‘तेरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूठ जाना कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए’तिबार होता’, ये शेर लिखा तो मिर्जा गालिब ने है, लेकिन इसके मायने हमारी इस एक्सक्लूसिव खबर के लिए मौजूं हैं। इस शेर का मतलब ये है कि ‘अगर कोई तुमसे ये कहे कि हम तुम्हारे वादे के सहारे जीते रहे तो इसे झूठ समझना। अगर तुम पर ए’तिबार (भरोसा) होता तो खुशी से मर नहीं जाते क्या?’ यूं समझिए कि महागठबंधन सरकार बन तो गई लेकिन नीतीश और लालू-तेजस्वी के बीच का रिश्ता बिल्कुल ऐसा ही है, भले ही एक दूसरे से कितने ही गले क्यों न मिल लें। एक टॉप सूत्र ने जो जानकारी दी, वो कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है।
RJD से आए बयानों के चलते ललन सिंह हो गए गरम- सूत्र
इस कहानी या यूं कहिए कि सच्ची कहानी को शुरू से शुरू करते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही शिवानंद तिवारी ने RJD की भरी सभा में कहा कि जल्द ही तेजस्वी बिहार के सीएम बनेंगे और नीतीश कुमार आश्रम खोलकर राजनीति की शिक्षा देंगे। RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह तो इससे एक कदम आगे निकल गए और 2023 यानि अगले साल ही तेजस्वी के सीएम बनने की भविष्यवाणी कर दी। बस यहीं लग गया प्लान में पलीता। JDU को ये बात बुरी तरह से नागवार गुजरी। JDU के हमारे एक अतिविश्वसनीय सूत्र ने हमें बताया कि ‘जगदानंद सिंह के इस बयान को सुनकर जेडीयू नेता बहुत नाराज हुए। हाल ये हो गया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह उर्फ राजीव रंजन ने तेजस्वी से बात की और कहा कि ऐसे बयानों पर RJD आलाकमान लगाम लगाए।’
जगदा बाबू की चिट्ठी पॉलिटिक्स का सच
इसके बाद ही जगदानंद सिंह ने चिट्ठी जारी कर RJD की बयानबाजी पर रोक लगाने का फरमान जारी किया। अब सोचिए कि जो खुद ही बयान दे रहे थे वही इसे रोकने के लिए चिट्ठी जारी कर रहे थे। तेजस्वी को कहीं न कहीं ये जरूर लगा होगा कि ऐसी बयानबाजी उनके करियर के लिए ठीक साबित नहीं होने वाली। क्योंकि नीतीश को चुनौती देने का नतीजा क्या होता है ये फिलहाल बिहार बीजेपी से ज्यादा कोई नहीं जानता।
फेल हो गई नीतीश के लिए RJD की ‘धक्कामार पॉलिटिक्स’- सूत्र
अब सवाल ये कि धक्कामार पॉलिटिक्स क्या है? JDU के हमारे टॉप सूत्र के मुताबिक RJD का दिल तो यही है कि नीतीश जल्द से जल्द दिल्ली की राजनीति संभाल लें और तेजस्वी बिहार की। लेकिन सवाल ये कि क्या ऐसा मुमकिन है। JDU के हमारे इस सूत्र ने हमें बताया कि ‘अब ये बात किसी से छिपी नहीं है कि ममता बनर्जी नीतीश की विपक्षी गोलबंदी से पीछे हट गई हैं। यही हाल केसीआर और केजरीवाल का भी है। ऐसे में इस समीकरण के हिसाब से परिणाम अच्छे नहीं आएंगे।’
तेजस्वी के लिए फिलहाल सीएम पद की नो वैकेंसी- सूत्र
अब सबसे अहम सवाल कि तेजस्वी सीएम कब बनेंगे। हमारे सूत्र ने हमें जो बताया उसके मुताबिक 2024 तक तो ये तय मान लीजिए कि सीएम पोस्ट पर तेजस्वी के लिए वैकेंसी नहीं है। हमारे सूत्र ने इसके पीछे साफ-साफ कारण भी बताया। इसकी वजह ये है कि नीतीश सीएम की कुर्सी तभी छोड़ेंगे जब वो विपक्ष यानि दूसरे मोर्चे (कांग्रेस और बाकी पार्टियों) के पीएम उम्मीदवार बनाए जाएंगे। एक एक्सक्लूसिव खबर ये भी के नीतीश की फिलहाल तीसरे मोर्चे में कोई दिलचस्पी नहीं है। और अगर नीतीश दूसरे मोर्चे के पीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किए जाते तो तेजस्वी के लिए सीएम की कुर्सी पर नो वैकेंसी का बोर्ड लगा रहेगा। यानि विपक्ष का पीए उम्मीदवार न बनने की सूरत में नीतीश सीएम की कुर्सी का ‘त्याग’ हरगिज नहीं करेंगे। यूं समझिए कि ‘जो लिखा है वही होगा।’