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भारत और चीन के बीच तवांग में झड़प…आखिर क्यों चीन बार-बार इस तरह की चालबाजी कर रहा है

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नई दिल्ली : भारत और चीनी सैनिकों के बीच गलवान में खूनी संघर्ष के बाद अब तवांग में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर पिछले दो साल से तनाव बरकरार है। पहले पूर्वी लद्दाख और अब तवांग में चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। 1962 की जंग में जीत के बाद से चीन लगातार भारत पर हावी रहने का प्रयास करता रहा है। हालांकि, 1962 से लेकर अब तक स्थिति में बहुत बदलाव आ गया है। अब भारत 1962 वाला भारत नहीं है। भारत का कद कूटनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण हो गया है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी समेत यूरोप के कई देश भारत की कूटनीति का लोहा मानते हैं। वहीं, आर्थिक मोर्चे पर भारत की स्थिति काफी मजबूत हुई है।

पहाड़ पर छिड़ी जंग हुई तो क्या होगा
तवांग में भारत ऊंचाई पर तैनात है। ऐसे में हमें चीन के मुकाबले बढ़त हासिल है। तवांग में पेट्रोलिंग के लिए दोनों देशों की अपनी मानी हुई सीमाएं हैं। ऐसे में इस जगह पर अक्सर दोनों देशों के बीच तनाव देखने को मिलता है। हालांकि, भारतीय सेना को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती का बेहतर अनुभव है। हाई एल्टीट्यूड पर वॉर के मामले में भारतीय जवानों की कुशलता चीनी सैनिकों के मुकाबले बेहतर है। भारतीय सैनिक अधिक बर्फीले इलाकों में तैनाती और युद्ध की स्थिति की स्थिति के अनुरूप खुद को ढालने में बेहद ही सक्षम है। ऐसे में चीन के मुकाबले भारत को बढ़त हासिल है।

एलएसी पर चीन की साजिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे। चीन की किसी भी साजिश का सख्ती से जवाब देंगे– एस. जयशंकर विदेश मंत्री
सीधे तौर पर युद्ध की स्थिति नहीं बनती
रूस-यूक्रेन के बीच जिस तरह से भारत ने अपनी भूमिका निभाई है, उससे एक बार फिर से देश ने अपनी ताकत का अहसास करवा दिया है। भारत इस पूरे मामले में जहां यूरोप को आइना दिखाने से नहीं चूकां , वहीं, अपने पुराने सहयोगी रूस को भी प्यार से समझा दिया। इस बदले हालात में चीन और भारत के रिश्तों में जिस तरह से तल्खी बरकरार है क्या वह युद्ध की तरफ बढ़ेगी। विदेश मामलों से जुड़े एक्सपर्ट्स का कहना है कि बदलते आर्थिक परिदृश्य में चीन और भारत के बीच सीधे तौर पर युद्ध की स्थिति तो बिल्कुल बनती नजर नहीं आ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह की चीन ने जिस तरह से अपनी विस्तारवादी नीति अपनाई है, लगभग पूरा यूरोप ही चीन के खिलाफ खड़ा नजर आ रहा है।

सीमा के विवादित क्षेत्र से चीन की सेना अभी पूरी तरह से हटी नहीं है। ऐसे में भारतीय सेना भी सुरक्षा के मद्देनजर सभी ऐहतियाती कदम उठा रही है।

-ले. जनरल अनिल चौहान, सीडीएस

सैन्य खर्च के मामले में भारत से आगे चीन
सैन्य खर्च की बात करें तो चीन अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरे नंबर है। अमेरिका का सैन्य खर्च 778 अरब डॉलर है। वहीं चीन का रक्षा खर्च 252.30 अरब डॉलर है। जबकि भारत का रक्षा खर्च 72.89 अरब डॉलर है। इस तरह चीन भारत के मुकाबले अपने रक्षा बजट पर चार गुना अधिक रकम खर्च करता है। सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक यदि प्रति व्यक्ति सैन्य खर्च देखें तो यहां भी चीन भारत पर भारी पड़ता है। चीन का प्रति व्यक्ति सैन्य खर्च 175. 3 डॉलर है। वहीं, भारत का प्रति व्यक्ति सैन्य खर्च 52.8 डॉलर है। इस मामले में इजरायल 2507.6 डॉलर के साथ शीर्ष पर है।
भारत की है पूरी तैयारी
चीन के साथ सीमा विवाद के बीच भारत ड्रैगन से मुकाबले के लिए पूरी तरह से तैयारी कर रहा है। भारत का रक्षा बजट अब दुनिया में तीसरे स्थान पर है। सेना को लगातार विदेशी और स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है। एक्टिव सैनिकों के मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है। भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी कर रहा है। पूर्वी लद्दाख में विवाद के बीच भारत ने चीन से सटी सीमा पर हाई फ्रीक्वेंसी एयर डिफेंस सिस्टम, लेजर गाइडेट अत्याधुनिक मिसाइलें, मॉर्डन ड्रोन, आर्टिलरी गन, अत्याधुनिक कार्बाइन, पहाड़ी और दुर्गम स्थानों के अनुरूप तैयार टैंक को भी तैनात किया है। इतना ही नहीं बॉर्डर पर सर्विलांस बढ़ाने के लिए सेना को लेटेस्ट हार्डवेयर से भी लैस किया जा रहा है।
तवांग में चीन की हरकत का पहले से था अंदेशा
अरुणाचल प्रदेश में चीन की तरफ से पहले भी सैन्य ढांचे और गांव बसाने की खबरें आती रही हैं। चीनी शुरू से ही तवांग में अपनी गिद्ध दृष्टि गड़ाए हुए है। भारत की तवांग में चीन के मंसूबों का पहले से ही अंदाजा था। ऐसे में भारत ने गलवान से सबक लेते हुए पहले से ही तैयारी कर रखी थी। भारतीय सेना वहां लगातार पेट्रोलिंग करते हुए अपनी स्थिति मजबूत बनाए हुए थी। चीन के साथ तनाव को देखते हुए भारत ने लद्दाख में सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल की तैनाती की है। इसके अलावा माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प भी वहां ऑपरेशनल है। तवांग में भारत ने न्यू एज सर्विलांस सिस्टम भी लगाया हुआ है। पिछले साल ही तवांग में चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात किए गए थे। इसके अलावा तवांग में बोफोर्स के बाद एम-777 हॉवित्जर की तैनाती की गई है।

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