एस पी मित्तल, अजमेर
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहे कितना भी दिखावा कर लें, लेकिन अब वे कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार के भरोसे के नेता नहीं रहे हैं। यदि गहलोत भरोसे के नेता होते तो 16 जनवरी से पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट राजस्थान में किसान सम्मेलनों की शुरुआत नहीं कर पाते। पायलट का पहला किसान सम्मेलन 16 जनवरी को नागौर के परबतसर में हुआ तो 18 जनवरी को झुंझुनू के गुढ़ा में होगा। पायलट की ओर से ऐसे पांच सम्मेलन होंगे। पायलट ने किसान सम्मेलनों की शुरुआत 16 जनवरी से तब की, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर जयपुर में चिंतन शिविर कर रहे हैं। इस चिंतन शिविर में मुख्य एजेंडा कांग्रेस सरकार को रिपीट करने का रहा। सवाल उठता है कि अशोक गहलोत राजस्थान में किस के लिए कांग्रेस सरकार को रिपीट करवा रहे हैं? गहलोत जब गांधी परिवार के भरोसे के काबिल ही नहीं रहे तो फिर सरकार रिपीट का गहलोत को क्या फायदा होगा? 15 जनवरी को पायलट ने पंजाब में गांधी परिवार के प्रमुख सदस्य राहुल गांधी से मुलाकात की और 16 जनवरी को परबतसर में किसान सम्मेलन कर पेपर लीक मामले में गहलोत सरकार को कटघरे में खड़ा किया। जिन वन मंत्री हेमाराम चौधरी को सरकार के चिंतन शिविर में होना चाहिए था वो हेमाराम चौधरी किसान सम्मेलन में पायलट के साथ रहे। साथ ही नहीं रहे बल्कि अशोक गहलोत पर सीधा निशाना भी साधा। चौधरी ने कहा कि राजनीति में यदि युवाओं को मौका नहीं दिया तो युवा वर्ग धक्का देकर पुरानों को उठा देगा। पायलट ने भी कहा कि पेपर लीक मामलों में सिर्फ दलालों को पकड़ने से कुछ नहीं होगा। सरगनाओं को पकड़ना चाहिए। पायलट के किसान सम्मेलन से अशोक गहलोत को अब कांग्रेस में अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। हालांकि गहलोत खुद तर्जुबे कार नेता हैं, लेकिन उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि असली कांग्रेस वो ही है जो गांधी परिवार के साथ खड़ी है। मौजूदा समय में राजस्थान में सचिन पायलट ही गांधी परिवार के भरोसेमंद नेता हैं। विधायकों को पटाकर भले ही गहलोत अपनी सरकार चला लें, लेकिन 10 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में गांधी परिवार का भरोसेमंद नेता ही टिकट बांटेगा। तब गहलोत की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगा लेना चाहिए। यदि अशोक गहलोत गांधी परिवार से अलग हट कर राजस्थान में कोई नई राजनीतिक खिचड़ी पका रहे हैं तो अलग बात है। यह खिचड़ी कैसी बनेगी यह समय ही बताएगा, लेकिन गहलोत ने गांधी परिवार को चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। गत 25 सितंबर को 108 में से 91 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे करवा कर गहलोत गांधी परिवार को सीधी चुनौती दी थी। ऐसा प्रतीत होता है कि अब अशोक गहलोत ने भी गांधी परिवार से झगड़ा करने की ठान ली है, इसलिए वे सचिन पायलट के महत्व को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
नेता-अफसर शामिल नहीं:
16 जनवरी को नागौर के परबतसर में किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने पेपर लीक मामले में कहा था कि दलालों को नहीं सरगनाओं को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। पायलट के इस बयान पर 17 जनवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी प्रतिक्रिया दी। गहलोत ने कहा कि हमने सरगनाओं को ही पकड़ा है। कांग्रेस का कोई नेता यदि पेपर लीक के किसी आरोपी का नाम बताएगा तो उसे भी पकड़ा जाएगा। गहलोत ने स्पष्ट कहा कि पेपर लीक प्रकरण में कोई नेता और अफसर शामिल नहीं है। पेपर लीक अन्य राज्यों में होते हैं। लेकिन राजस्थान पहला ऐसा राज्य है, जहां पेपर लीक के आरोपियों पर सख्त कार्यवाही की गई है।