मेरे सामने एक रिपोर्ट खुली हुई है यह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट है | इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बस्तर की आदिवासी महिलाओं के साथ पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा बलात्कार के मामलों की जांच करी है | और उसकी रिपोर्ट दी है |
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि पुलिस वालों ने आदिवासी औरतों से कहा कि वह उनकी योनि में मिर्ची डाल देंगे | पुलिस वालों ने आदिवासी औरतों के कपड़े उठाए, औरतों के स्तन में निचोड़ कर जांच करी कि वह बच्चों को दूध पिलाती है या नहीं | क्योंकि महिलाओं ने कहा था कि उन्हें बख्श दिया जाए क्योंकि वह उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं |
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने माना कि कम से कम 16 महिलाओं के साथ बलात्कार के सबूत मौजूद हैं | अगर आप बस्तर जाएं और सरकार आपको गांव में जाने की इजाजत दे दे | तो आपको हजारों ऐसी आदिवासी महिलाएं मिलेगी जिनके साथ भारत के सरकारी सुरक्षा बलों के सिपाहियों ने बलात्कार किया है |
सिपाही समाज का प्रतिनिधित्व करता है | सिपाही की तनख्वाह का पैसा और सिपाही को ताकत यह समाज देता है | इसलिए अगर सिपाही बलात्कार करता है और समाज उसे रोकता नहीं तो इसका अर्थ है पूरा समाज बलात्कारी हो चुका है | हम आज बलात्कारी समाज हो जाने की बात स्वीकार करते हुए आगे बात शुरू करेंगे |
हम जब कहते हैं कि विकास के नाम पर आदिवासी महिलाओं से बलात्कार किया जा रहा है | तो तुरंत हमारे बहुत विद्वान मित्र आ कर कहते हैं कि क्या आप देश को पीछे रखना चाहते हैं ?
बात कहने में बुरी तो लगेगी लेकिन क्या हम अपनी बेटियों बहनों के साथ इस देश के विकास के लिए बलात्कार करने को तैयार हैं ? तो फिर आदिवासी महिलाओं से बलात्कार की बात को हम अस्वीकार क्यों नहीं करते ? और हम यह क्यों नहीं कहते कि कुछ भी हो जाए हम बलात्कार स्वीकार नहीं करेंगे ?
और ऐसा भी नहीं है कि बिना बलात्कार किए विकास नहीं किया जा सकता | लेकिन हम वह रास्ते तलाशने के लिए ना बात करने को तैयार हैं ना कुछ सुनने के लिए तैयार है | बल्कि जो बात कहता है उसे हम नक्सली या माओवादी विकास विरोधी कह कर या तो जेल में डाल देते हैं, या गोली से उड़ा देते हैं या इलाका छोड़ने पर मजबूर कर देते हैं | सोनी सोरी, विनायक सेन और मेरा उदाहरण सामने है | इसके अलावा हम बहुत सारे लोगों को जानते हैं जिनके साथ बहुत क्रूर हरकतें करी गई सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने सरकारी क्रूरता पर सवाल खड़े किए थे |
भारत का संविधान आदिवासियों को विशेष संरक्षण देता है | संविधान द्वारा भारत के राष्ट्रपति को आदिवासियों के हितों का संरक्षक नियुक्त किया गया है | आदिवासी इस देश के विशेषाधिकार प्राप्त नागरिक है | लेकिन यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि आजादी के बाद से आज तक राष्ट्रपति ने एक बार भी आदिवासियों के हितों के लिए खुद को दिए गए विशेष अधिकार का एक बार भी प्रयोग नहीं किया है | इस देश में हजारों आदिवासियों को मार डाला गया | विस्थापित किया गया, आदिवासियों ने गुहार लगाई लेकिन राष्ट्रपति या उनके प्रतिनिधि राज्यपालों ने एक बार भी आदिवासियों के बचाव के लिए कभी कोई कार्यवाही नहीं करी |
भारतीय समाज इस समय आदिवासियों के साथ युद्ध में व्यस्त है | भारत राज्य इस समय आदिवासियों के साथ युद्ध कर रहा है | बताइए इस समय आपके सबसे ज्यादा सिपाही कहां है ? भारत के सबसे ज्यादा सिपाही इस समय आदिवासी इलाकों में हैं | आपने अपने सिपाहियों को जंगलों में क्या करने के लिए भेजा है ? क्या आपने सिपाहियों को आदिवासी इलाकों में आदिवासियों की रक्षा करने के लिए भेजा है ? नहीं आपने अपने सिपाहियों को भेजा है आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा करने के लिए |
क्या आप के सिपाही आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा करके इस देश के गरीबों का भला करेंगे? नहीं आपके सिपाही आदिवासियों की ज़मीनों पर कब्ज़ा कर के कुछ मुट्ठी भर अमीर पूंजीपतियों को सौंप देंगे | आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने के लिए आपके द्वारा चलाया जा रहा यह पूर्ण युद्ध है | इसमें हथियार है, हत्याएं है, बलात्कार है, झूठ बोलना शामिल है | और आप इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है |
