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गांधीजी की महानता यही है कि उन्होंने एक डरी सहमी कौम को जागृत किया

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मुनेश त्यागी 

आज गांधी जी की पुण्यतिथि है आज के दिन यानी 30 जनवरी1948  को  सायं 5:17 पर सांप्रदायिक मानसिकता के गैंग ने नाथूराम गोडसे की अगुवाई में शांति के पुजारी महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी और यह गैंग आज भी गांधी के विचारों की, मान्यताओं की हत्या कर रहा है।

     गांधीजी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। वह एक ऐसे भारत का सपना देखते थे जिसमें हिंदू मुस्लिम एकता हो, न्याय पूर्ण वितरण हो, सब की समानता हो, गरीबी का विनाश हो, शोषण का खात्मा हो, वर्षों से जारी हिंसा का खात्मा हो, औरतों की बराबरी हो और उन्हें शिक्षा और अवसर का समान अवसर दिया जाना चाहिए। वे शोषण को सबसे बड़ी हिंसा समझते थे।

     गांधीजी के नियम थे ,,,,फर्श पर सोना, साधारण कपड़े पहनना, साधारण  खाना खाना, सुबह उठना,अपनी टॉयलेट को खुद साफ करना।

    गांधी जी के मंत्र थे ,,,,अहिंसा, सविनय अवज्ञा, सत्याग्रह,असहयोग, हड़ताल, बहिष्कार,भूख हड़ताल, मौन व्रत,सत्य प्रेम और सत्याग्रह।  गांधी को “महात्मा” की उपाधि गुरु रविंद्र नाथ टैगोर ने दी थी। गांधीजी साफ-सफाई स्वास्थ्य शिक्षा और हिंदू मुस्लिम एकता के दृढ़ प्रतिज्ञ थे। 

     गांधीजी अपने जीवन में कुल मिलाकर 2338 दिन दिल में रहे 229 दिन साउथ अफ्रीका में और 2089 दिन इंडिया में भारत की जेल में रहे। गांधीजी आवश्यक चीजों का न्यायपूर्ण वितरण चाहते थे।  अपने चेलों से उनका कहना था कि सत्ता से सावधान रहें, बेरोकटोक सत्ता भ्रष्ट और बेईमान कर देती है। यहीं पर सांप्रदायिक मानसिकता गांधीजी को हिंदुओं का गद्दार कहती थी।

     गांधी जी ने अपने जीवन में 16 बार भूख हड़ताल की। गांधीजी आवश्यक चीजों का न्यायपूर्ण वितरण, सत्ता से सावधान सत्ता भ्रष्ट कर देती है, सत्ता गांव के गरीबों की सेवा करने के लिए हो।

     भाईचारे की और मोहब्बत की लहरें चलती थी गांधी जी को देखकर। गांधी जी सब की समानता चाहते थे और गरीबी का पूर्ण खात्मा चाहते थे। गांधीजी सारे हिंदुस्तानियों को भारत माता के बेटे बेटियां समझते थे। वह कहते थे कि हम सब हिंदू मुसलमान सिख इसाई भारत मां के बेटे बेटियां हैं, हम एक वृक्ष की डालें और टहनियां हैं।

     हम एकजुट होकर ही कामयाब हो सकते हैं मगर अफसोस कि गांधी जी के चेलों को गांधी याद रहे, उनके संदेश नहीं। गांधीजी का मानना था कि दुनिया को बेहतर बनाने वालों संगठनों और व्यक्तियों के साथ जुड़े रहो। उन्होंने जनता के सुख और गम को अपनाया। 

   यहां पर महत्वपूर्ण बात यह है कि गांधीजी एक धार्मिक व्यक्ति थे मगर वे सांप्रदायिक नहीं थे, फिरकापरस्त नहीं थे। वे किसी भी कीमत पर हिंदू मुस्लिम एकता चाहते थे। गांधीजी का मानना था कि जनता के काम जनता के पैसे बिना नहीं हो सकते, इसलिए जनता से लिए गए चंदे के पैसे का हिसाब किताब होना चाहिए पूरा हिसाब किताब दो।

     गांधीजी सांप्रदायिकता विरोधी थे, साम्राज्यवाद विरोधी थे। धर्मनिरपेक्ष थे, समतावादी थे, समानता वादी थे और हिंदू मुस्लिम एकता के परम हामी थे।

      हालांकि गांधी जी एक महान पुरुष थे मगर उनके सारे विचारों से सहमत नहीं हुआ जा सकता। वह समाजवाद के पक्षधर नहीं थे वह समाजवाद को “लाल तबाही” कहते थे। हमारा मानना है की वैज्ञानिक समाजवाद के बिना गांधीजी जैसा समाज चाहते थे, वैसा समाज बिना समाजवादी व्यवस्था और विचारों को अपनाते, कायम नहीं हो सकता। गांधी जी अपने विचारों में स्पष्ट नहीं है कि उनके विचार धरती पर कौन उतारेगा, कौन उनके सपनों का साम्राज्य कायम करेगा, कौन उनके  विचारों को जमीन पर पदार्पण करेगा, यहां पर वे यूटोपियन ही लगते हैं। 

     गांधीजी की महानता यही है कि उन्होंने एक डरी सहमी कौम को जागृत किया, उसे इकट्ठा होना सिखाया, जुल्मोज्यातियों से  लड़ना होना सिखाया और स्वतंत्रता की खातिर अपना सब कुछ कुर्बान करना सिखाया। गांधीजी की करनी और कथनी में कोई अंतर नहीं था, इसी कारण वे आज भी दुनिया के शिखर पुरुष बने हुए हैं।

     यह कितना बड़ा सच है कि जो लोग गांधी गांधी चिल्लाते थे वे आज गांधी से दूर चले गए, वे गांधी के सपनों को चकनाचूर करने लगें हैं और गांधी जिन वामपंथियों से असहमत थे , वही वामपंथी आज गांधी के सपनों को धरती पर उतार लाना चाहते हैं, सबको शिक्षा देना चाहते हैं, सबको स्वास्थ्य कराना चाहते हैं, समाज में समता और समानता, न्याय कायम करना चाहते हैं,हिंदू मुस्लिम एकता चाहते हैं, वही सही मायनों में सांप्रदायिकता से मोर्चा ले रहे हैं, वही समता, समानता, न्याय और भाईचारे का साम्राज्य कायम करना चाहते हैं।

     हम पूर्ण रूप से मुतमईन होकर कह सकते हैं कि गांधी जी के चेले गांधी के विचारों से बहुत दूर चले गए हैं और वे गांधी के सपनों का भारत नहीं बना सकते।

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