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खानपान : मूंगफली

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डॉ. ज्योति 

      सब किसान मूंगफली नहीं उगाते,ना मूंगफली हिंदोस्तानी मूल की है, बाहर से आयी है। मूंगफली उगाने वाली एक जाति हुआ करती थी जिसे सिंघारिया कहते थे। ये जाति आज भी है लेकिन अपने पुश्तैनी पेशे से दूर हो गयी है।सिंघारिया कहारों की उपजाति थी।

        ये जाति सबसे पहले गंगा-जमुना के दोआब के इलाकों में राजस्थान और गुजरात के इलाकों से मुग़ल सल्लनत के वक़्त आयी जब  मुग़ल सेना की पंवार और कछवाहा जैसी जातियों के सरदारों ने बादशाह के हुक़्म पर वर्तमान पश्चिमी यूपी के इलाकों में बसावट की तो उन्हीं के साथ सिंघारिया भी आए।

      मूंगफली की खेती करने से पहले सिंघारिया कहारों वाला काम ही करते थे। 

सोलहवीं सदी में दक्षिण अमेरिका के मूल की मूँगफली पहली बार हिंदोस्तान आयी और समुद्र तटीय इलाके के लोग मूंगफली उगाने लगे। वहाँ से तेज़ी से मराठों के इलाके में आयी तो मराठी लोग इसकी खेती करने लगे और इसे सींगदाना-सींघ-सेंग कहा जाने लगा।

        अब मूंगफली गुजरात और राजस्थान तक फैली जहाँ कहारों ने इसकी खेती को अपना लिया। मूंगफली उगाने वाले कहार मूंगफली के मराठी नाम सींघ की वजह से सिंघारिया कहे गए।यही सिंघारिया जाति गंगा-यमुना के दोआब में आ बसी।

        एक दौर में मूंगफली की खेती पूरे यूपी में नहीं होती थी,पश्चिमी यूपी ही इसका केंद्र था।सिंघारिया मुरादाबाद और सहारनपुर के आसपास के पूरे इलाके में बसे और मूंगफली की खेती करने से लेकर पूरे यूपी में घूम-घूमकर मूंगफली बेचना इनका पेशा रहा।

        सिंघारियों की बड़ी सभा तत्कालीन नैनीताल ज़िले के काशीपुर के चैती के मेले में होती जहाँ सभी प्रमुख सिंघारिया चौधरियों की जुटान होती। आज भी कुछ सिंघारिया शहरों-कस्बों में घूम-घूमकर जाड़े के मौसम में सड़क किनारे मूंगफली की बोरियाँ पलट भूनते नज़र आते हैं, लेकिन अब बहुसंख्यक सिंघारिया इस पुश्तैनी काम से हट गए हैं, ग़ैर सिंघारिया भी अब मूंगफली उगाने और घूमकर बेचने का काम करने लगे हैं। 

सर्दी के मौसम में मूंगफली खाने के अपने मज़े हैं लेकिन रवायती चिकित्सा में मूंगफली दवा भी मानी गई है।

       बढ़ी उम्र की वजह से जिन लोगों को घुटनों में दर्द हो और चलने फिरने में तकलीफ़ हो वो कच्ची मूंगफली का छिलका हटा मूंगफली के आठ दस दाने रात में पानी में भिगो दें, जैसे बादाम भिगोया जाता है, फिर सुबह मूंगफली के दानों का लाल छिलका हटा चबा-चबाकर मूंगफली के दाने खाएं, दस दिनों में ही असर दिखने लगेगा,जब तक दर्द समाप्त नहीं होता तब तक खाते रहें।

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