मुनेश त्यागी
पूरी मानवता का अस्तित्व समाजवाद में ही है। समाजवाद लेता और बांटता नहीं है। यह जनता को जोड़ता है और संसाधनों को एकजुट करता है और उन्हें पूरे समाज और देश के लिए प्रयोग करता है। तोड़ने और ध्वस्त करने का विचार लुटेरी पूंजीवादी व्यवस्था का विचार रहा है। पूंजीवादी व्यवस्था पूरी दुनिया को लूटती है, पूरी दुनिया पर, उसके संसाधनों पर कब्जा करना चाहती है, उसे अपनी प्रभुत्व में लेना चाहती है और उसका मुख्य मकसद केवल और केवल मुनाफा कमाना और अपनी तिजोरियां भरना ही रह गया है, उसका जनकल्याण से कोसों दूर का भी कोई वास्ता नहीं है।
मार्क्स और एंगेल्स के वैज्ञानिक समाजवाद के विचारों को, 1917 में लेनिन के नेतृत्व में किसानों मजदूरों की सरकार ने रूस में मानव इतिहास में सबसे पहले धरती पर उतारा और मानव इतिहास में किसानों मजदूरों को पहली दफा अपना भाग्यविधाता बनाया। सोवियत यूनियन की समाजवादी व्यवस्था में राज्य को आर्थिक सामाजिक संगठन के रूप में धरती पर उतारा गया और इस व्यवस्था के द्वारा संसाधनों का जनता में न्यायपूर्ण वितरण किया गया। सारे उत्पादन को सामाजिक जीवन के लिए किया गया और सामाजिक जीवन ने मिलकर उत्पादन प्रणाली को विकसित किया।
राजनेता जो बोते हैं, वही काटते हैं। अगर वे जनता का भाईचारा एकजुटता और सद्भाव बोयेंगे तो वहां अच्छाई उपजेगी। अगर वे विवाद और झगड़े बोयेंगे, तो वहां झंझट और विवाद बढ़ेंगे। इन दोनों विरोधी विचारों की व्यवस्थाओं को पूरी दुनिया में देखा जा सकता है। समाजवाद जहां जनता को एकजुट करता है, पूंजीवादी व्यवस्था वहीं दुनिया को, जनता को बांटती है, उसे अलग-थलग करती है, उसे जाति धर्म और नस्ल के आधार पर बांटती है।
पूरी समाजवादी व्यवस्था ने दुनिया में एकजुटता का यही काम किया गया है। रूस, चीन, वियतनाम, क्यूबा, कोरिया और पूर्वी यूरोपियन देशों में उत्पादन, जनता की जरूरतों के हिसाब से किया गया। वहां जनता के अंदर आपसी भाईचारा कायम किया गया, सारी की सारी नीतियां जनता के कल्याण के लिए बनाई गईं। सबको शिक्षा, सबको काम के नारे को अमलीजामा पहनाया गया। सब को भोजन, सबको कपड़ा, सबको घर, सबको काम, सब को अनिवार्य और आधुनिक शिक्षा दी गई, सबको आधुनिक और मुफ्त इलाज दिया गया। सारी जनता का सांस्कृतिक स्तर सुधारा गया, सबको लिखना, पढ़ना, नाच गाना और मनोरंजन उपलब्ध कराया गया।
हजारों साल पुराने जुल्मों सितम, अन्याय, अभाव, वंचना, पिछड़ेपन और अभावग्रस्तता को खत्म कर दिया गया। कुछ लोगों की बेहतरी के स्थान पर, पूरे समाज की कल्याण की नीतियां उत्पादन और वितरण किया गया, जिससे कि समाज दनादन आगे बढ़ते चले गए। अज्ञानता, अंधविश्वास, धर्मांधता और पाखंडों का साम्राज्य धराशाई करके, ज्ञान-विज्ञान, विवेक, खोज, अन्वेषण और विवेक का जीता जागता साम्राज्य कायम किया गया और देखते ही देखते समाजवादी व्यवस्था और उसकी आंखें खोलने वाली उपलब्धियां, पूरी दुनिया की सिरमोर बन बैठीं।
