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जोशीमठ! जमीन निगल जाएगी उत्तराखंड का एक और हिस्सा

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जोशीमठ: उत्तराखंड के लिए प्रवास की ये तस्वीरें कहां नई हैं। जिस राज्य ने 9 साल पहले केदारनाथ की त्रासदी देखी, 17 साल पहले टिहरी को डूबते देखा…वो अब एक शहर को देख रहा है जाते। ऐसे जाते जिसे रोकना भी संभव नहीं है। 29 अक्तूबर 2005 को उत्तराखंड में बसा खूबसूरत टिहरी अपनी स्थापना के 90 वर्षों बाद पानी में जलमग्न हुआ तो वो असंख्य स्मृतियां भी जलमग्न हो गईं, जो इस शहर में रहने वाले लोगों के मन में जीवित थीं। टिहरी में डूबा शहर बस एक भूगोल का जलमग्न होना नहीं था। ये जल समाधि थी भावनाओं के मनोशास्त्र की, परंपराओं के इतिहास की और आधुनिकता के विज्ञान की। टिहरी अध्याय के 17 वर्षों बाद एक और शहर अब उत्तराखंड के मन से ओझल होने को है। बाबा बदरी विशाल के दर्शन करते वक्त जिसने भी जोशीमठ को नजर से निहारा होगा, इस देश में रहने वाले हर उस शख्स के लिए शायद ये शहर अब यादों भर का रह जाए।

पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड का जोशीमठ शहर सुर्खियों में है, वहां जमीन धंसने के बाद एक दो मकान नहीं बल्कि पूरा का पूरा शहर खतरे की जद में आ गया है,एक दो नहीं बल्कि सैंकड़ों मकानों में दरार पड़ने से गिरने का खतरा बढ़ गया है, जबकि जमीन में भी मोटी मोटी दरारें पड़ने से लोग दहशत में हैं, लेकिन परेशानी ये है कि बचने के लिए जाएं भी तो कहां, क्योंकि जिस पहाड़ पर ये शहर बसा है अब उस पर ही खतरा मंडराता हुआ दिख रहा है

उत्तराखंड के जोशीमठ में भू धंसाव और मकानों में दरार की दहशत अभी खत्म भी नहीं हुई कि गढवाल मंडल के कर्णप्रयाग में इसी तरह की घटना सामने आई है. यहां बहुगुणा नगर में भू-धंसाव होने के साथ 30 से अधिक मकानों में दरारें आ गई हैं. हालात को देखते हुए प्रभावित मकानों में रहने वाले सभी परिवारों ने खुद अपने मकान खाली कर सुरक्षित ठिकानों पर शरण ली है. कोई अपने रिश्तेदार के घर पहुंचा है तो कोई खुले आसमान के नीचे टेंट तिरपाल डालकर सरकार से राहत की गुहार की है.

प्रभावित मकानों में रहने वाले लोगों ने बताया कि करीब दो दर्ज परिवारों ने यहां से पलायन कर लिया है. कुछेक लोग ही यहां बचे हैं. लेकिन इन्हें रहने के लिए अभी तक शासन या प्रशासन की ओर से कोई ठोस ठिकाना नहीं उपलब्ध कराया गया है. मजबूरी में लोग खुले आसमान के नीचे टेंट और तिरपाल डालकर रात गुजारने को मजबूर हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक कर्णप्रयाग के अप्पर बाजार वार्ड के भी तीस परिवारों को इस मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. आशंका है कि यह खतरा और बढ़ सकता है.

मंडी के लिए हुई खुदाई का असर

स्थानीय लोगों के मुताबिक हाल ही में सरकार ने मंडी के निर्माण कार्य के चलते खुदाई कराई थी. अनियमित तरीके से हुए निर्माण कार्य के चलते कर्ण प्रयाग क्षेत्र में भी तबाही का आलम बनने वाला है. हालात को देखते हुए सरकार ने सेना को भी सतर्क कर दिया है. गढ़वाल मंडलायुक्त सुशील कुमार सिंह के मुताबिक भविष्य की स्थिति को देखते हुए इमरजेंसी में सेना को सतर्क रहने की अपील की गई है. उन्होंने बताया कि राहत कार्य चलाने और अन्य इलाकों में निगरानी के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से भी मदद मांगी जा रही है. इसरो की मदद से मिलने वाली सेटेलाइट तस्वीरों से हालात पर नजर रखा जाएगा.

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