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दौलत के लालच में जिंदा पत्नी को जमीन में दफन कर दिया,बीते 28 साल से सजा काट रहा है हत्यारा

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यह कहानी उस शख्स की है, जो कर्नाटक के मैसूर राजघराने में छोटी सी नौकरी करता था। उसने महल के दीवान की शादीशुदा पोती को प्रेम के जाल में फंसाया और उससे शादी कर ली। दौलत के लालच में इतना अंधा हो गया कि अपनी जिंदा पत्नी को पहले बेहोश कर ताबूत में बंद किया, फिर उसे जमीन में दफन भी कर दिया। जब महिला की बेहोशी टूटी तो उसने ताबूत से निकलने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं कर सकी।

यह राज सदा के लिए दफन हो जाता, लेकिन नौकर की एक गलती ने इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया। हत्या करने वाला बीते 28 साल से सजा काट रहा है और 11 साल से सागर जेल में बंद है। राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा किए जाने के बाद उसे भी उम्मीद है कि उसे माफ कर रिहा किया जाएगा। उसने इस बारे में कोर्ट में अपील की है। अगले सप्ताह इस मामले पर सुनवाई होगी।

आज तक पैरोल नहीं मिली मध्यप्रदेश में सागर की केंद्रीय जेल में एक ऐसा कैदी है, जो 28 साल से सजा काट रहा है। उसकी उम्र अब करीब 80 साल हो चुकी है। इस बीच उसे कभी पैरोल नहीं मिली। दरअसल, उसका जुर्म इतना संगीन था कि ट्रायल कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा था। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे उम्रकैद में तब्दील कर दिया, लेकिन एक क्लॉज जोड़ते हुए उसे कभी भी किसी तरह की छूट देने से इनकार कर दिया।

अब एक बार फिर यह शख्स जेल की सलाखों से बाहर आना चाहता है। उसे यह उम्मीद जगी है पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों की रिहाई से। इस शख्स का नाम है श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा। श्रद्धानंद की कहानी में राजघराने की बेटी से पहले प्यार है, फिर लालच और फरेब है। पत्नी को जिंदा दफन करने का अपराध है।

मैसूर राजघराने में नौकर था श्रद्धानंद
बात 80 के दशक की है। सागर का रहने वाला मुरली मनोहर मिश्रा उर्फ श्रद्धानंद मैसूर राजघराने में नौकरी करता था। तब मैसूर राजघराने के दीवान की बेटी शकीरा नमाजी खलीली की शादी भारतीय विदेश सेवा के अफसर अकबर मिर्जा खलीली से हुई थी। अकबर मिर्जा उस समय ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य कई देशों में हाई कमिश्नर के रूप में पदस्थ थे। दोनों को इस शादी से चार बेटियां हुईं। विदेश सेवा में नौकरी के कारण अकबर का ज्यादातर समय विदेश में ही बीत रहा था।

मैसूर में उनकी पत्नी अपनी चार बेटियों के साथ रहती थीं। सब ठीक चल रहा था। एक दिन महल में कोई कार्यक्रम था, उस दिन शकीरा और श्रद्धानंद की सामान्य मुलाकात हुई, लेकिन शकीरा, श्रद्धानंद के व्यवहार की मुरीद हो गईं। फिर दोनों अक्सर ऐसे ही मिलने लगे। श्रद्धानंद टैक्स और प्रॉपर्टी की अच्छी समझ रखता था, जरूरत पड़ने पर शकीरा की प्रॉपर्टी व टैक्स से संबंधित मामलों में मदद करता था। पति से तलाक लेकर शकीरा ने श्रद्धानंद से शादी कर ली।

पति से तलाक लेकर शकीरा ने श्रद्धानंद से की शादी
समय के साथ मुरली मनोहर ने खुद ही अपना नाम श्रद्धानंद कर लिया। चार बेटियां होने के बाद शकीरा एक बेटा चाहती थीं। पति विदेश में रहते थे, इसलिए ऐसा नहीं हो पा रहा था। बेटे के चक्कर में शकीरा और मुरली मनोहर दोनों करीब आ गए। 1985 में मैसूर रियासत के पूर्व दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पोती शकीरा ने पूर्व राजनयिक अकबर खलीली को तलाक दे दिया। तलाक के एक साल बाद ही 1986 में शकीरा ने श्रद्धानंद से शादी कर ली और बेंगलुरु शिफ्ट हो गईं।

नींद की दवा देकर शकीरा को जिंदा दफन कर दिया
अप्रैल 1991 में श्रद्धानंद ने पत्नी शकीरा की करोड़ों की प्रॉपर्टी हड़पने के लिए पहले चाय में नींद की दवा देकर उसे बेहोश किया, फिर बेंगलुरु की रिचमंड रोड पर बने बंगले में ले जाकर ताबूत में बंद कर जिंदा दफना दिया। मां के अचानक गायब होने पर बेटी मुंबई से बेंगलुरु पहुंची। बेटी ने श्रद्धानंद से मां के संबंध में पूछा तो उसने कहा- शकीरा प्रेग्नेंट है और अमेरिका के रुजवेल्ट हॉस्पिटल में चेकअप के लिए गई है।

