विदेश में चल रहे IVF क्लिनिक इंडियन कपल्स को खास पैकेज दे रहे हैं, जिनमें 100% बेटा पैदा होने की गारंटी का दावा किया जा रहा है। दुबई के इन IVF क्लिनिक्स का नेटवर्क भारत में भी फैला है। जिसमें भारत में चल रहीं पैथोलॉजी लैब्स से लेकर स्थानीय डॉक्टर तक शामिल हैं।
एजेंट्स के जरिए कपल इन क्लिनिक्स तक पहुंचते हैं और फिर शुरू होता है गारंटी के साथ बेटा पैदा करने का प्रॉसेस। दुबई जाकर वहां रहने, खाने और इलाज कराने के इस पूरे प्रॉसेस में करीब 15 लाख रुपए तक का खर्च आता है।
स्टोरी में आगे बढ़ने से पहले बता दें कि हम पूरी तरह जेंडर सेलेक्शन के खिलाफ हैं। इसीलिए दुबई के डॉक्टरों या क्लिनिक्स के नंबर या डिटेल्स की जानकारी नहीं दे रहे हैं, ताकि इसका गलत इस्तेमाल न किया जा सके।
वुमन भास्कर ने क्लाइंट बनकर ऐसे ही कुछ एजेंट्स और दुबई में बैठे डॉक्टर से बात की और पूरे प्रॉसेस को समझा तो हैरान करने वाली हकीकत सामने आई। पड़ताल में पता चला कि एक बार फिर से बेटियों को दुनिया में आने से रोकने का सिलसिला तेज हो रहा है।
मगर, इस बार कन्या भ्रूण हत्या का पैटर्न हूबहू अल्ट्रासाउंड वाला है, लेकिन तरीका उससे कहीं ज्यादा खतरनाक।
बेटा पैदा करने की 100 फीसदी गारंटी देने वाली यह टेक्नोलॉजी क्या है, भारत में प्रतिबंध के बावजूद इंडियन कपल्स कैसे चोरी-छुपे इसका इस्तेमाल कर रहे हैं और कहां तक फैला है यह नेटवर्क, आइए जानते हैं
PGD के जरिए गर्भ में पहुंचने से पहले चुन रहे बच्चे का सेक्स
इस टेक्नोलॉजी का नाम है प्री-इम्प्लान्टेशन जेनेटिक डायग्नोसिस (PGD)। ये तकनीक आई तो थी IVF के जरिए तैयार किए गए भ्रूण में अनुवांशिक बीमारियों का पता लगाने के लिए, इससे लैब में भ्रूण का जेंडर पता लगाया जा रहा है।
अमेरिका से लेकर दुबई तक ‘फैमिली बैलेंसिंग’ के नाम पर धंधा
गारंटी के साथ बेटा पैदा करने का ऑफर दे रहे इन क्लिनिक्स का इंटरनेट पर अपना जाल बिछा है, जहां इन्होंने अपने धंधे को बड़ा ही शराफत भरा नाम दे रखा है- ‘फैमिली बैलेंसिंग’। इनके एजेंट्स सोशल मीडिया और मेसेजिंग ऐप्स से लेकर दूसरे इंटरनेट प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल कर ग्राहकों तक पहुंचते हैं।
UAE में PGD के जरिए बच्चे का जेंडर चुनने की अनुमति है। इसलिए फैमिली बैलेंसिंग के नाम पर यह धंधा वहां तेजी से फल-फूल रहा है। जेंडर चुनने की आजादी देने वाले UAE में लैंगिक अनुपात बेहद खराब है, वहां 222 पुरुषों पर महज 100 महिलाएं हैं।
हमने ई-मेल के जरिए इन क्लिनिक्स से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन क्लिनिक्स की जगह जवाब आया उनके एजेंट्स का। पूरी डिटेल हासिल कर वेरिफिकेशन के बाद जब एजेंट्स को भरोसा हो गया कि हम वाकई में PGD के जरिए ‘सेक्स सेलेक्शन’ कर बच्चा पैदा करना चाह रहे हैं, तब उन्होंने बातचीत शुरू की।
