एस पी मित्तल,अजमेर
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मानना है कि राजस्थान में पत्रकारों का कोई प्रभावी और संगठित संगठन नहीं है, इसलिए पत्रकारों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है। पहले संगठन होते थे तब बातें सरकार तक पहुंचती थी, तो समाधान भी हो जाता था। मैंने अपने पहले के कार्यकाल में पत्रकारों को रियायती दर पर प्लाट भी दिए। मौजूदा समय में भी पत्रकार सम्मान निधि के तौर पर 15 हजार रुपए मासिक दिए जा रहे हैं। मैं हमेशा पत्रकारों की समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर रहता हूं, लेकिन पत्रकारों को भी संगठित होने की जरूरत है। असल में सीएम गहलोत चार नवंबर को जब बारां में मीडिया से संवाद कर रहे थे, तभी स्थानीय पत्रकारों ने सीएम का ध्यान पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं की ओर आकर्षित किया। पत्रकारों का कहना था कि सरकार की सभी सुविधाएं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत पत्रकारों को ही मिलती है। सरकार ने अधिस्वीकरण की प्रक्रिया को भी बहुत जटिल कर रखा है। इससे जिला स्तर पर सक्रिय पत्रकारों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता। पत्रकारों ने गैर अधिस्वीकृत पत्रकारों को भी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की मांग की।
संगठन का महत्व समझे-राठौड़:
सीएम अशोक गहलोत के बयान पर आईएफडब्ल्यूजे के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि राजस्थान के पत्रकारों को संगठन का महत्व समझना चाहिए। जब सीएम गहलोत खुद संगठन का महत्व बता रहे हैं, तब पत्रकारों को सबक लेने की जरूरत है। राठौड़ ने प्रदेशभर के पत्रकारों से अपील की कि वे राष्ट्रीय स्तर के संगठन आईएफडब्ल्यूजे से जुड़े ताकि जिला स्तर के पत्रकारों की भी समस्याओं का समाधान हो सके। राठौड़ ने कहा कि वर्तमान समय में आईएफडब्ल्यूजे संगठन ही राजस्थान भर में सक्रिय है। संगठन से जुड़ने के लिए मोबाइल नंबर 9928096254 पर उपेंद्र राठौड़ से संपर्क किया जा सकता है।
बड़े मीडिया समूह का सहयोग नहीं:
पत्रकारों के संगठन में बड़े मीडिया समूह का सहयोग नहीं मिलता है। कोई भी समूह का प्रबंधन नहीं चाहता कि उसके यहां कार्यरत पत्रकार किसी संगठन के सदस्य बने। चूंकि बड़े समूह के पत्रकार सदस्य नहीं बनते हैं, इसलिए पत्रकार भी संगठित नहीं हो पाते। जब तक बड़े समूह के पत्रकार शामिल नहीं होंगे तब तक कोई संगठन भी सरकार तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाता।