आज (25 अक्टूबर) शाम साल का आखिरी आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। अगले दिन यानी 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी। इस साल ग्रहण की वजह से दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का गैप है। 2022 के बाद दीपावली और सूर्य ग्रहण का योग 2032 में 3 नवंबर को बनेगा।
इस बार दीपावली पर सूर्य ग्रहण और बुध, गुरु, शुक्र, शनि का अपनी-अपनी राशि में होना, ऐसा योग पिछले 1300 सालों में नहीं बना है। ये ग्रहण भारत के अधिकतर हिस्सों में दिखेगा और इसका सूतक सुबह चार बजे से शुरू हो गया है। दिवाली पूजन में स्थापित की गई लक्ष्मी जी की चौकी सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद हटाएं।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की वेबसाइट के मुताबिक आज का सूर्य ग्रहण यूरोप, नॉर्थ-ईस्ट अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, वेस्ट एशिया में दिखाई देगा। इस सूर्य ग्रहण के बाद 8 नवंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण भी होगा। ये एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में दिखेगा। भारत में ये ग्रहण दिखेगा और इसका सूतक भी चल रहा है।
बिड़ला तारामंडल, कोलकाता के खगोल वैज्ञानिक देवी प्रसाद दुआरी के मुताबिक सूर्य ग्रहण देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में आसानी से देखा जा सकेगा। देश के पूर्वी हिस्सों में ये ग्रहण दिख नहीं पाएगा, क्योंकि इन क्षेत्रों में उस समय सूर्यास्त हो चुका होगा। ग्रहण की शुरुआत शाम 4 बजे के बाद हो जाएगी। ग्रहण का समय अलग-अलग जगहों के हिसाब अलग-अलग रहेगा, 4.50 बजे तक ग्रहण अधिकतर शहरों में दिखने लगेगा।
दिवाली जैसे बड़े त्योहार पर सूर्य ग्रहण होने से कई तरह के कन्फ्यूजन पैदा हो गए हैं। जैसे लक्ष्मी जी की चौकी कब हटानी है, ग्रहण के समय खाने को कैसे सुरक्षित और पवित्र रखें, सूतक का समय क्या रहेगा, ग्रहण का सभी राशियों पर कैसा असर होगा, ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखने की सलाह क्यों दी जाती है, सूर्य ग्रहण देखते समय आंखों की केयर कैसे करें?
इन कन्फ्यूजंस को दूर करने के लिए हमने अलग-अलग एक्सपर्ट्स से बात की है। धर्म-ज्योतिष का पक्ष बता रहे हैं उज्जैन के एस्ट्रोलॉजर पं. मनीष शर्मा, आयुर्वेद का पक्ष बता रहे हैं डॉ. राम अरोरा, महिलाओं के लिए टिप्स दे रही हैं उज्जैन की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. मोना गुप्ता (एमएस) और आंखों की केयर के लिए टिप्स दे रहे हैं भोपाल के आई स्पेशलिस्ट डॉ. पवन चौरसिया (एसोसिएट प्रोफेसर)।
सवाल-जवाब में जानिए सूर्य ग्रहण से जुड़ी खास बातें
सवाल: क्या हमारे देश में आज के सूर्य ग्रहण का सूतक रहेगा?
जवाब: जी हां, ये आंशिक सूर्य ग्रहण भारत के अधिकतर हिस्सों में दिखेगा, इस कारण सूर्य ग्रहण का सूतक सुबह करीब 4 बजे से शुरू हो गया है। सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। दिवाली की रात स्थापित की गई लक्ष्मी जी की चौकी शाम को ग्रहण खत्म होने के बाद ही हटाएं। सूतक की वजह से सभी मंदिरों के पट बंद हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद मंदिरों का शुद्धिकरण होगा और फिर मंदिरों में भक्त दर्शन कर पाएंगे।
सवाल: सूर्य ग्रहण का समय कब से कब तक रहेगा?
जवाब- हिन्दी पंचांग के मुताबिक आज (25 अक्टूबर) शाम 4 बजे से सूर्य ग्रहण शुरू होगा। अलग-अलग जगहों के हिसाब ग्रहण दिखने का समय अलग-अलग रहेगा, शाम करीब 4.50 बजे तक अधिकतर जगहों पर ग्रहण दिखने लगेगा। शाम 6.25 बजे ग्रहण खत्म होगा। जिन जगहों पर ग्रहण खत्म होने से पहले सूर्यास्त हो जाएगा, वहां सूर्यास्त के साथ ही ग्रहण और सूतक खत्म हो जाएगा।
सवाल: ग्रहण के समय कौन-कौन से धर्म-कर्म कर सकते हैं?
जवाब: जब ग्रहण का सूतक रहता है, तब पूजा-पाठ जैसे शुभ काम नहीं किए जाते हैं। इस वजह से सभी मंदिर बंद रहते हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद ही पूजा-पाठ की जाती है। ग्रहण के समय में बिना आवाज किए मंत्र जप किए जा सकते हैं। इस समय में जरूरतमंद लोगों को दान भी करना चाहिए।
सवाल: सूर्य ग्रहण क्यों होता है?
जवाब: धर्म और विज्ञान के नजरिए से इसके अलग-अलग कारण हैं। विज्ञान के मुताबिक पृथ्वी चंद्र के साथ सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करता है। जब चंद्र परिक्रमा करते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में होते हैं, तब चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। जहां-जहां चंद्र की छाया पड़ती है, वहां सूर्य नहीं दिखता है। इस स्थिति को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। धर्म के नजरिए से ग्रहण की कथा राहु और केतु से जुड़ी है।
देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र को मथा तो अमृत निकला। विष्णु जी मोहिनी अवतार लेकर देवताओं को अमृत पान करा रहे थे।
एक असुर राहु देवताओं का वेष बनाकर देवताओं के बीच बैठ गया और उसने अमृत पी लिया। सूर्य और चंद्र राहु को पहचान गए और उन्होंने विष्णु जी को ये बात बता दी।
विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन राहु ने अमृत पी लिया था, इस कारण वह मरा नहीं। राहु के दो हिस्से हो गए। एक हिस्से को राहु और दूसरे हिस्से को केतु कहा जाता है।
राहु की शिकायत सूर्य और चंद्र ने की थी, इस कारण वह इन दोनों को दुश्मन मानता है और समय-समय पर इन दोनों ग्रहों को ग्रसता है, जिसे ग्रहण कहा जाता है।