इस दौरान इस एक एजेंट ने बताया कि ‘फैमिली बैलेंसिंग’ की सुविधा देने वाले क्लिनिक सिर्फ UAE (यूनाइटेड अरब अमीरात) में ही नहीं है, बल्कि अमेरिका जैसे देशों में भी हैं। अगर किसी की पहले से बेटियां हैं, तो वह टेक्नोलॉजी के जरिए यह सुनिश्चित कर सकता है कि अगला बच्चा बेटा ही हो। इसी तरह, जिनके पहले से बेटे हैं, वह बेटी पैदा कर सकते हैं।
लेकिन, भारत जैसे देशों में बेटा पैदा करने की चाहत इतनी ज्यादा है कि लोग लाखों रुपए खर्च करके इन क्लिनिक्स की सर्विस ले रहे हैं। हमने अपने ई-मेल में बेटी की ख्वाहिश जाहिर की थी, लेकिन इस एजेंट ने छूटते ही पूछा कि आपको बेटा चाहिए न, काम हो जाएगा। इसलिए भारतीय कपल्स के लिए दुबई के क्लिनिक फेवरेट स्पॉट बन गए हैं।
विदेशी अस्पतालों में एजेंट से लेकर डॉक्टर तक इंडियन
दुबई के एजेंट ने ये भी बताया कि वह खुद भारत से है। उसने बताया कि ‘फैमिली बैलेंसिंग’ की सर्विस मुहैया कराने वाले अस्पतालों में अधिकतर स्टाफ और डॉक्टर भी इंडियन ही रखे जाते हैं।
दुबई के ही एक दूसरे क्लिनिक के लिए काम करने वाली एक और एजेंट ने भी ठीक यही जानकारी दी। उसने बताया कि उसके डॉक्टर के पास इंडिया से हर महीने कम से कम 30 से 50 पेशेंट आते हैं और उन सभी की चाहत बेटा पैदा करने की होती है।
दुबई जाने से पहले इंडिया में शुरू होता है इलाज
इन एजेंट्स ने बताया कि दुबई आने से पहले इंडिया में ही पति और पत्नी दोनों की कुछ जांच की जाएंगी। किसी भी अच्छी लैब से जांच करने के बाद इसकी रिपोर्ट दुबई में बैठे डॉक्टर को भेजनी होगी। रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर तय करेंगे कि पति-पत्नी दोनों को फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए किस तरह के इलाज की जरूरत है। फिर वह कुछ दवाएं और इंजेक्शन लिखेंगे।
दुबई जाने से पहले मेडिकेशन का यह पूरा प्रॉसेस इंडिया में ही होगा। इस दौरान 9 दिन तक पत्नी को हॉर्मोनल इंजेक्शन भी लेने होंगे, ताकि उनकी फर्टिलिटी बढ़ाकर IVF के लिए ज्यादा से ज्यादा एग्स निकाले जा सकें। हर तीसरे दिन अल्ट्रासाउंड भी करवाना होगा।
इंडिया में काम कर रहे डॉक्टर भी नेटवर्क में शामिल
एजेंट्स के मुताबिक इस पूरे प्रॉसेस की मॉनिटरिंग के लिए दुबई में बैठे डॉक्टर इंडिया के किसी लोकल डॉक्टर का पता देंगे। ये डॉक्टर इंजेक्शन लगाने से लेकर अल्ट्रासाउंड तक में मदद करेगा। दुबई से फीमेल डॉक्टर भी संपर्क में रहेंगी और मरीज की रिपोर्ट देखती रहेंगी।
मॉनिटरिंग के लिए वॉट्सऐप ग्रुप भी बनाया जाएगा, जिसमें पेशेंट, दुबई और इंडिया के डॉक्टर और क्लिनिक की नर्स भी रहेंगी। इंडिया के डॉक्टर को इस प्रॉसेस में शामिल करने पर प्राइवेसी और कानून से सुरक्षा का सवाल पूछने पर कहा गया कि इसके लिए आप चिंता मत करिए। सेफ्टी की पूरी जिम्मेदारी होगी।
सीधे क्लाइंट से नहीं करते बात डॉक्टर, एजेंट संभालते हैं सारी जिम्मेदारी
