राजेश ज्वेल
अडानी सेठ को पहली बार इतना तगड़ा झटका लगा है… जिसकी शुरूआत में ही 45 हजार करोड़ का फटका लगा वही शेयरों की कीमतों में लगातार गिरावट आने लगी.. जो बात देश का सामान्य बुद्धि का व्यक्ति भी कह-समझ रहा है … उसे बेबाकी से उजागर करने का साहस इजराइल के नाथन एंडरसन ने किया है… उनकी हिंडनबर्ग रिसर्च से हंगामा मचा है और सरकारी वरदहस्त प्राप्त अडानी ग्रुप की गड़बडिय़ों का भंडाफोड़ किया गया… भारत की मीडिया में तो अब इस तरह की खोज-पड़ताल और रिसर्च बीते दिनों की बात हो गई, क्योंकि सभी सरकार की गोद में बैठे हैं…
पहले भी इस तरह के धमाके विकीलिक्स, पनामा पेपर्स व अन्य के जरिए विदेशी पत्रकारों ने ही किए, जिस के जरिए दुनिया की बड़ी वित्तीय और सरकारी संरक्षण में चलने वाली सुनियोजित गड़बड़ियां उजागर हुई… देश का मीडिया तो बेचारा हिन्दू-मुस्लिम के साथ फिल्म पठान सहित अन्य देशहित से जुड़े मुद्दे परोसने में ही जुटा रहता है, वैसे भी अधिकांश न्यूज चैनलों पर अडानी-अम्बानी का कब्जा हो चुका है , जिनमें सरकार से मिलने वाले निर्देशों के तहत दरबारी पत्रकारिता पूरी शान के साथ चल रहीं है… हिंडनबर्ग एयरशिप हादसे के चलते यह नाम चर्चा में आया और अभी तक छत्तीस से अधिक कम्पनियों के फर्जीवाड़े नाथन एंडरसन ने उजागर किए हैं… एंडरसन पहले हैरी मार्कोपोलोस के साथ काम कर चुके हैं, जो सेक के अधिकारी रह चुके हैं… अमेरिका में सेक की स्थिति भारत के सेबी की तरह है… बर्नी मेडॉफ की फ्रॉड स्कीम का पर्दाफाश कर हैरी चर्चा में रहे और नाथन उन्हें अपना गुरु मानते हैं… हिंडनबर्ग रिसर्च ने दो साल पहले इलेक्ट्रिक ट्रक निर्माता निकोला कार्प की उस योजना का भी पर्दाफाश किया था जिसके जरिए निवेशकों को धोखा दिया गया… निकोला ने अपने एक वीडियो में दिखाया कि उसका इलेक्ट्रिक ट्रक तेज रफ्तार के साथ पहाड़ी पर भी चढ़ जाता है… मगर कम्पनी ने यह नहीं बताया कि वह पहाड़ी से कुछ देर बाद ही लुढ़क भी गया था… इसका खुलासा हिंडनबर्ग रिसर्च ने किया, नतीजतन अदालत ने निकोला के संस्थापक ट्रेवर मिल्टन को निवेशकों से धोखाधड़ी का दोषी पाते हुए भारी-भरकम जुर्माना ठोंका.. यानी हिडनबर्ग रिसर्च ने पूर्व में जिन भी कम्पनियों के खुलासे किए उन पर वहां की सरकारों और एजेंसियों ने कार्रवाई भी की…
अब यह बात अलग है कि अडानी ग्रुप पर तो फिलहाल भारत में कोई भी सरकारी एजेंसी कार्रवाई की हिम्मत नहीं कर सकती, क्योंकि साहब बहादुर के साथ सीधा कनेक्शन जग जाहिर है… अडानी ग्रुप से नाथन एंडरसन ने अपनी रिपोर्ट जारी करने से पहले कई सवालों के जरिए जवाब भी मांगे जो अडानी ग्रुप ने नहीं दिए और अब उजागर की गई रिपोर्ट को गलत साबित करते हुए उसका लगातार खंडन किया जा रहा है… लेकिन इन खंडनाे का भी तथ्यात्मक जवाब हिंडनबर्ग रिसर्च दे रही है… और अडानी समूह की लिस्टेड कम्पनियों के स्टॉक्स लगातार धराशायी हो रहे हैं… हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन इजराइल में एम्बूलेंस ड्राइवर के रूप में भी काम कर चुके हैं और फिर डेटा कम्पनी फेक्ट सेट रिसर्च सिस्टम्स इंक से जुड़े और कई निवेश प्रबंधन कम्पनियों के साथ काम करने के बाद उनके फर्जीवाड़े उजागर करने लगे…
अडानी समूह पर की रिसर्च में शेयरों में गड़बड़ी, एकाउंट्स में धोखाधड़ी से लेकर अन्य बड़ी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया है.. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब अडानी समूह पर ऐसे आरोप लगे हैं.. पूर्व में भी वित्तीय मामलों को देखने वाली कई संस्थाएं सवाल उठा चुकी हैं… यह भी उल्लेखनीय है कि अडानी ग्रुप का 20 हजार करोड़ का एफपीओ शुक्रवार को ही खुला है और उसी वक्त ये हिंडनबर्ग रिसर्च का हल्ला मचा…विगत वर्षों में इस तरह के बड़े खोजी खुलासे विदेशी पत्रकारों और उनसे जुड़ी फर्मों ने ही किए हैं… भारत में तो ऐसी खबरें देश विरोधी करार दी जाने लगी हैं और सरकार भी मीडिया घरानों पर कड़ा अंकुश लगा चुकी है… ये बात भी गौरतलब है कि अंकुश लगाने वाले तमाम जिम्मेदार घोषित आपातकाल का तो रोना रोते है और अघोषित आपातकाल के पैरोकार बन 74 वे गणतंत्र दिवस को जनतंत्र का नाम देकर जोर-शोर से हर तरह की आजादी के ढोल पीटते हैं… अब देखना यह है कि अडानी का गुब्बारा वैसे ही ऊंचाई पर उड़ता रहेगा है या फिर फूटेगा…! @ राजेश ज्वेल