नई दिल्ली: इजरायल से ली गई रैंपेज मिसाइल के लिए गोवा के चिकालिम में एक टेस्टिंग फैसिलिटी बनाई जा रही है. यह एक लंबी दूरी की हवा से जमीन (air to ground) पर मार करने वाली प्रेसाइस सुपरसोनिक मिसाइल है. यह मिसाइल 15 फीट लंबी है. इसका वजन 570 किलोग्राम है. यह जीपीएस गाइडेड मिसाइल है जो ईरान के S-300 डिफेंस सिस्टम को जवाब देने के लिए बनाई गई थी.
रैंपेज मिसाइल को राडार पकड़ तो लेता है लेकिन इसकी गति इतनी ज्यादा है कि इसे इंटरसेप्ट नहीं किया जा सकता. यानी दुश्मन चाहकर भी इसे अपनी इंटरसेप्टर मिसाइल से मार कर गिरा नहीं सकता. रैंपेज मिसाइल का फायदा भारत को ऐसे मिलेगा कि वो अपने फाइटर जेट से सीमा के इस पार से ही दुश्मन के कम्यूनिकेशन एंड कमांड सेंटर, एयर फोर्स बेस, मेंटेनेंस सेंटर या किसी भी तरह की इमारत को गिरा सकती है.
इस मिसाइल को इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने बनाया है. कंपनी के मुताबिक यह मिसाइल किसी भी मौसम में दुश्मन पर कहर बरपा सकती है. ये किसी भी हाई-वैल्यू टारगेट को ध्वस्त करने में ज्यादा समय नहीं लगाती. एक बार में किसी भी फाइटर जेट पर चार मिसाइल लगाए जा सकते हैं. यह जीपीएस/आईएनएस गाइडेंस नेविगेशन और एंटी जैमिंग टेक्नोलॉजी से लैस है. इसलिए इस हैक या जैम करके बीच में रोका या दिशा नहीं बदली जा सकती.
रैंपेज मिसाइल की खासियत यही है कि इसे एक बार टारगेट दिखा कर दाग दो और भूल जाओ. स्पीड सुपरसोनिक है. आमतौर पर हवा से जमीन पर मान करने वाली मिसाइलों की गति ऐसी नहीं होती. इसके हथियार में ब्लास्ट फ्रैगमेंटेशन तकनीक लगाई जा सकती है. यानी किसी बंकर या किलेबंद स्थान को भी तहस-नहस कर देगी. ये अपने टारगेट पर 350 से 550 मीटर प्रति सेकेंड की गति से टकराती है. यानी 21 से 33 किलोमीटर प्रति मिनट की दर से दुश्मन की ओर बढ़ती है.