इंडियन कपल्स को बेटा पैदा होने की गारंटी देने वाले डॉक्टर शुरू में क्लाइंट से सीधे बात नहीं करते। शुरुआत में बातचीत से लेकर काउंसलिंग तक सारा काम एजेंट्स ही संभालते हैं। पति-पत्नी की जांच और रिपोर्ट के बाद ही डॉक्टर सामने आते हैं। रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर कपल से बात करते हैं और उन्हें इंडिया में शुरुआती ट्रीटमेंट की सलाह देते हैं। इसमें अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट के साथ ही हॉर्मोनल थेरेपी दी जाती है।
डॉक्टर ने बताए गाजियाबाद से जोधपुर तक के केस
एजेंट को यकीन दिलाया गया कि हम उनकी सर्विस लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, लेकिन प्रॉसेस शुरू करने से पहले पत्नी एक बार डॉक्टर से बात करना चाहती हैं, तो उसने जांच से पहले ही डॉक्टर से काउंसिलिंग कराने का आश्वासन दिया। 2 दिन बाद डॉक्टर का फोन आया, जो उन दिनों दुबई से छुट्टी लेकर इंडिया आई हुई थीं।
इस बातचीत के दौरान डॉक्टर अलर्ट दिखीं, लेकिन जब उन्हें हमारी उम्र ज्यादा हो जाने, पहले से एक बेटी होने और फैमिली से बेटे के लिए प्रेशर होने जैसी वजहें बताईं, तो धीरे-धीरे परतें खुलने लगीं।
डॉक्टर ने कहा, ‘मैं समझती हूं और इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप जो चाहते हैं, वह बिल्कुल हो जाएगा।’ हमें यकीन दिलाने के लिए उन्होंने बताया कि हाल ही में गाजियाबाद से एक कपल दुबई में उनके क्लिनिक गया। महिला की उम्र 38 साल थी, लेकिन उसके 4 मेल भ्रूण तैयार हुए। इसी तरह, जोधपुर की एक महिला डॉक्टर ने भी बेटे की चाहत में उनसे संपर्क किया था।
ये क्लिनिक बेटा पैदा करने के लिए भारत के अलग-अलग हिस्सों से दुबई जाने वाले कपल्स के टेस्टिमोनियल के जरिए भी खुलकर प्रमोशन करते हैं…
इंडिया में इलाज के बाद IVF के लिए बुलाते हैं दुबई
डॉक्टर ने कहा कि इंडिया में मेडिकेशन के बाद IVF की प्रक्रिया के लिए हमें दुबई जाना होगा। वहां एग और स्पर्म कलेक्ट किया जाएगा। एजेंट ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा भ्रूण तैयार करने की कोशिश की जाती है। इसके लिए हर एग में एक स्पर्म इंजेक्ट किया जाता है। कोशिश रहती है कि कम से कम 6 हेल्दी भ्रूण तैयार हो सकें।
5 दिन के टेस्ट ट्यूब बेबी का जान लेते हैं सेक्स
इसके बाद शुरू होता है फैमिली बैलेंसिंग का प्रॉसेस यानी बच्चे का जेंडर चुनने की प्रक्रिया। इसके लिए 5वें दिन PGD के जरिए सभी भ्रूण की जांच होती है। बायोप्सी से हर भ्रूण के टिश्यू लेकर उसे टेस्टिंग के लिए जेनेटिक लैब भेजते हैं। जहां PGD जांच में यह पता चल जाता है कि भ्रूण नॉर्मल और हेल्दी हैं या नहीं, बॉय है या गर्ल।
जेंडर पता चलने के बाद क्लाइंट की डिमांड के मुताबिक मनचाहे जेंडर वाले हेल्दी भ्रूण को स्टोर कर लेते हैं और कपल को इसकी जानकारी भेज देते हैं। इसके बाद कपल को फिर क्लिनिक बुलाया जाता है और फीमेल पार्टनर के यूट्रस में भ्रूण ट्रांसफर कर देते हैं।
