रामकिशोर मेहता
(1)
बहुत कुछ कहते हैं शब्द
शब्दों से बहुत अधिक
कह जाता है स्वर
स्वर से कहीं अधिक
कह जाती है चुप्पी।
(2)
चुप्पी शब्दों का
अभाव नहीं
अवमानना भी नहीं
कथ्य के खिलाफ
विद्रोह की पताका है चुप्पी।
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