शशिकांत गुप्ते
प्रख्यात व्यंग्यकार स्व. शरद जोशीजी के एक व्यंग्य का स्मरण हुआ। शासन की तमाम अव्यवस्थाओं पर लिखे इस व्यंग्य का शीर्षक है सरकार का जादू
उक्त व्यंग्य लेख में शासकीय व्यवस्थाओं में लापरवाही और व्यवस्था में पनप रहे भ्रष्ट्राचार पर करारें व्यंग्य है।
देश-काल और परिस्थिति के अनुसार हरएक क्षेत्र में मुद्दे बदलतें और मुद्दों की परिभाषा भी बदलती है।
वर्तमान काल में मुद्दे बदले हैं। व्यवस्था का बदलाव सिर्फ विज्ञापनों दिखाई देता है। ठीक त्वचा गोरे बनाने वाली क्रीम के विज्ञापन की तरह?
मुख्यमुद्दा है, शरद जोशीजी के व्यंग्य का स्मरण क्यों हुआ?
स्मरण होने का कारण व्यंग्य का शीर्षक है। “सरकार का जादू”
अपने देश में सरकार नामक प्रसिद्ध जादूगर भी हुए हैं।
पी. सी.सरकार और बी.एन. सरकार
वर्तमान में आनंद नामक जादूगर प्रसिद्ध है।
क्यों ना हम भी काल्पनिक जादूगर एम.एस. सरकार के जादुई करिश्मों का आनंद ऊठाए?
जादू की कला में पारंगत जादूगर जब कोई जादुई करिश्मा दिखता है। वह साफ कहता है, यह सब ट्रिक्स (tricks) हैं। सिर्फ और सिर्फ जादू है।इसमें वास्तविकता बिलकूल नहीं है।
एम.एस. सरकार के जादूई करिश्मे बहुत अलग ढंग को होतें हैं। कारण यह सारे करिश्मे
न भूतों न भविष्यति इस सूक्ति को चरितार्थ करने वाले करिश्मे हैं।
भाइयों और बहनों की कर्कश ध्वनि से जादुई करिश्मों की शुरुआत होती है।
जादू की कला में निपुण जादूगर जब किसी जीवित हाथी को गायब करता है, तो वह, दर्शकों को पहले जीवित हाथी के साक्षात दर्शन करवाता है।
एम.एस. सरकार का जादू
तो करोड़ो रुपयों की लागत से निर्मित होने वाले अस्पताल को बग़ैर जनता को दिखाए ही गायब कर देता है।
इसीतरह के जादुई करिश्मे से बिहार में एक हवाई अड्डा भी चमत्कारिक ढंग से हवा हवाई हो गया।
भाइयों और बहनों गायब हुआ या नहीं हुआ?
एक मशीन का भी अद्भुत जादू दिखाया जाता है।
मशीन में उम्मीद लागए बैठे लोगों के चुनाव चिन्ह अंकित होतें हैं।
इस अद्भुत जादुई करिश्मे का कमाल ऐसा होता है कि, कोई भी व्यक्ति किसी भी चुनाव चिन्ह का बटन दबाएं। एक चिन्ह को छोड़ शेष सभी उम्मीदवारों की उम्मीद पर पानी फिर जाता है?
वर्तमान सरकार का बहु प्रचलित और बहुत भी नायब जादू है। पिछले सात दशकों में देश में जो कुछ हुआ ही नहीं, वह सब बेंचा जा रहा है? भाइयों और बहनों हैन या नहीं है,हैरअंगेज जादू?
हाल ही एक बहुत चमत्कारिक जादू की चर्चा हो रही है। देश में प्रति एक घण्टा औसत तीन दिहाड़ी मजदूर स्वयं की इहलीला स्वयं ही समाप्त कर रहें है। दूसरी ओर एक उद्योगपति की आय में प्रति घण्टा बेतहाशा वृद्धि हो रही है। भाइयों और बहनों यह भी गज़ब का जादू है या नहीं है?
सरकार के द्वारा बताए जाने वाले जादू में विकास और प्रगति की रफ्तार कागजी घोड़ों की तरह सरपट दौड़ रही है। भाइयों और बहनों दौड़ रही है या नहीं दौड़ रही है?
जादूगर अपने किसी सहयोगी युवक या युवती को किसी बक्से में बंद कर देता है। बक्से पर ताला लगाने के बाद भी बक्से के अंदर बंद व्यक्ति पलक झपकते ही बाहर आ जाता है।
सरकार का जादू भ्रष्ट्राचार में आकंठ दुबे किसी भी व्यक्ति को आश्चर्यजनक अदृश्य मशीन में धो कर साफ सुथरा बना देता है। भाइयों और बहनों बताओ ऐसा हो रहा है या नहीं हो रहा है?
सरकार का सबसे हैरतअंगेज जादू तो जो वादें, दावों के साथ किए जातें हैं, उन्हें जुमला कह कर गायब कर दिया जाता। यही सबसे बड़ा जादू है। भाइयों और बहनों ऐसा होता है या नहीं होता है?
लगभग पिछले एक सौ दो महीनों से ऐसे अनेक अनोखे यादगार करिश्माई जादू देखने को मिल रहें है।
इन ऐतिहासक जादुई करिश्मों को भावीपीढ़ी के मनोरंजन के लिए इतिहास में लिखा जाएगा।
शशिकांत गुप्ते इंदौर