प्रेग्नेंसी के बाद 2 महीने तक की जाती है मॉनिटरिंग
कपल के इंडिया वापस आने के बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट होता है। प्रेग्नेंसी के कन्फर्म होने के बाद 2 महीने तक दुबई के डॉक्टर मॉनिटरिंग करते हैं, फिर बाद में केस इंडिया के डॉक्टर को हैंडओवर कर दिया जाता है। जो डिलिवरी तक का जिम्मा संभालता है। ये प्रोसेस नॉर्मल डिलिवरी की तरह होता है।
ज्यादा भ्रूण तैयार करने की वजह पूछने पर डॉक्टर ने बताया कि अधिकतर लोग बेटा पैदा करना चाहते हैं। लेकिन, जरूरी नहीं है कि IVF से तैयार हर भ्रूण मेल ही हो। इसलिए सभी भ्रूण की PGD टेस्टिंग की जाती है, ताकि उनके जेंडर का पता लगाया जा सके। अगर 6 भ्रूण तैयार हुए हैं, तो सबसे पहले पता लगाया जाएगा कि वह पूरी तरह से हेल्दी हैं या नहीं।
फिर मेल और फीमेल भ्रूण अलग-अलग किए जाएंगे। अगर 6 में से 3 भ्रूण मेल हैं, तो उन्हें स्टोर कर लेते हैं। 3 में से एक भ्रूण को महिला के यूट्रस में ट्रांसफर कर दिया जाता है और अगर कपल चाहते हैं, तो बाकी 2 मेल भ्रूण सुरक्षित रखे जाते हैं। इसके लिए उन्हें अलग से भुगतान भी करना पड़ता है।
अगर किसी वजह से गर्भ नहीं ठहर पाता है या प्रेग्नेंसी में कोई दिक्कत आती है, तो स्टोर किए गए भ्रूण का ही दोबारा इस्तेमाल किया जाता है। जिससे IVF और PGD पर दोबारा खर्च नहीं करना पड़ता।
अगर IVF से तैयार सभी भ्रूण फीमेल हैं, तो बेटा चाहने वाले कपल से दोबारा स्पर्म और एग कलेक्ट किए जाते हैं। IVF और PGD की पूरी प्रक्रिया नए सिरे से दोहराई जाती है। यानी इसका खर्च फिर से देना होगा।
100% गारंटी का दावा, पहली बार का सक्सेस रेट 80 फीसदी
100 फीसदी गारंटी का दावा करने वाले क्लिनिक्स के एजेंट्स से जब IVF से प्रेग्नेंसी के सक्सेस रेट के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने दावा किया कि उनके यहां 70 से 80 फीसदी कपल्स को पहली बार में सफलता मिल जाती है। 20 से 30 फीसदी महिलाओं को दोबारा पूरे प्रॉसेस से गुजरना पड़ता है। लेकिन, इस दौरान उनका पूरा जोर इसी बात पर रहा कि एक बार प्रेग्नेंट होने के बाद बेटा पैदा होने की गारंटी 100 फीसदी है।
टूरिस्ट वीजा पर 2 बार जाना पड़ता है दुबई
आने-जाने और दुबई में रहने के इंतजाम के बारे में पूछने पर एजेंट्स ने बताया कि इस पूरे प्रॉसेस के लिए कपल को 2 बार दुबई आना पड़ता है। पहली बार स्पर्म और एग कलेक्शन के लिए दंपती को जाना जरूरी है, जबकि दूसरी बार भ्रूण को गर्भ में ट्रांसफर करने के लिए पत्नी अकेले भी जा सकती है। ये दोनों प्रॉसेस आमतौर पर 1-1 दिन में पूरे हो जाते हैं।
एजेंट्स ने कहा कि इसके लिए टूरिस्ट वीजा पर आराम से आ-जा सकते हैं। दुबई में रुकने के लिए होटल की लिस्ट क्लिनिक की तरफ से दे दी जाती है। कपल खुद भी ऑनलाइन सर्च करके होटल बुक कर सकते हैं। दुबई आने-जाने और वहां ठहरने का पूरा खर्च खुद ही उठाना होता है। अस्पताल का पैकेज इससे अलग होता है।
