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क्या गुजरात का मोरबी पुल हादसा मानवीय लापरवाही से हुआ ? कुछ अनुत्तरित प्रश्न ?

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निर्मल कुमार शर्मा

मिडिया के अनुसार यह झूलता पुल  केवल 4 दिन पहले बगैर फिटनेस सर्टिफिकेट के ही खोल दिया गया था !

            समाचार पत्रों के हवाले से यह खबर आ रही है कि मार्च 2022 में मोरबी की ओरेवा ग्रुप मतलब अजंता मेन्युफेक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड को पुल के रखरखाव का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मोरबी नगरपालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने कहा, ‘पुल मोरबी नगरपालिका की संपत्ति है,लेकिन हमने 15 सालों तक रखरखाव और संचालन के लिए इसे कुछ महीनों पहले ओरेवा ग्रुप को सौंपा था। हालांकि, निजी कंपनी ने हमें जानकारी दिए बगैर पुल को आने-जाने वालों के लिए खोल दिया था ! इसके चलते हम पुल का सेफ्टी ऑडिट तक नहीं करा सके। ‘

मोरबी नगरपालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने आगे बताया कि, ‘रिनोवेशन के काम के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था लेकिन स्थानीय नगरपालिका ने अब तक कोई फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया था। ‘ मच्छु नदी पर इस पुल का निर्माण 19वीं सदी में किया गया था।

        यह पुल 143 वर्ष पुराना था,जो जर्जर हो चुका था ! इस पुल का उद्घाटन 20 फरवरी वर्ष 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था !

             उस समय यह लगभग 3.5 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था। उस समय इस पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगवाया गया था। इसके बाद इस पुल का कई बार मरमम्मत किया जा चुका है। हाल ही में दिवाली से पहले इसके मरम्मत का काम 2 करोड़ रूपयों की लागत से किया गया था।

           मोरबी के राजा इसी पुल से दरबार जाते थे

इस पुल का निर्माण मोरबी के प्रजावत्सल राजा सर वाघजी ठाकोर के सिंहासन पर बैठने के दौरान हुआ था। उस समय राजा राजमहल से राज दरबार तक जाने के लिए इसी पुल का प्रयोग किया करते थे। राजशाही खत्म होने के बाद इस पुल की जिम्मेदारी मोरबी नगर पालिका को सौंप दी गई थी। लकड़ी और तारों से बना यह पुल 233 मीटर लंबा और मात्र 4.6 फीट चौड़ा है !

क्या अधिक से अधिक कमाई की लालच में  यह हादसा हुआ  ?

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           पुल की यात्रा के लिए आने वाले लोग टिकट खरीद रहे थे। अब आशंकाएं जताई जा रही हैं कि ज्यादा कमाई के लालच में क्षमता से ज्यादा लोगों को पुल पर जाने दिया गया ! हादसे में घायल हुए धीरज बाबूभाई सोलंकी अपने दो भतीजों को गंवा चुके हैं। उन्होंने जानकारी दी कि वह पुल के बीच में थे और पुल अचानक बैठ गया। सोलंकी ने बताया कि पुल भरा हुआ था। टिकट को लेकर जानकारी दी कि उन्होंने खुद के लिए 17 रुपये और बच्चों के लिए 12 रुपये का टिकट खरीदा था। 

कुछ शरारती लड़के पुल को जोर-जोर से हिला रहे थे ! ऐसा क्यों ? 

                 _________________घटनास्थल पर मौजूद एक शख्स,जो अहमदाबाद से वहां घूमने आए थे,ने दावा किया कि जब वे और उनका परिवार पुल पर था तो कुछ युवक जानबूझ कर पुल को जोर-जोर से हिला रहे थे,इस विषम परिस्थित में उस पुल पर लोगों का चलना भी दूभर हो रहा था ! लोगों के लिए बिना सहारे के उस पर खड़ा होना तक मुश्किल हो रहा था। पुल पर बहुत भीड़ थी। उनको लगा कि इससे खतरा हो सकता है। इसलिए वे परिवार सहित उस पुल से तुरंत नीचे उतर आए थे !

