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जाति, धर्म और लिंग से हिंसा को नकारती, संवैधानिक अधिकारों को उजागर करती यात्रा का 15 नवंबर को बड़वानी में समारोप

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बिरसा मुंडा जयंती पर जल-जंगल जमीन को बचाने का संकल्प लेंगे हजारों आदिवासी, किसान, मजदूर, पशुपालक, मछुआरे भी!*

*• नर्मदा को भी अविरल और निर्मल रखने के लिए पुकार और जागर की पदयात्रा!* 

        नफरत छोडो| संविधान बचाओ|| अभियान देश के 300 जिलों में चला है| 2 अक्तूबर से जिले-जिले में 75 कि.मी. की पदयात्राएं चली तो गाँव गाँव और गलियों गलियों में भी पहुंचा है ऐलान, नफरत और भेदभाव, हिंसा और अत्याचार रोकने का! यात्रा में शामिल नागरिकों ने किया है, आवाहन-इंसानियत बचाने का! बड़वानी जिले में सेंधवा में हुई दंगा फसाद और युवाओं को उकसाना, बुलडोसर से अल्पसंख्यकों को मकान ध्वस्त करके उन्हें बेघर करने का, तथा महीनों से सैकड़ों को जेलबंद रखने का अनुभव विदारक रहा है| इस परिप्रेक्ष्य में सभी धर्मों के, नागरिकों ने यात्रा में शामिल होकर अमन-शांति के लिए गुहार लगाना महत्वपूर्ण रहा है| देश के अन्य क्षेत्रों में एवं मध्य प्रदेश के कई जिलों में दलित, आदिवासियों पर और महिलाओं पर हुए अत्याचार को हिम्मत से धिक्कारते हुए चार दिनों में नर्मदा घाटी के तथा सेंचुरी मिल्स के श्रमिकों ने 25 गावों में पहुंचकर अब पाचवे दिन चार गावों में यात्रा शुरू की है|

        देश के किसान, मजदूरों को भुगतने पड़ रही है गैरबराबरी पूंजीपतियों की जागीर नहीं, यह देश हमारा है इस नारे के साथ बड़े उद्योगपतियों को सालाना दी जा रही 5.5 लाख करोड़ की तथा अपराधी नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे को मिली 68000 करोड़ की कर्जमाफ़ी और हर उपज का सही दाम, दोनों मुद्दों पर कानून पारित करने की गुहार हर वक्त ने लगायी|

         अडानी, अम्बानी, बिरला सहित एकेक उद्योगपति लॉकडाउन में भी करोड़ों का मुनाफा कमाकर विश्व में फ़ैल रहे है और देश की सार्वजनिक संपत्ति, किसानों की खेती छीनकर, रोजगार निर्माण नहीं कर पाये है| बड़े उद्योगों से रोजगार की हत्या हो रही है और शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ खेती और अन्नसुरक्षा के क्षेत्र में भी शासन उन्हें अवकाश और मौका दे रही है| उद्योगपतियों की मनमानी, श्रमिकों की छटनी,  तथा बिरला समूह के उदाहरण से साबित फर्जी बिक्री को सामने रखते हुए पदयात्रियों ने अपने आजीविका के अधिकार का आग्रह रखा। जल, जंगल, जमीन को बचाने की संविधान के तहत शासन की जिम्मेदारी नहीं निभाने की हकीकत उजागर करते हुए खेती की जमीन को गैरखेती के लिए हस्तांतरित करने के तथा नर्मदा जैसे हर नदी को प्रदूषित करने के उदाहरण गांववासियों के समक्ष रखे गये।

            सरदार सरोवर के विस्थापितों ने 37 सालों से किया संघर्ष आज भी जारी है। 50,000 परिवारों के पुनर्वास के बाद बचे हुए किसान-मजदूर, कुम्हार केवट और जलाशय पर सहकारी अधिकार पाने के लिए आग्रही मछुआरों की मांगे भी यात्रा में उठायी गयी।

            नर्मदा नदी, शहरों की गंदगी और खेतों से कीटनाशक पानी बहने से, जहरीली हो गयी है। नदी में क्रूज चलाने से आज ही जो पीने लायक नहीं है यह टेस्ट रिपोर्ट बताता है; वह पानी और भी प्रदूषित होगा, इस बात पर हरित न्यायाधिकरण भोपाल में याचिका दाखिल हुई है। शुद्धीकरण के प्रोजेक्ट निर्माण (STPs) के लिए कुछ हजार करोड़ का फंड विदेशी बैंकों से लेकर भी कार्य पूरा न होने से जबलपुर से बड़वानी तक हर शहर से गंदा पानी आज भी नदी में बह रहा है| ‘नर्मदा बचाव’  

के लिए संघर्ष जरूरी है यह बात भी यात्रा से उजागर की गई। अधिवक्ता राजेंद्र मंडलोई, नगराध्यक्ष लक्ष्मण चौहान, जिला पंचायत सदस्य करण दरबार, के अलावा बड़वानी के वरिष्ठ नागरिक भी यात्रा में सहभागी रहे।

        15 नवंबर के रोज, प्रकृति-धर्म के संस्थापक रहे शहीद बिरसा मुंडा की जयंती पर यात्रा का समारोप होगा, झंडा चौक, बड़वानी में 11 बजे से! इस कार्यक्रम में आदिवासीयों ने बचाया पीढीयों पुराना जंगल ग्रामसभा की सहमति के बिना पूँजीपतियों को हस्तांतरित किये जाने की केंद्र सरकार की चाल को विरोध जताया जाएगा! वन सुरक्षा कानून, 1980 के नियमों के संशोधन से आज तक पेसा कानून, वनअधिकार कानून तथा संविधान से प्राप्त ग्रामस‌भा के अधिकारों को निरस्त करने से आदिवासीयों का ही नहीं, जीवन का आधार बना जंगल भी खत्म होगा, इस बात को लेकर सभी को शामिल होने का आवाहन संविधान बचाओ अभियान द्वारा किया गया है।

        बड़वानी की 15 नवंबर की आम सभा में जागृत आदिवासी दलित संगठन, आदिवासी छात्र संगठन,तिरंगा सोशल ग्रुप, तथा गाँधी चौपाल के साथी, कई जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे| किसान नेता प्रहलाद बैरागी जी, होशंगाबाद से गीता मीणा जी, महाराष्ट्र से आये सामाजिक कार्यकर्ता शरद पाटील जी, इंदौर से भी अतिथि रहेंगे|

        समारोप में नर्मदा बचाओ आंदोलन के गांववासी, आदिवासी, बहनों की उपस्थिति रहेगी|

अभियान को आगे बढ़ाने का किसान-मजदूर सभी नागरिकों के जीने का अधिकार के लिए अहिंसक संघर्ष और निर्माण का संकल्प लिया जाएगा|

 *सभी को आग्रह हैं बड़ी संख्या में पधारे।*

कैलाश यादव,कैलाश आवासया,बालाराम यादव ,दुर्गेश खवसे,मनीषा पाटिल,कमला यादव,हरिओमबाई,मेधा पाटकर

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