बेटी ने अमेरिका में पता लगाया, लेकिन मां वहां नहीं मिली। इसके बाद बेटी ने मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। राजघराने से जुड़ा मामला होने के कारण पुलिस ने तेजी से जांच शुरू की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। इस केस को बंद करने की नौबत आई गई थी, लेकिन ठीक 3 साल बाद ऐसा कुछ हुआ, जिसने पुलिस को कातिल तक पहुंचा दिया।

शराब के ठेके पर मिला कातिल का सुराग
पुलिस को पहला शक श्रद्धानंद पर ही था, उससे पूछताछ भी की गई, लेकिन उसके रसूख के कारण पुलिस सख्ती नहीं बरत पा रही थी। वो 29 अप्रैल 1994 की रात थी। बेंगलुरु क्राइम ब्रांच का कॉन्स्टेबल शराब के ठेके पर बैठा था, तभी शराब के नशे में धुत एक शख्स आया। वह कॉन्स्टेबल के सामने ही डींगे हांकने लगा। कहने लगा कि जिस शकीरा को पुलिस ढूंढ रही है, वो तो जिंदा ही नहीं है।

पुलिस ने उसे कस्टडी में लेकर पूछताछ की। ये शख्स श्रद्धानंद का नौकर था। उसने बताया कि श्रद्धानंद ने शकीरा को जिंदा ही ताबूत में बंद कर दफना दिया है। सख्ती से पूछताछ की तो उसने श्रद्धानंद की करतूत का खुलासा कर दिया। नौकर की बताई कहानी की पुष्टि के बहाने पुलिस टीम श्रद्धानंद के घर पहुंची।

श्रद्धानंद ने हत्या की यह वजह बताई
पुलिस हिरासत में श्रद्धानंद ने पत्नी की हत्या करने की वजह बताई। उसने बताया कि मैंने शकीरा से उसकी 600 करोड़ की दौलत के लिए प्यार और शादी की थी। दौलत उसे मिलने भी वाली थी, लेकिन शकीरा के एक फैसले ने उसके सपनों को तोड़ दिया। दरअसल, शकीरा ने अपनी सारी दौलत अपनी चारों बेटियों को देने का फैसला कर लिया था। इसके बाद श्रद्धानंद ने शकीरा की हत्या का प्लान बनाया।

28 अप्रैल 1991 काे श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा ने घर के सारे नौकरों को छुट्टी दे दी। उसने खुद से चाय बनाई और उसमें बेहोशी की दवा मिला दी। चाय पीने के बाद शकीरा बेहोश हुई तो उसे एक गद्दे में लपेटकर ताबूत में डाल दिया।

2011 में सागर जेल में हुआ शिफ्ट
आरोपी के वकील वरुण ठाकुर बताते हैं कि श्रद्धानंद मूलत: सागर का रहने वाला है। वह बचपन में घर से भागकर बेंगलुरु चला गया था। कोर्ट से सजा मिलने के बाद श्रद्धानंद ने खुद को गृह जिले की जेल में शिफ्ट करने की अपील की थी। वर्ष 2011 में सागर की सेंट्रल जेल में उसे शिफ्ट किया गया। श्रद्धानंद 11 साल से सागर की जेल में बंद है। जेल में सभी कैदियों के साथ उसका अच्छा व्यवहार है। इस समय श्रद्धानंद की उम्र 80 वर्ष के आसपास है। वह कई बीमारियों से पीड़ित भी है।

हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के आरोपियों की रिहाई होने के बाद एक बार फिर श्रद्धानंद का केस चर्चा में है। आरोपी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर श्रद्धानंद को रिहा करने की अपील की है। कोर्ट ने याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है।

वकील ने कहा- पूर्व PM के हत्यारे रिहा हो सकते हैं तो श्रद्धानंद क्यों नहीं?
आरोपी के वकील वरुण ठाकुर ने बताया कि 2014 में पैरोल के लिए अपील की थी। सुनवाई नहीं हो रही थी, लेकिन हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के आरोपियों को रिहा कर दिया गया। इसके बाद हमने कोर्ट में याचिका लगाते हुए कहा कि दोषी श्रद्धानंद को एक हत्या के लिए बिना छूट के उम्रकैद दी गई है। वह 28 साल से जेल में है। यहां तक कि उसे एक दिन की पैरोल भी नहीं मिली है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी 30 साल की कैद के बाद पैरोल पर रिहा कर दिए गए हैं। यह समानता के अधिकार के उल्लंघन का मामला है। इसके बाद बैंच श्रद्धानंद के मामले में जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गई है। दिसंबर के पहले सप्ताह में श्रद्धानंद के मामले में सुनवाई होगी।

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