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कोरोना वैक्सीन के बाद शरीर में खून के थक्के जमने के मामले क्यों?

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लंदन. वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण के बाद खून के थक्के बनने के बेहद दुर्लभ मामले संबंधी खतरे के बारे में जानकारी साझा की है. 5 यूरोपियन देशों और अमेरिका के स्वास्थ्य डेटा पर आधारित अध्ययन में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीके की पहली खुराक लेने के बाद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस के बढ़े खतरे का जिक्र किया गया है. द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित अध्ययन में फाइजर-बायोएनटेक टीके की तुलना में जैनसेन/जॉनसन एंड जॉनसन टीके के बाद बढ़े हुए जोखिम की ओर भी ध्यान दिलाया गया है.

शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि health news, blood clot after corona vaccine, corona vaccine reaction, corona vaccine side effects, science news, covid 19 vaccine, कोरोना वैक्सीन के बाद खून के थक्के, कोविड 19 केससिंड्रोम बहुत दुर्लभ है, लेकिन कहा कि देखे गए जोखिमों पर आगे टीकाकरण अभियानों और भविष्य के टीके के विकास की योजना बनाते समय विचार किया जाना चाहिए. टीटीएस तब होता है जब किसी व्यक्ति में रक्त के थक्के के साथ-साथ कम रक्त प्लेटलेट काउंट (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया) होता है. अध्ययन के अनुसार, यह बहुत दुर्लभ है और खून के थक्के बनने की सामान्य स्थितियों जैसे डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (डीवीटी) या फेफड़ों के थक्के से अलग है.

रिसर्च में सामने आए कोविड टीके के दुर्लभ प्रभाव

टीटीएस को वर्तमान में एडेनोवायरस-आधारित कोविड टीकों के दुर्लभ दुष्प्रभाव के रूप में जांचा जा रहा है, जो कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए एक कमजोर वायरस का उपयोग करते हैं, लेकिन अध्ययन के अनुसार विभिन्न प्रकार के टीकों की तुलनात्मक सुरक्षा पर कोई स्पष्ट सबूत मौजूद नहीं है. इस बारे में जानकारी के लिए शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एमआरएनए-आधारित कोविड टीकों के साथ एडेनोवायरस-आधारित कोविड टीकों के उपयोग से जुड़े टीटीएस या थ्रोम्बोम्बोलिक के मामले के जोखिम की तुलना करने के लिए निर्धारित किया.

अध्ययन के लेखकों ने कहा ‘हमारे ज्ञान के लिए, यह एमआरएनए आधारित कोविड-19 टीकों की तुलना में एडेनोवायरस की तुलनात्मक सुरक्षा का पहला बहुराष्ट्रीय विश्लेषण है. उन्होंने चेताया कि हालांकि ये घटनाएं बहुत दुर्लभ हैं, लेकिन दुनिया भर में बड़ी संख्या में टीके की खुराक के कारण प्रभावित रोगियों की संख्या काफी हो सकती है.

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