समाजवाद की अद्भुत उपलब्धियों के बाद पूंजीवादी लुटेरी व्यवस्था बौखला गई। उनके वैश्विक लूट, वैश्विक प्रभुत्व और कब्जाने की नीतियों और सोच की नींव हिल गई है। उन्होंने समाजवादी व्यवस्था को अपना जानी दुश्मन मान लिया और समाजवाद की कार्यप्रणाली में खलल डालना शुरू कर दिया और समाजवादी दुनिया के खिलाफ, इन पूंजीवादी लुटेरों ने जनता की लुटेरी पूंजीवादी ताकतों को एकजुट करना शुरू कर दिया और वे एक-एक करके जनता के दुश्मन निजामों का समर्थन करने लगे और उन्हें स्थापित करने लगे।
समाजवादी दुनिया के खिलाफ, अमेरिका और यूरोप के लुटेरे, साम्राज्यवादी और जनविरोधी निजामों को एकजुट करके, अमेरिका ने नाटो को बरकरार रखा। सारी संधियों और नैतिकता को तोड़ मरोड़ कर, नाटो के तमाम देश रूस के संसाधनों को लूटने और रूस को तोड़ने और उसके टुकड़े-टुकड़े करने के लिए एकजुट हो रहे हैं और अब रूस यूक्रेन युद्ध में तमाम नाटो के देश, यूक्रेन की आर्थिक और सैन्य मदद कर रहे हैं।
उधर एशिया में इन साम्राज्यवादी लुटेरी ताकतों द्वारा, समाजवादी नीतियों को लागू करने वाले चीन को घेरने की तमाम चालें चली जा रही हैं। अमेरिका चीन के विरोधियों को उकसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। उसके खिलाफ लामबंदी कर रहा है, तरह-तरह के गुट बना रहा है, उसके खिलाफ लोगों को भड़काया जा रहा है। ये लुटेरे चीन की उपलब्धियों और महाशक्ति बनने से लगातार परेशान हो रहे हैं।
इस प्रकार आज हम देख रहे हैं कि लुटेरी पूंजीवादी व्यवस्था के पास दुनिया को देने के लिए कुछ भी नहीं है। विकास, चुनाव, डेमोक्रेसी, स्वतंत्रता, जन कल्याण, शिक्षा और स्वास्थ्य की जन कल्याण की नीतियों को उन्होंने छोड़ दिया है। उनके लिए पूरी दुनिया से मुनाफा कमाना और पूरी दुनिया के संसाधनों को लूटना और उन्हें अपने कब्जे में करना है और दूसरे देशों में हस्तक्षेप करके वहां की सरकारों को अस्थिर करना और उन देशों पर अपना कब्जा करना ही इनका एक मात्र काम और उद्देश्य रह गया है। अब इन सब मामलों को लेकर वे सब पूरी दुनिया के सामने नंगे हो गए हैं और उनकी लुटेरी नीतियों ने, पूरी दुनिया की जनता के सामने, उनकी पोल खोल दी है। अपनी पोल खुलने के कारण दुनिया की तमाम लुटेरी साम्राज्यवादी ताकतें बौखला गई है।
समाजवादी व्यवस्था को प्रत्येक देश और काल की परिस्थितियों के अनुसार लागू किया जा सकता है, ढाला जा सकता है। पिछले वर्षों में समाजवाद के निर्माण में और उसकी नीतियों को लागू करने में जो थोड़ी बहुत खामियां और कमियां आ गई थीं, उन्हें दुनिया की सारी समाजवादी ताकतें मिलकर दूर करने की कोशिश कर रही हैं। आज समाजवादी मिशन को आगे बढ़ाना ही सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है। आज हम देख रहे हैं और समझ रहे हैं कि समाजवादी व्यवस्था, संस्कृति, सोच और शासन प्रशासन से ही दुनिया की जनता की समस्याओं को खत्म किया जा सकता है।
आज समाजवाद ही दुनिया और मानवता का भविष्य और आशा बन रह गई है। समाजवादी व्यवस्था ही दुनिया को न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, विकास, समता, समानता, शांति अमनचैन और भाईचारा प्रदान कर सकती है। आओ, दुनिया के भविष्य यानी समाजवाद को ही अपनी कथनी और करनी बनाएं। समाजवाद ही दुनिया की आशा और मानवता का भविष्य है।