अब्दुल कादीर गौर ,एडवोकेट
सोशल मीडिया में अगर आपकी मौजूदगी है तो आपको कुछ बातों का ख्याल हमेशा रखना चाहिए | कई विषयो पर लिखते समय आपको किस प्रकार की भाषा शैली का उपयोग करना चाहिए ये आपको ज्ञात होना चाहिए | लगातार कोशिश करनी चाहिए के आपके लेखन से किसी को हानि ना पहुंचे | किसी प्रकार के वाद विवाद को जन्म ना दें | सबकी आस्था और मत का सम्मान करते हुये आलोचना या समालोचना का चयन करना चाहिए |
इसके अतिरिक्त किसी अन्य के टाइमलाइन पर जाकर कमेंट करना, किसी मित्र के टाइमलाइन पर आये कमेंट का रिप्लाई देना आदि बातों में विशेषकर ये ध्यान रखना चाहिए की जिसके निजी क्षेत्र में आप प्रवेश कर रहे है वो कौन है? महिलाओं से बात करने की भाषा और शैली अलग होती है जबकि पुरुषों से बात करने की अलग | कम उम्र के लोगो से बात करने का अलग अंदाज़ होता है जबकि उम्रदराज लोगो से बात करते समय अलग अंदाज़ होना समय की मांग होता है | व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक स्थिति को लेकर कमेंट करने से बचना चाहिए | वें सभी सूचनाएं जो देश अथवा राज्य के लिए हानिकारक हो सकती है , शेयर करने से बचना चाहिए | जाति, धर्म, रंग, भेद, भाषा, क्षेत्र आदि के आधार पर वर्गीकरण करने से बचना चाहिए | कानूनो का उलंघन करने से सदैव बचना |
सोशल मीडिया आपका अपना मीडिया है इसे दूषित मत कीजिये | हमारे आपके विचार अथवा मत भिन्न भिन्न हो सकते है लेकिन इसका ये अर्थ कतई भी नहीं है कि मत विभाजन की बुनियाद पर हम भी आपस में अपना विभाजन करके जीवन को दुष्कर बना ले | अपशब्द, अमर्यादित भाषा शैली का उपयोग करना अक्षम्य व्यक्ति की पहचान होती है | व्यक्तिगत मौलिकता के आधार पर हम कह सकते है की सोशल मीडिया एथिक्स के नियमों का पालन किये बिना हम एक आदर्श सोशल मीडिया समाज नहीं बना सकते |
बाकी रिसर्च बाद में लिखेंगे अभी जा रहे है सोने, क्यूंकि कल सुबह दफ़्तर भी जाना है भाई लोगो..!