय व्यवस्था लागू करनी होगी जिससे कि अपराधियों को समय से सजा मिल सके। यह सब करके ही औरतों के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोका जा सकता है।