अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

अल्फाज़~ ए~ ज़िंदगी

Share

पवन कुमार

पैर चाटकर हाथ काटक़र कामयाब बने तो क्या :

वो उसका घर बनाने में मेरा गिराने में लगे हैं,
वो सारे दिलजले उनके चेहरे दिल मन गले है।
माना हम रह गए अकेले सूखे वो सब हट्टे,कट्टे,
मोटे पले हैं, किसी इंसान को नहीं हम छले हैं।

ना झुके थे ना झुकेंगे ना चाटे तलवे ना चाटेंगे,
उन्हें उनके किरदारों के बदले इनाम बाटेंगे।
अकेले आए हैं अकेले जाएंगे किसी का छीन।
कर लूटकर ,चुराकर हक कभी नहीं खाएंगे।

चाटेंगे पैर उनके जो किरदार असली निभाते हैं,
उनके हरगिज़ नहीं जो चढ़कर बार सीने पर
करने आते हैं,मेरे दिल कलेजे को काट जाते है,
वो जो कह जाते हैं सोच सोच के हम हैं जिंदा
पर जीते जी शर्मिंदा होकर के मर जाते है।

न किया कोई काम ना करेंगे अपने हक किस्मत
की रोटी पानी के पैसे उड़ उड़कर मेरे आएंगे,
क्योंकि मेरा मन दिल जानता है ईश्वर जानता है,
कि अकेले हम कुछ नहीं खाएंगे मिल बांट कर
सबको दवा, दुआ कुछ न कुछ देकर के जाएंगे।
[चेतना विकास मिशन]

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें