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जहरीली शराब पीने वाले तो मरेंगे ही…. नीतीश का यह कथन सबक सिखाने वाला है

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एस पी मित्तल, अजमेर

बिहार के छपरा जिले में जहरीली शराब पीने से 16 दिसंबर तक 50 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई। बिहार में लोगों को दूषित शराब इसलिए पीनी पड़ती है, क्योंकि यहां सरकार की ओर से संपूर्ण शराबबंदी है। जो लोग शराब के बिना रह नहीं सकते, वे चोरी छिपे दूषित शराब भी पी लेते हैं। यही वजह है कि बिहार में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से शराब बनाई जाती है। शराबबंदी के पीछे सरकार का यह तर्क रहा है कि इससे लोगों को शराब जैसी बुराई से बचाया जा सकेगा। शराबबंदी की नीति से बिहार के लोग शराब से कितने बचे, यह अध्ययन का विषय है,लेकिन छपरा में 50 लोगों की मौत बताती है कि लोग जहरीली शराब भी पीने को मजबूर है। लोगों की शराब पीने की इस लत को समझते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश भर में गांव व ढाणी से लेकर शहरों में गली मोहल्लों तक में सरकारी शराब की दुकानें खोल दी है ताकि पियक्कड़ों को आसानी से उपलब्ध हो सके। जब सरकारी स्तर पर शराब आसानी से मिल रही है, तब लोगों को दूषित अवैध तौर पर बनी शराब पीने की जरूरत ही नहीं है। राजस्थान के सीएम गहलोत स्वयं को महात्मा गांधी का अनुयायी मानते हैं, लेकिन पियक्कड़ों को जहरीली शराब पीने से बचाने के लिए गहलोत ने महात्मा गांधी के कथन पर भी अमल करने से इंकार कर दिया है। सब जानते हैं कि महात्मा गांधी ने कहा था कि यदि मुझे शराब की बिक्री के पैसों से स्कूल चलानी पड़े तो मैं स्कूलों को बंद करुंगा। यानी महात्मा गांधी सरकारी स्तर पर शराब की बिक्री के पक्ष में नहीं थे। कांग्रेस के अशोक गहलोत जैसी नीति ही भाजपा की है। गुजरात को छोड़ कर भाजपा शासित अधिकांश राज्यों में सरकारी स्तर पर शराब की बिक्री होती है। गांधी जी का अनुयायी होते हुए भी सरकारी स्तर पर शराब कैसे बेची जाती है, इस बारे में नीतीश कुमार को अशोक गहलोत से कुछ सीखना चाहिए। गहलोत, नीतीश को वो सारी टिप्स दे देंगे, जिनसे बिहार में शराबबंदी को हटाया जा सके। यह सही है कि नीतीश कुमार बिहार के लोगों को शराब की बुराई से बचाना चाहते हैं, लेकिन सवाल उठता है कि जब लोग बचना ही नहीं चाहते हैं तो फिर नीतिश अपनी जिद पर क्यों अड़े हैं? जब नीतीश खुद मानते हैं कि जहरीली शराब पीने वाला तो मरेगा ही, शुरू करवा देनी चाहिए। अशोक गहलोत से टिप्स लेने के बाद भी यदि कुछ सवाल रह जाएं तो नीतीश कुमार को कट्टर ईमानदार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से राय ले लेनी चाहिए। केजरीवाल को तो दुकानों के साथ साथ ऑनलाइन बिक्री का भी अनुभव है। पूरे देश में केजरीवाल शराब नीति के हेडमास्टर हैं। केजरीवाल तो दिल्ली की शराब नीति से पंजाब भी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। यदि गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाती है तो अब तक गुजरात में भी सरकारी स्तर पर शराब की बिक्री शुरू हो जाती। राजस्थान में पियक्कड़ों को बीमारियों से इसलिए भी डर नहीं लगता है कि सरकारी अस्पतालों में फ्री इलाज होता है। शराब पीने से जितनी भी बीमारियां होती है, उन्हें भी मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में कवर कर रखा है। सीएम गहलोत का दावा है कि इस योजना में प्राइवेट अस्पतालों में भी 10 लाख रुपए तक का इलाज हो रहा है। यानी राजस्थान में तो शराब पीने वालों को सरकारी स्तर पर संरक्षण भी दिया जा रहा है। नीतीश कुमार को एक बार शराब के हिमायती  अशोक गहलोत और अरविंद केजरीवाल से सलाह जरूर लेनी चाहिए। 

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