अभी कुछ दिन पहले विजय कुजूर नामक आदिवासी युवा को गिरफ्तार किया गया है | इस युवा को दिल्ली के नजदीक महिपालपुर से गिरफ्तार किया गया है | शहरी मीडिया ने इसे ऐसा दिखाया जैसे कोई बहुत बड़ा आतंकवादी पकड़ा गया हो | इस युवक पर इल्जाम है कि यह लोग गांव में आदिवासियों के साथ मिलकर गाँव के बाहर आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का वर्णन करने वाले पत्थर गाढ़ते हैं | इसे झारखंड में पत्थलगड़ी कहा जाता है | वैसे तो इस इलाके में हजारों सालों से परिवार के सदस्य के मरने के बाद पत्थर गाड़ा जाता हैं |
लेकिन आदिवासियों की सेवा करने वाले IAS ऑफिसर ब्रह्मदेव शर्मा ने आदिवासी नेता दिलीप सिंह भूरिया, बंदी उरांव और अनेकों आदिवासी कार्यकर्ताओं ने भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची में आदिवासियों को दिए गए अधिकार जल जंगल जमीन पर आदिवासियों के निर्णय को सर्वोच्चता देने के नियमों को पत्थर पर लिख कर गांव के बाहर गाढ़ना शुरू किया |
इससे बाद आदिवासियों की जमीन लूट कर पैसा कमा रही सरकार चिढ़ गई | और सरकार ने संविधान की बात करने वाले आदिवासियों को आतंकवादी घोषित कर दिया | पत्थलगड़ी को अपराध घोषित कर दिया गया है |
असल में तो भारत सरकार आदिवासी का साथ देने वाले हर व्यक्ति या संस्था को माओवादी कहती है | कानून का साथ देने वाले जज प्रभाकर ग्वाल को नौकरी से निकाल दिया गया | कानून का साथ देने वाली और आदिवासी लड़कियों के साथ क्रूरता का विरोध करने वाली जेलर वर्षा डोंगरे को निलंबित कर दिया गया | आदिवासियों की आवाज उठाने वाली सोनी सोरी के मुंह पर तेजाब फेंक दिया गया | आदिवासियों के लिए आवाज उठाने वाली महिला वकील शालिनी गेरा उनके साथियों को बस्तर से बाहर निकाल दिया गया | आदिवासियों के हक में आवाज उठाने वाले पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया और मालिनी सुब्रमण्यम के ऊपर पुलिस ने हमला करके उन्हें बस्तर छोड़ने पर मजबूर कर दिया |
इतना ही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय संस्था रेडक्रास को माओवादी समर्थक कहा गया, डाक्टरों की संस्था डाक्टर विदाउट बार्डर को माओवादी समर्थक कहा गया | सलवा जुडूम के खिलाफ फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज को छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ने माओवादी समर्थक कहा | संयुक्त राष्ट्र संघ के आदिवासी अधिकारों के लिए बनाये गये आयोग के उपाध्यक्ष ने जब बस्तर और झारखंड का दौरा किया और आदिवासियों से बात करी तो भाजपा नेताओं ने अखबारों में उन्हें माओवादी समर्थक कहा | जब सीबीआई की टीम सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के बाद आदिवासियों के गाँव जलाने के मामलों की जांच करने गई तो पुलिस ने सीबीआई पर हमला कर दिया |
साफ-साफ लग रहा है कि भारत के अमीर लोग आदिवासियों के विरुद्ध युद्ध कर रहे हैं | और युद्ध में आदिवासियों को भारत का अमीर समाज अपना दुश्मन मान रहा है और इस युद्ध में जो भी दुश्मन का साथ देता है हम आप दुश्मन घोषित कर देते हैं और माओवादी कह कर उस पर पूरी ताकत से टूट पड़ते हैं |
आप अधिकार चाहते हैं | आप शांति चाहते हैं | लेकिन आप रोज अशांति को जन्म दे रहे हैं | आप रोज लूट कर लाइ गई संपत्ति का उपभोग कर रहे हैं | आपके लिए बिजलीघर कितने आदिवासियों को जबरदस्ती विस्थापित कर जेलों में डालकर गोली से उड़ा कर उनकी बेटियों से बलात्कार कर बनाए गए हैं | कभी जानने की कोशिश करी आपने कि आपके लिए लोहा चांदी सोना हीरा की खदाने कितने आदिवासियों को उजाड़ कर बनाई गई है? आपके कितने सिपाही आदिवासी इलाकों में हैं ?
आप हिंसा के ज्वालामुखी पर बैठे हैं | आप हिंसा का समर्थन करते हैं | हिंसा फैलाने वाली सरकारों को वोट और टैक्स देते हैं | आप अपनी हिंसा की तरफ से मुंह मोड़ लेते हैं | लेकिन आपको शांति चाहिए, लोकतंत्र और समानता का अधिकार चाहिए | लेकिन यह हो नहीं सकता | आप मेरी बात का भले ही बुरा माने | मैं आपको गारंटी देता हूं कि ना आप को शांति मिलेगी ना लोकतंत्र और ना बराबरी | और अगर आप अपनी क्रूरता और लूट के बाद भी शांति से रहेंगे | तो मैं पहला व्यक्ति होऊंगा जो आपकी शांति को नष्ट करने के लिए अपना पूरा जी जान लगा दूंगा | अन्याय के मौजूद रहते शांति एक अपराध है | और हम यह अपराध नहीं होने देंगे |
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