जूली सचदेवा
तस्वीर में ये लड़का अली है! उम्र 18 साल।
मासिक कमाई 45000/ उद्देश्य आगामी वर्षों में ठेकेदार बनकर 1 लाख प्रतिमाह अर्जित करना।
गत 4 सालों से केदारघाटी में कॉटेज, हट का काम कर रहा है। उसने बताया कि वो केवल पांचवी पास है। कहता है, कि आगे पढ़ाने के लिए घर पर पैसा नही था, इसलिए मामू के साथ काम सीखने लगा । आज कुशल मिस्त्री बनकर केदारघाटी में 150 कॉटेज बना चुका था, पहले लेबर था, आज फटाफट कार्य करता है, इसकी डिमांड इतनी है 2 माह में (रमजान से पूर्व) 24 कोटेजों की डिमांड है, जिसे दिन रात पूरा करना है।
2 माह में 2 लाख प्रॉफिट कमाकर वापस जाना है। ताकि रमजान सही से मना सके।
इधर हमारा वाले अमित, सुमित, जितेंद्र उम्र. 30 साल मासिक कमाई 20000 प्रतिमाह बाप से लेना, बाइक पर स्टंट करना, घंटो कैरम खेलना, गप्पे मारना आदि उद्देश्य 4 या 5 साल तक तैयारी करना, फिर संजीव चतुर्वेदी और हाकम सिंह को गाली देना। अंत में शादी करके छोटी मोटी, नौकरी या कुछ व्यवसाय स्टार्ट करना।
जब अमित 40 साल का होगा अली 28 साल का होगा, उसके पास अच्छा खासा पैसा , भवन , कार होगी।
हमारा अमित वेल्डिंग, प्लम्बर,बिजली, पैनल, टाइल्स , चिरान ,नाई , भवन निर्माण, लकड़ी का काम क्यों नही सीखता? केदारघाटी में 80 फीसदी कार्य अली, मश्कूर, वसीम, सलीम ही क्यों कर रहे हैं , सोचनीय???
हमारे नेताओं ने आरक्षण की ऐसी अफ़ीम चटाई है कि उसके नशे में झूम कर अपना सब कुछ सरकारी नौकरी के चक्कर में बर्बाद कर रहें है , सरकारी नौकरी के झाँसे में अपना पारंपरिक करोबार हम भूलते जा रहे हैं , बिहार की हमारी सरकार अभी हमारी गिनती में व्यस्त हैं , और हम इस आस में बैठे है कि गिनती होते ही सरकार सबको पकड़ पकड़ कर नौकरी देगी। तो अभी भी सम्भल जाओ और हस्तकौशल सीखो।