किसी दस्तावेज में नहीं होता कोई जिक्र, ट्रैक कर पाना मुश्किल
इस बात का पता लगा पाना बेहद मुश्किल है कि कौन घूमने के लिए दुबई जा रहा है और कौन बेटा पैदा करने की चाहत में IVF ट्रीटमेंट कराने के लिए। वीजा से लेकर किसी भी सरकारी दस्तावेज में इसका कहीं कोई जिक्र नहीं होता है।
PNDT एक्ट में संशोधन कर 2003 में सरकार लगा चुकी है बैन
2003 से पहले IVF और PGD के जरिए टेस्ट ट्यूब बेबी का जेंडर पता करने का धंधा भारत में भी शुरू हो गया था। PNDT एक्ट में 2003 में संशोधन कर PGD से टेस्ट ट्यूब बेबी का जेंडर पता करने पर बैन लगाया गया।
2016 में दिल्ली का एक व्यक्ति हिसार के एक IVF क्लिनिक से जेंडर सेलेक्शन के बाद बच्चा पैदा करने की डिमांड कर रहा था। इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस ने उसे पकड़कर जेल भेज दिया था।
अल्ट्रासाउंड से घातक क्यों है यह टेक्नोलॉजी
PGD के जरिए बेटियों को धरती पर आने से रोकने की यह तकनीक अल्ट्रासाउंड से भी घातक साबित हो सकती है। PGD की तरह ही 50 साल पहले 1970 के दशक में अल्ट्रासाउंड मशीन इसलिए भारत लाई गई थी, ताकि गर्भ में पल रहे बच्चों की जांच की जा सके और उन्हें कोई समस्या हो तो समय पर उनका इलाज हो सके।
लेकिन, अल्ट्रासाउंड बच्चियों के लिए किलिंग मशीन बन गई। प्रेग्नेंट महिलाओं का अल्ट्रासाउंड कराया जाता, जैसे ही पता चलता गर्भ में लड़की है, अबॉर्शन करा दिया जाता। जगह-जगह खुले मैटरनिटी अस्पताल अबॉर्शन सेंटर में तब्दील हो गए और 1970 से 2020 के बीच 4.6 करोड़ कन्याओं की भ्रूण हत्या कर दी गई। जिससे देश में सेक्स रेशियो गड़बड़ा गया।
अल्ट्रासाउंड के जरिए जहां ढाई से 3 महीने बाद गर्भ में पल रहे बच्चे के जेंडर का पता लगाया जा सकता था, वहीं PGD के जरिए 5 दिन में ही टेस्ट ट्यूब बेबी का जेंडर पता चल जाता है। ऐसे में भ्रूण के लड़की होने पर उसे गर्भ में ही नहीं जाने दिया जाता है।
सदियों से जारी है बेटियों की हत्या का सिलसिला…
बेटी की हत्याकर मुंह में रखते गुड़, कहते-फिर मत आना: 50 साल में 4.6 करोड़ बेटियों की हत्या, यूपी भी पंजाब-हरियाणा की राह पर
हरियाणा-पंजाब में तो आप बरसों से ऐसे मामलों के बारे में सुनते-पढ़ते आ रहे होंगे। तमाम रिसर्च हुईं। अनगिनत खबरें छपीं। सरकारों का भी ध्यान हरियाणा-पंजाब पर बना रहा। इस बीच उत्तर प्रदेश की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया, जहां खतरा पंजाब और हरियाणा से कम नहीं है। ऐसे में देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में बेटों के लिए बेटियों की हत्या का सिलसिला जारी रहा।
कुछ वक्त पहले आई एक रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि 2030 तक UP में 20 लाख बच्चियों को गर्भ में ही मार दिया जाएगा। इसकी पुष्टि IIT दिल्ली की प्रोफेसर और एंथ्रोपोलॉजिस्ट रविंदर कौर की रिसर्च से भी होती है।