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आखिर अशोक गहलोत से अपने ही क्यों नाराज हो रहे हैं?

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मंत्री परसादी लाल मीणा ने प्रतापसिंह खाचरियावास और राजेंद्र गुढ़ा के बयानों की हवा निकाली

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एस पी मित्तल,अजमेर

राजस्थान के पूर्व राजस्व मंत्री और कांग्रेस के विधायक हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कार्यशैली को लेकर जो बयान दिया है, वह चौंकाने वाला है। राजस्थान में ओबीसी के 21 प्रतिशत आरक्षण से पूर्व सैनिकों को भी आरक्षण देने को लेकर चौधरी ने अपनी नाराजगी जताई है। चौधरी का कहना है कि 30 सितंबर को सीएम की ओर से कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण की विसंगतियों को दो दिन में दूर कर दिया जाएगा। लेकिन डेढ़ माह बाद भी विसंगतियों को दूर नहीं किया। 9 नवंबर को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भी इस मुद्दे को टाल दिया गया। विसंगतियां दूर नहीं होने से प्रदेश के ओबीसी वर्ग के युवाओं को नुकसान हो रहा है। हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर सार्वजनिक तौर पर नाराजगी प्रकट कर प्रदेश भर के ओबीसी खास कर जाट समुदाय के आंदोलन को हवा दी है। प्रदेश में ओबीसी के आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ जाट समुदाय को ही मिल रहा है, क्योंकि ओबीसी की जातियों में सबसे ज्यादा शिक्षित और परिश्रमी जाट समुदाय के युवा ही है। हालांकि राजस्थान में 2018 में पूर्व सैनिकों को ओबीसी वर्ग में शामिल किया गया, लेकिन हरीश चौधरी ने अब इसे मुद्दा बनाया है। सब जानते हैं कि दो वर्ष पहले जब हरीश चौधरी को पंजाब का प्रभारी बनाया गया था, तब चौधरी राजस्थान में राजस्व मंत्री थे, लेकिन सीएम गहलोत ने चौधरी से राजस्व मंत्री पद वापस ले लिया। अब जब पंजाब के चुनाव में कांग्रेस की हार हो गई और हरीश चौधरी फ्री होकर राजस्थान आ गए हैं, तब वे चाहते हैं कि उनका केबिनेट मंत्री का पद फिर से मिल जाए। चौधरी ने तीन चार माह तो इंतजार किया, लेकिन अब और इंतजार नहीं हो पा रहा है। जानकारों की मानें तो मंत्री पद के लिए सीएम गहलोत पर दबाव बनाने के लिए ही हरीश चौधरी ने ओबीसी आरक्षण में विसंगतियों का मामला उठाया है। 8 दिसंबर के बाद गुजरात चुनाव से रघु शर्मा भी फ्री हो जाएंगे। रघु शर्मा भी हरीश चौधरी की तरह राजस्थान में चिकित्सा विभाग के कैबिनेट मंत्री थे, लेकिन गुजरात का प्रभारी बनाए जाने पर सीएम गहलोत ने रघु से भी मंत्री पद ले लिया था। रघु भी चाहेंगे कि गुजरात में परिणाम आते ही उन्हें राजस्थान में वापस कैबिनेट मंत्री बना दिया जाए। यदि मंत्री बनाने में विलंब हुआ तो रघु शर्मा, हरीश चौधरी से भी ज्यादा तीखी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। अशोक गहलोत के 2008 से 2013 के कार्यकाल में रघु शर्मा कई बार गहलोत का विरोध कर चुके हैं। रघु शर्मा को हरीश चौधरी से ज्यादा गुस्सा आता है। जानकार सूत्रों के अनुसार रघु की इच्छा के विपरीत गहलोत ने उन्हें गुजरात का प्रभारी बनवाया। राजस्थान के विधानसभा चुनाव में अभी एक वर्ष शेष है। हरीश चौधरी और रघु शर्मा जैसे नेता एक वर्ष तक मंत्री पद से दूर नहीं रहना चाहते।

अपने ही क्यों कर रहे हैं विरोध?:

कांग्रेस के विधायक हरीश चौधरी को भी सीएम गहलोत का समर्थक माना जाता है। लेकिन चौधरी की ताजा प्रतिक्रिया से जाहिर होता है कि अब उनके मन में सीएम गहलोत को लेकर नाराजगी है। कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा आदि ने पहले ही गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। आईएएस की एसीआर भरने को लेकर खाचरियावास सीएम के अधिकारों को चुनौती दे रहे हैं। वहीं राजेंद्र गुढ़ा गहलोत के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। इससे पहले भी कई मंत्रियों ने गहलोत की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है। ये वो मंत्री और विधायक हैं जिन्हें गहलोत का समर्थक माना जाता है। सवाल उठता है कि अपने ही लोग गहलोत के खिलाफ क्यों  हो रहे हैं।

परसादी लाल मीणा आए समर्थन में:

मंत्री खाचरियावास और गुढ़ा के बयानों के विपरीत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा अब गहलोत के समर्थन में आ गए हैं। खाचरियावास को जवाब देते हुए मीणा ने कहा कि मैं अपने विभाग के आईएएस अधिकारियों की एसीआर भरता हंू। उन्होंने कहा कि मेरा किसी भी सचिव से विवाद नहीं रहा है। राजेंद्र गुढ़ा को जवाब देते हुए मीणा ने कहा कि जो लोग ऐसे बयान दे रहे हैं वे कांग्रेस में नहीं रहना चाहते। जब कांग्रेस हाईकमान ने मंत्रियों और नेताओं को बयान देने पर रोक रखा है, तब मुख्यमंत्री की कार्यशैली को लेकर क्यों बयान दिए जा रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान को ऐसे मंत्रियों पर कार्यवाही करनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि गुढ़ा ने दो दिन पहले ही कहा था कि यदि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने रहते हैं तो अगले विधानसभा चुनाव में इनोवा कार में बैठने, जितने विधायक भी कांग्रेस के नहीं होंगे। 

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