               उस व्यक्ति ने बताया कि इस भयानक पुल हादसे में वे सपरिवार बाल-बाल बच गए, क्योंकि वे पूरे परिवार के साथ रविवार को हुए भीषण हादसे से कुछ घंटे पहले ही पुल पर गए थे, लेकिन युवकों की ओर से केबल पुल हिलाए जाने के कारण वह नीचे उतर आए। हालांकि, कुछ घंटों बाद उनका डर सही साबित हुआ और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र मच्छु नदी पर बना केबल पुल शाम करीब 6:30 बजे टूटकर लगभग 15फुट गहरी नदी में जा गिरा ! इस भयानक हादसे में बाल-बाल बचे उस व्यक्ति ने मिडिया को बताया कि कुछ शरारती लड़कों के इस कुकृत्य के बारे में उन्होंने पुल के कर्मचारियों को तुरंत सूचना भी दिए थे, लेकिन पुल के कर्मचारियों ने उनकी इस गंभीर बात को भी पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिए थे ! ब्रिटिश काल में बना यह पुल मरम्मत के बाद चार दिन पहले ही लोगों के लिए खुला था !            वह व्यक्ति आगे बताया कि, ‘वहां से जाने से पहले मैंने ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारी को उन शरारती तत्वों द्वारा को पुल हिलाने से रोकने को भी कहा लेकिन, उन्हें सिर्फ टिकट बेचने में दिलचस्पी थी ‘ उन कर्मचारियों ने कहा कि ‘भीड़ को नियंत्रित करने का उनके पास कोई उपाय नहीं है ! ‘हमारे वहां से जाने के कुछ ही घंटे बाद हमारा डर सच हो गया और वह पुल टूट गया। ‘

पुल को नुकसान पहुंचाने वाले सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

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      सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में कुछ युवकों को पुल के केबल को लात मारते और दूसरे लोगों को डराने के लिए पुल को हिलाते देखा जा सकता है। मौके पर मौजूद कई बच्चों ने बताया कि पुल गिरने के बाद उनके परिवार के सदस्य या माता -पिता अभी तक लापता हैं। 10 साल के एक बच्चे ने बताया, ‘पुल पर बहुत भीड़ थी, तभी पुल अचानक टूट गया। मैं बच गया क्योंकि मैंने एक रस्सी पकड़ ली थी और फिर धीरे-धीरे उससे ऊपर आ गया,लेकिन मेरे मम्मी-पापा अभी भी लापता हैं ! ‘

           ज्ञातव्य है कि गुजरात का यह मोरबी पुल जब 765 फीट लंबा और महज 4.5 फीट चौड़ा है ! गुजरात के मोरबी पुल हादसे में मरने वालों की तादाद सोमवार सुबह तक 141 पहुंच गई है। मृतकों में 25 बच्चे भी शामिल हैं। 170 लोग रेस्क्यू किए गए हैं। हादसा रविवार शाम 6.30 बजे तब हुआ,जब उस पुल पर उसकी मालवहन क्षमता से बहुत ज्यादा लोग चढ़ गए !

143 साल पुराना यह पुल 6 महीने से बंद था। हाल ही में इसकी मरम्मत की गई थी। 25 अक्टूबर को इसे आम लोगों के लिए खोल दिया गया था। रविवार होने की वजह से भीड़ जरूरत से ज्यादा हो गई। हादसे की यही वजह बताई जा रही है !

चश्मदीदों की जुबानी, हादसे की भयावह कहानी

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         चश्मदीद : पुल पर 1000 से ज्यादा लोग मौजूद थे,इस हादसे में 8 लोगों की जान बचाने वाले चश्मदीद ने कहा- यहां एक हजार से भी ज्यादा लोग मौजूद थे। जो तैरना जानते थे, वो तैरकर बाहर आ रहे थे। छोटे बच्चे डूब रहे थे, हमने पहले उन्हें बचाया। उसके बाद बड़ों को निकाला। पाइप के सहारे लोगों को हम निकाल रहे थे !अफसर बोले – ‘उस पुल की कुल क्षमता केवल 100 लोगों की थी, लेकिन उस पुल पर 500 से भी ज्यादा लोग जमा हो गए थे… हादसे की यही वजह थी ! ‘सड़क एवं भवन विभाग मंत्री जगदीश पांचाल ने भास्कर से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि ‘ यह पुल नगर निगम के दायरे में आता है। निगम के अधिकारियों ने बताया कि इस पुल की मालवहन  क्षमता मात्र 100 लोगों की है, लेकिन रविवार की छुट्टी होने के चलते हादसे के वक्त ब्रिज पर 400 से 500 लोग जमा थे। इसी के चलते ब्रिज बीच से टूट गया ! ‘

          प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इस भयावहतम् हादसे पर दुख जताया है। मृतकों के आश्रितों को दो लाख और घायलों को 50 हजार रुपए की सहायता देने का ऐलान किया है। पटेल ने भी मृतकों के आश्रितों को 4 लाख और घायलों काे 50 हजार देने की घोषणा की।

      इस भयावहतम् हादसे का दोषी कौन ?  

