डॉ. विकास मानव
सप्ताहांत तक आप इतना थक जाते हैं कि खड़े भी नहीं हो पाते हैं। एक विधि प्रस्तुत है. कायाकल्प करने के लिए नहीं, अपितु आपकी क्लांति को यथासंभव कम करने के लिए।
हमारी थकावट के कई कारण हो सकते है-चारों और का शोर, हलचल, गंध दूसरों की भावनाएं, उनके विचार-सभी आपको प्रभावित कर सकते हैं।
हम निरंतर एक दूसरे को भला बुरा कहते रहते हैं। एक दूसरे को डाँटते-फटकारते रहते हैं। निरंतर अपने नकारात्मक भाव व विचार क्रोध-आक्रोश भय चिंता, विवशता आदि-आदि दूसरों को संप्रेषित करते रहते हैं।
यदि हम स्वयं को इनके आक्रमणों से बचाना नहीं जानते तो यह बात समझ में आती है कि हम क्यों थक जाते हैं।
_प्रात: पहला और रात्रि में अंतिम काम :_
*प्रथम चरण-*
बिस्तर पर बैठ जाइए, कल्पना कीजिए कि आपके शरीर के चारों और केवल छह इंच की दूरी पर आपके शरीर के आकार का एक प्रभा मंडल है।
आप इस सुरक्षा कवच को निर्मित कर सकते है। ताकि बह्म प्रभावों से स्वयं को बचा सकें।
*दूसरा चरण-*
इसी अनुभूति को बनाए रखते हुए आप सो जाएं ऐसा अनुभव करते हुए कि आप इस प्रभा मंडल में एक कंबल की भांति लपेटे सो रहे हैं.
ये आपको किसी भी प्रकार के बाहरी तनाव, हलचल विचारों या भावों से सुरक्षित रखेंगे।
*तीसरा चरण-*
प्रात: जैसे ही आप नींद से जागें इससे पहले कि आप आंखे खोले आपने शरीर के इर्द गिर्द इस सुरक्षा मंडल को चार से पांच मिनट अनुभव करे, देखें।
*चौथा चरण-*
प्रात: स्नान करते समय प्रात: भोजन लेते समय अपने सुरक्षा-आभा मंडल चक्र को स्मरण रखें।
दिन में किसी भी समय जब भी आपको ख्याल आए—कार में या ट्रेन में किसी भी समय जब आप खाली बैठे—इसमे विश्राम करें।
इस विधि को पांच सप्ताह से लेकिन तीन महीने तक नियमित रूप से करें. लगभग तीन सप्ताह बाद से ही आपको एक सशक्त सुरक्षा की अनुभूति होने लगेगी।