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          इस पुल के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है। ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने, स्टाफ का प्रबंधन है।

ठीक 43 साल बाद फिर सिहर उठा मोरबी : 

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            वर्ष 1979 में 11अगस्त को दोपहर सवा तीन बजे मच्छू नदी के डैम टूटने से पूरा मोरबी शहर श्मशान में तब्दील हो गया था ! हादसे में 1400 लोगों की मौत हुई थी,सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस हादसे में 1439 लोगों और 12,849  से भी ज्यादा पशुओं की मौत हुई थी। बाढ़ का पानी उतरने के लोगों ने भयानक मंजर देखा। इंसानों से लेकर जानवरों के शव खंभों तक पर लटके हुए थे। हादसे में पूरा शहर मलबे में तब्दील हो चुका था और चारों ओर सिर्फ लाशें नजर आ रही थीं। इस भीषण हादसे के कुछ दिन बाद इंदिरा गांधी ने मोरबी का दौरा किया था, तो लाशों की दुर्गंध इतनी ज्यादा थी कि उनको नाक में रुमाल रखनी पड़ी थी। इंसानों और पशुओं की लाशें सड़ चुकी थीं। उस समय मोरबी का दौरा करने वाले नेता और राहत एवं बचाव कार्य में लगे लोग भी बीमारी का शिकार हो गए थे।

मोदीजी का बेहद शर्मनाक बड़बोलापन !

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करीब पांच साल पहले मोरबी में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदीजी अपनी आदत के अनुसार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आलोचना करते हुए कहा था कि ‘मच्छू बांध त्रासदी के बाद राहत कार्य के दौरान राहुल गांधी की दादी इंदिराबेन मुंह पर रूमाल डाले दुर्गंध और गंदगी से बच रही थीं। जबकि, संघ के कार्यकर्ता कीचड़ व गंदगी में घुस कर सेवाभाव से काम कर रहे थे। गुजराती मैगजीन चित्रलेखा ने इंदिरा की तस्वीर पर राजकीय गंदगी और संघ के कार्यकर्ताओं की तस्वीर पर मानवता की महक का शीर्षक लगाया था !’

            इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में एक पुल गिरने पर अपनी आदत के अनुसार वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए एक विडियो आजकल वायरल हो रहा है,जिसमें मोदीजी बंगाल राज्य सरकार पर घिनौने आरोप लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं ! इस विडियो में मोदीजी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री श्रीमती ममता बनर्जी पर आरोप लगाने में फूहड़ता की पराकाष्ठा को पार करते हुए कहा था कि ‘ .. क्योंकि यह पुल चुनाव के दिनों में गिरा है,ताकि पता चले…कि आपने कैसी सरकार चलाई है, इसलिए भगवान ने लोगों को संदेश दिया है कि आज ये ब्रिज टूटा है,कल ये बंगाल ऐसे ही खत्म कर देगी,इसको बचाओ..ये भगवान ने संदेश भेजा है..!

         इतिहास अपने को दोहराता है !

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          उक्त वर्णित सभी बातों यथा प्रत्यक्षदर्शियों,नगर निगम के अधिकारियों और गुजरात राज्य के मंत्रियों के बयानों का गहन विश्लेषण करने पर यह बिल्कुल सीसे की तरह साफ हो जाता है कि मोदीजी के राज्य गुजरात में हुए इस हादसे में घोर मानवीय गलतियों की वजह से यह हादसा हुआ,जिसमें कई समाचार पत्रों के अनुसार 141 से भी ज्यादा लोग,जिनमें ज्यादातर बच्चे और औरतें हैं अपने जान से हाथ धो बैठे हैं !

          लापरवाही के कुछ नमूने 

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           मोरबी पुल की कुल भारवहन क्षमता मात्र 100 व्यक्तियों की है, लेकिन उस पर हजारों लोगों को भेज दिया गया कोई कंट्रोल नहीं,कुछ शरारती तत्व उस पुल को झकझोर रहे थे, सूचना के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, प्राइवेट कंपनी द्वारा ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लालच में पुल को स्थानीय नगरपालिका से बगैर कोई फिटनेस सर्टिफिकेट प्राप्त किए ही   जल्दबाजी में पुल को खोल दिया गया ! आदि-आदि बहुत सी अक्षम्य लापरवाहियों को किया गया ! जिससे 143 निर्दोष लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा ! ध्यान रहे मृतकों और उनके आश्रितों को चंद रूपये मुआवजे दे देना उनके जीवन लीला समाप्त होने की तुलना में कुछ भी नहीं है ! जीवन अमूल्य होता है,इसका सही मुआवजा यह है कि इस दु:खद घटना के दोषियों को कठोरतम् यथा मौत तक की सजा मिलनी ही चाहिए।

     -निर्मल कुमार शर्मा ‘गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के सुप्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में वैज्ञानिक,सामाजिक, राजनैतिक, पर्यावरण आदि विषयों पर स्वतंत्र,निष्पक्ष, बेखौफ,आमजनहितैषी,न्यायोचित व समसामयिक लेखन,संपर्क-9910629632, 

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